नवाजुद्दीन सिद्दिकी फिल्म मांझी द माउटेन मैन में दशरथ मांझी की भूमिका में हैं और वे इसे अपने करियर की कठिन फिल्मों में से एक मानते हैं.
मेरे करियर की कठिन फिल्मों में से एक
हां, मैं मानता हूं कि यह मेरे करियर की कठिन फिल्मों में से एक है. चूंकि इस फिल्म की कहानी ने मुझे झकझोर कर रख दिया. मैंने इस फिल्म को सिर्फ एक लाइन की वजह से साइन कर दिया था. केतन सर ने मुझसे कहा कि एक ऐसा व्यक्ति है, जिसने अपनी पत् नी के प्रेम में पहाड़ को तोड़ कर रास्ता बनाया. मुझे लगा कि क्या ऐसा प्रेम करने वाला व्यक्ति वाकई इस दुनिया में पैदा भी हुआ होगा. मुझे लगता है कि वर्ल्ड का कोई भी एक्टर सिर्फ इस लाइन पर ही यह फिल्म करने को तैयार हो जाता कि किसी ने प्रेम के लिए वाकई में पहाड़ तोड़ दिया. वरना, लोग तो सिर्फ कहानी कविताओं में जीने मरने की कसमें खाते रहते हैं.मैं वास्तविक जिंदगी में खुद इतना प्यार नहीं कर सकता किसी से.लेकिन जब दशरथ जी को नजदीक से जाना तो महसूस किया कि ऐसी कहानी को परदे पर कहना कितना जरूरी है. मैं खुश हूं कि मुझे यह किरदार मिला है. इस फिल्म के किरदार के पास एक मैडनेस है. आज के डेट में प्यार व्यार नहीं होता, और वहां कोई ऐसा व्यक्ति है तो वह बहुत इंस्पायर किया है.
शूटिंग गहलौर में ही हुई
इस फिल्म की शूटिंग उसी जगह पर हुई है, जहां वह पहाड़ तोड़ कर रास्ता बना है. हमलोग जब वहां गये. हमने पहाड़ देखा तो उस पहाड़ को देख कर ही एक अलग सा जोश आ जाता था. मैं शूटिंग के पहले अपने फिल्म के गेटअप में आकर उस पहाड़ के बीच में खड़ा हो जाता था.और मेरा विश्वास किजिंग मेरे रोंगटे खड़े हो जाते थे. आप सोचें कि कोई आदमी सिर्फ हथोड़े से उसने जो पूरा पहाड़ तोड़ दिया. वह पहाड़ इतना बड़ा है कि आप इमेजिन ही नहीं कर सकते.उनके काम को देख कर रोंगटे खड़े हो जाते थे मेरे. मांझी के किरदार को निभाने के लिए मैंने तैयारी यही की कि मैंने वहां के लोगों से पूछा कि मांझी किस तरह के व्यक्ति थे. तो लोगों से पता चला था कि वह काफी ह्मुमरस थे. रोमांटिक थे.पतले दुबले छोटे से थे. लेकिन लोगों को काफी एंटरटेन करते थे.तो लोगों ने काफी मदद किया.
खुद की तूलना फिल्म से
यह हकीकत है कि जिस तरह मांझीजी ने कई सालों में पहाड़ तोड़ कर रास्ता बनाया और उन्होंने अपनी मेहनत और जुनून को जाने नहीं दिया. ठीक वैसे ही मुझे इस इंडस्ट्री में निखरते निखरते, चमकते चमकते काफी वक्त लगा. इसलिए मैं भी मानता हूं कि मेरा संघर्ष वैसा ही संघर्ष रहा है. हां, मगर मैं यह तूलना नहीं कर सकता कि जिस तरह मांझी जी ने इतना बड़ा कार्य किया अपनी प्रेम की खातिर. लेकिन उनका कार्य जन कल्याण के लिए काम आया. मैं शायद उतना महना नहीं हो सकता. मुझे यह जरूर लगता है कि आप जब भी कोई कैरेक्टर करते हैं तो आप अपनी रियल लाइफ से कहीं न कहीं से उससे रिलेट जरूर करते हैं. 15 सालों में मैंने भी एक्टिंग का पैशन बरकरार रखा और मांझी जी ने भी अपना पैशन बरकरार रहा. शायद यही वजह है कि मैंने फिल्म से खुद को करीब पाया. मुझे लगता है कि इस फिल्म से हर वह आदमी कनेक्ट करेगा, जो जिंदगी में कुछ करना चाहता है. सारी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद एक व्यक्ति कामयाब हो पाता है. यह इस फिल्म को देख कर लोगों को समझ आयेगा.
