हाल ही में फिल्मोत्सव के दौरान श्रीनिवास मोहन ने फिल्म बाहुबली के वीएफएक्स को लेकर एक खास बातचीत की. श्रीनिवास मोहन ही इस फिल्म के वीएफएक्स सुपरवाइजर रहे. श्रीनिवास मोहन ने बताया कि किस तरह इस फिल्म में वीएफएक्स आर्टिस्ट ने अपनी सूझ बूझ से एक नयी दुनिया बनायी. इस फिल्म के शुरुआती दृश्यों की चर्चा करते हुए उन्होेंने बताया कि किस तरह वास्तविक शूटिंग सिर्फ स्वीमिंग पूल में हुई है लेकिन विचुअल इफेक्ट्स से उसे विशाल किया गया है. श्रीनिवास इस बात को स्वीकारते हैं कि अब भी भारत में विजुअल इफेक्टस की तकनीक पूरी तरह विकसित नहीं है. हमारे पास अब भी विदेशों जैसी तकनीक नहीं है. लेकिन इसके बावजूद बाहुबली में उन्होंने भारतीय स्टूडियो में ही कई चीजें गढ़ीं. उन्होंने इस बात की भी चर्चा की कि किस तरह विजुअल इफेक्ट्स की थ्योरी फिजिक्स की थ्योरी पर चलती है. लेकिन किस तरह इस फिल्म के लिए उन्होंने उन थ्योरी को भी बदले और दर्शकों को एक अलग अनुभव देने के लिए दूसरी दुनिया कायम की. दरअसल, यह हकीकत है कि आप भले ही बाहुबली देखने के पश्चात थियेटर से निकलने के बाद इस फिल्म की कहानी से खास राबतां न कर पाये हों या फिर वह आपके साथ काफी दिनों तक न रहे. लेकिन इस फिल्म में जिस तरह तकनीकों का प्रयोग किया गया है, वह आश्चर्य में डालती हैं. खासतौर से अब जबकि इस फिल्म के निर्माण की बारीकी को नजदीक से देखने और समझने का मौका मिला तो महसूस किया कि दरअसल, इस फिल्म के वास्तविक हीरो प्रभास नहीं बल्कि ये वीएफएक्स आर्टिस्ट ही हैं, जिन्होंने अपनी कलाकारी से एक अलग दुनिया बनाई है और जिस पर हम पूर्ण रूप से भरोसा करने के लिए भी मजबूर होते हैं. एक फिल्म की यही खासियत है कि वह किस तरह झूठ होकर भी दर्शकों में विश्वास जगा सके.
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20151126
बाहुबली के वास्तविक हीरो
हाल ही में फिल्मोत्सव के दौरान श्रीनिवास मोहन ने फिल्म बाहुबली के वीएफएक्स को लेकर एक खास बातचीत की. श्रीनिवास मोहन ही इस फिल्म के वीएफएक्स सुपरवाइजर रहे. श्रीनिवास मोहन ने बताया कि किस तरह इस फिल्म में वीएफएक्स आर्टिस्ट ने अपनी सूझ बूझ से एक नयी दुनिया बनायी. इस फिल्म के शुरुआती दृश्यों की चर्चा करते हुए उन्होेंने बताया कि किस तरह वास्तविक शूटिंग सिर्फ स्वीमिंग पूल में हुई है लेकिन विचुअल इफेक्ट्स से उसे विशाल किया गया है. श्रीनिवास इस बात को स्वीकारते हैं कि अब भी भारत में विजुअल इफेक्टस की तकनीक पूरी तरह विकसित नहीं है. हमारे पास अब भी विदेशों जैसी तकनीक नहीं है. लेकिन इसके बावजूद बाहुबली में उन्होंने भारतीय स्टूडियो में ही कई चीजें गढ़ीं. उन्होंने इस बात की भी चर्चा की कि किस तरह विजुअल इफेक्ट्स की थ्योरी फिजिक्स की थ्योरी पर चलती है. लेकिन किस तरह इस फिल्म के लिए उन्होंने उन थ्योरी को भी बदले और दर्शकों को एक अलग अनुभव देने के लिए दूसरी दुनिया कायम की. दरअसल, यह हकीकत है कि आप भले ही बाहुबली देखने के पश्चात थियेटर से निकलने के बाद इस फिल्म की कहानी से खास राबतां न कर पाये हों या फिर वह आपके साथ काफी दिनों तक न रहे. लेकिन इस फिल्म में जिस तरह तकनीकों का प्रयोग किया गया है, वह आश्चर्य में डालती हैं. खासतौर से अब जबकि इस फिल्म के निर्माण की बारीकी को नजदीक से देखने और समझने का मौका मिला तो महसूस किया कि दरअसल, इस फिल्म के वास्तविक हीरो प्रभास नहीं बल्कि ये वीएफएक्स आर्टिस्ट ही हैं, जिन्होंने अपनी कलाकारी से एक अलग दुनिया बनाई है और जिस पर हम पूर्ण रूप से भरोसा करने के लिए भी मजबूर होते हैं. एक फिल्म की यही खासियत है कि वह किस तरह झूठ होकर भी दर्शकों में विश्वास जगा सके.
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