संगीत निर्देशिका स्रेहा खानवालकर ने कुछ सालों पहले एम टीv के trimp के माध्यम से एक यात्रा पर निकली थीं. जहां उन्होंने कई नयी प्रतिभाओं की खोज की. यह अन्य रियलिटी शो से जुदा रियलिटी शो था. जहां प्रतिभाओं की अलग तरीके से खोज की गयी थी. उसी दौरान नूरा सिस्टर्स स्रेहा से टकरायीं और टूंग टूंग गीत का निर्माण हुआ. यह गीत उसी दौर में बेहद लोकप्रिय हो चुका था. संगीत प्रेमियों ने इसे बेहद पसंद किया. लेकिन अब जबकि यह फिल्म सिंह इज ब्लिंग का एंथम सांग बना है तो जाहिर है, इसकी पहुंच और अधिक बढ़ेगी. अक्षय कुमार की इस नयी फिल्म में टूंग टूंग की गूंज दूर तक फैल रही है. दरअसल, हकीकत यही है कि ऐसे गीत जब फिल्मों का हिस्सा बन जाते हैं तो जनमानस तक अधिक पहुंच जाते हैं. फिर चाहे वह ससुराल गेंदा फूल हो, या राहत फतेह अली खान का गीत मैं तैनू समझावा हो...यह सारे गाने लोगों की जुबां पर उस वक्त चढ़े, जब फिल्मों का हिस्सा बने. यहां गौरतलब बात यह भी है कि जिस दौर में गीत संगीत व म्यूजिक वीडियो का दौर था. कलाकारों व प्रतिभाओं को अपनी पहचान बनाने के लिए किसी फिल्म पर निर्भर होने की जरूरत नहीं थी. चूंकि वे म्यूजिक वीडियो लोगों के घरों तक दाखिल हो रहे थे और काफी पसंद भी किया जाता था. कई लोक गायक इन्हीं म्यूजिक एलबमों की वजह से लोकप्रिय हुए. कुछ मिका सिंह जैसे भाग्यशाली रहे, जिन्हें अब फिल्मों में शोहरत मिल रही है. लेकिन कई गुमनाम हो गये.धारावाहिक बालिका वधू में जब मामे खान का चौधरी गीत बैकग्राउंड में लोगों की कानों तक पहुंचा तो लोगों ने मान लिया कि यह धारावाहिक के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है, जबकि यह एक लोकगीत है. यही विजुअल मीडियम की खासियत है कि वह दर्शकों के दिलों तक जल्दी दस्तक दे पाता है. शेष माध्यम देर से पहुंचते हैं
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