केतन मेहता के साथ काम करने का अनुभव
मेरे लिए हमेशा फिल्म का कंटेट मैटर करता है. बॉक्स आॅफिस खास महत्वपूर्ण नहीं है. इसलिए जब मुझसे लोग पूछते हैं कि केतन जी की फिल्में बॉक्स आॅफिस पर खास कामयाब नहीं हुई हैं, तब भी मैं काम क्यों कर रहा हूं. तो मैं उन्हें जवाब देता हूं कि एक फिल्म थी एक डॉक्टर की मौत, जिसे बॉक्स आॅफिस पर सफलता नहीं मिली. लेकिन मैंने उस फिल्म से काफी कुछ सीखा. और उस फिल्म ने मेरी जिंदगी बदल दी. फिल्म आपके साथ कितने सालों तक रहती है. यह आपकी फिल्म की सफलता का मानक है और केतन जी ऐसी ही फिल्में बनाने में माहिर हैं. और वे लगातार बेहतरीन काम कर रहे. जिन विषयों को लोग छूते नहीं. वे वैसी फिल्में चुनते हैं.
मिल रहे अच्छे अवसर
मैं यहां मुंबई कभी यह सोच कर नहीं आया था कि मुझे इतनी बड़ी बड़ी फिल्में मिलेंगी. मेरे किरदारों को लोग पसंद करेंगे. लेकिन मुझे लगता है कि मुझे मेरे औकाद से बढ़ कर सबकुछ मिल रहा है. मुझे इतने अच्छे लोगों के साथ काम करने के मौके मिल रहे हैं. यही मेरे लिए बहुत है.
किरदारों को साथ नहीं रखता
मैं कभी भी किसी भी किरदार को लेकर घर नहीं जाता. फिल्म खत्म हुई तो बस दूसरे किरदार की तैयारी में जुट जाता हूं और मुझे लगता है कि एक अच्छे एक्टर को ऐसा ही करना भी चाहिए. मुझे लगता है कि किरदार को ग्लोरिफाइ नहीं करना चाहिए. मैं अगर किरदार का हैंगओवर करके अगली फिल्म करूंगा तो मुझे नहीं लगता मैं उसे सही तरीके से निभा पाऊंगा. इसलिए मैं कभी भी किरदारों को खुद पर हावी नहीं होने देता.
मेरे करियर की कठिन फिल्मों में से एक
हां, मैं मानता हूं कि यह मेरे करियर की कठिन फिल्मों में से एक है. चूंकि इस फिल्म की कहानी ने मुझे झकझोर कर रख दिया. मैंने इस फिल्म को सिर्फ एक लाइन की वजह से साइन कर दिया था. केतन सर ने मुझसे कहा कि एक ऐसा व्यक्ति है, जिसने अपनी पत् नी के प्रेम में पहाड़ को तोड़ कर रास्ता बनाया. मुझे लगा कि क्या ऐसा प्रेम करने वाला व्यक्ति वाकई इस दुनिया में पैदा भी हुआ होगा. मुझे लगता है कि वर्ल्ड का कोई भी एक्टर सिर्फ इस लाइन पर ही यह फिल्म करने को तैयार हो जाता कि किसी ने प्रेम के लिए वाकई में पहाड़ तोड़ दिया. वरना, लोग तो सिर्फ कहानी कविताओं में जीने मरने की कसमें खाते रहते हैं.मैं वास्तविक जिंदगी में खुद इतना प्यार नहीं कर सकता किसी से.लेकिन जब दशरथ जी को नजदीक से जाना तो महसूस किया कि ऐसी कहानी को परदे पर कहना कितना जरूरी है. मैं खुश हूं कि मुझे यह किरदार मिला है. इस फिल्म के किरदार के पास एक मैडनेस है. आज के डेट में प्यार व्यार नहीं होता, और वहां कोई ऐसा व्यक्ति है तो वह बहुत इंस्पायर किया है.
शूटिंग गहलौर में ही हुई
इस फिल्म की शूटिंग उसी जगह पर हुई है, जहां वह पहाड़ तोड़ कर रास्ता बना है. हमलोग जब वहां गये. हमने पहाड़ देखा तो उस पहाड़ को देख कर ही एक अलग सा जोश आ जाता था. मैं शूटिंग के पहले अपने फिल्म के गेटअप में आकर उस पहाड़ के बीच में खड़ा हो जाता था.और मेरा विश्वास किजिंग मेरे रोंगटे खड़े हो जाते थे. आप सोचें कि कोई आदमी सिर्फ हथोड़े से उसने जो पूरा पहाड़ तोड़ दिया. वह पहाड़ इतना बड़ा है कि आप इमेजिन ही नहीं कर सकते.उनके काम को देख कर रोंगटे खड़े हो जाते थे मेरे. मांझी के किरदार को निभाने के लिए मैंने तैयारी यही की कि मैंने वहां के लोगों से पूछा कि मांझी किस तरह के व्यक्ति थे. तो लोगों से पता चला था कि वह काफी ह्मुमरस थे. रोमांटिक थे.पतले दुबले छोटे से थे. लेकिन लोगों को काफी एंटरटेन करते थे.तो लोगों ने काफी मदद किया.
खुद की तूलना फिल्म से
यह हकीकत है कि जिस तरह मांझीजी ने कई सालों में पहाड़ तोड़ कर रास्ता बनाया और उन्होंने अपनी मेहनत और जुनून को जाने नहीं दिया. ठीक वैसे ही मुझे इस इंडस्ट्री में निखरते निखरते, चमकते चमकते काफी वक्त लगा. इसलिए मैं भी मानता हूं कि मेरा संघर्ष वैसा ही संघर्ष रहा है. हां, मगर मैं यह तूलना नहीं कर सकता कि जिस तरह मांझी जी ने इतना बड़ा कार्य किया अपनी प्रेम की खातिर. लेकिन उनका कार्य जन कल्याण के लिए काम आया. मैं शायद उतना महना नहीं हो सकता. मुझे यह जरूर लगता है कि आप जब भी कोई कैरेक्टर करते हैं तो आप अपनी रियल लाइफ से कहीं न कहीं से उससे रिलेट जरूर करते हैं. 15 सालों में मैंने भी एक्टिंग का पैशन बरकरार रखा और मांझी जी ने भी अपना पैशन बरकरार रहा. शायद यही वजह है कि मैंने फिल्म से खुद को करीब पाया. मुझे लगता है कि इस फिल्म से हर वह आदमी कनेक्ट करेगा, जो जिंदगी में कुछ करना चाहता है. सारी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद एक व्यक्ति कामयाब हो पाता है. यह इस फिल्म को देख कर लोगों को समझ आयेगा.
केतन मेहता के साथ काम करने का अनुभव
मेरे लिए हमेशा फिल्म का कंटेट मैटर करता है. बॉक्स आॅफिस खास महत्वपूर्ण नहीं है. इसलिए जब मुझसे लोग पूछते हैं कि केतन जी की फिल्में बॉक्स आॅफिस पर खास कामयाब नहीं हुई हैं, तब भी मैं काम क्यों कर रहा हूं. तो मैं उन्हें जवाब देता हूं कि एक फिल्म थी एक डॉक्टर की मौत, जिसे बॉक्स आॅफिस पर सफलता नहीं मिली. लेकिन मैंने उस फिल्म से काफी कुछ सीखा. और उस फिल्म ने मेरी जिंदगी बदल दी. फिल्म आपके साथ कितने सालों तक रहती है. यह आपकी फिल्म की सफलता का मानक है और केतन जी ऐसी ही फिल्में बनाने में माहिर हैं. और वे लगातार बेहतरीन काम कर रहे. जिन विषयों को लोग छूते नहीं. वे वैसी फिल्में चुनते हैं.
मिल रहे अच्छे अवसर
मैं यहां मुंबई कभी यह सोच कर नहीं आया था कि मुझे इतनी बड़ी बड़ी फिल्में मिलेंगी. मेरे किरदारों को लोग पसंद करेंगे. लेकिन मुझे लगता है कि मुझे मेरे औकाद से बढ़ कर सबकुछ मिल रहा है. मुझे इतने अच्छे लोगों के साथ काम करने के मौके मिल रहे हैं. यही मेरे लिए बहुत है.
किरदारों को साथ नहीं रखता
मैं कभी भी किसी भी किरदार को लेकर घर नहीं जाता. फिल्म खत्म हुई तो बस दूसरे किरदार की तैयारी में जुट जाता हूं और मुझे लगता है कि एक अच्छे एक्टर को ऐसा ही करना भी चाहिए. मुझे लगता है कि किरदार को ग्लोरिफाइ नहीं करना चाहिए. मैं अगर किरदार का हैंगओवर करके अगली फिल्म करूंगा तो मुझे नहीं लगता मैं उसे सही तरीके से निभा पाऊंगा. इसलिए मैं कभी भी किरदारों को खुद पर हावी नहीं होने देता.
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