हैदर के बाद एक बार फिर से तब्बू दृश्यम में एक नये अवतार में हैं. इस बार भी वे अपने किरदार से दर्शकों को चौंकानेवाली हैं.
आप हमेशा अलग तरह की फिल्मों का चुनाव करती रही हैं. दृश्यम में ऐसी क्या खास बातें थीं जो आप फिल्म का हिस्सा बनीं?
हां, मेरे लिए स्क्रिप्ट हमेशा सबसे अहम महत्व रखता है. दृश्यम देख कर आपलोग भी चौकेंगे. अजय की भी यह अलग तरह की फिल्मों में से एक है. इस फिल्म में मैं एक पुलिस आॅफिसर की भूमिका में हूं. मैंने इससे पहले एक तमिल फिल्म में पुलिस आॅफिसर की भूमिका निभाई है. इस फिल्म में मैं एक कड़ी पुलिस आॅफिसर की भूमिका में हूं, जिसे शर्म करना बिल्कुल पसंद नहीं है और वह इमोशनल को बिल्कुल नहीं हैं.
अजय के साथ आप लंबे समय के बाद काम कर रही हैं. उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
अजय मेरे करीबी दोस्तों में से एक है. बचपन का दोस्त है. और इसलिए मैं उसे अच्छे तरीके से जानती हूं. इन 15 सालों में भी वह बिल्कुल नहीं बदला है. उस पर स्टारडम हावी नहीं है. आम इंसान ही लगता है वह और उसकी मस्ती करने की आदत, किसी की टांग खिंचाई करने की आदत भी अब भी वैसी है. हमने विजयपथ में साथ काम किया था. वह मेरे करियर के शुरुआती दिनों की फिल्म थी और इसलिए अजय उस लिहाज से भी मेरे लिए हमेशा खास ही महत्व रखेंगे. अजय की फिल्में देखती हूं. मजा आता है मुझे. लेकिन मुझे लगता है कि अजय को दृश्यम जैसी फिल्में अधिक करनी चाहिए. वह काफी अच्छे अभिनेता हैं. बस निर्देशक को यह बात समझ आ जाये कि उनकी खूबी क्या है तो वह अजय के अभिनय से काफी कुछ निकाल सकते हैं.
निशिकांत कामत के साथ भी आपकी यह पहली फिल्म है?
हां, निशिकांत बेहतरीन निर्देशक हैं और उससे भी बड़ी बात यह है कि वह काफी अच्छे इंसान हैं. मैं उनसे सिर्फ फिल्मों के बारे में नहीं और भी कई बातें शेयर करती हूं. उन्हें ट्रैवलिंग पसंद है और मुझे भी तो हमारे पास कई विषय रहते थे बातचीत के. खास बात यह है कि मैं जिस तरह के लोगों को पसंद करती हूं जो कि ज्यादा फेक न हों. जो रियल हों तो निशिकांत उनमें से एक हैं.
पिछले दिनों आपने रेखा की जगह फितूर में ली तो आपके और रेखा के बीच की दरार की खबरें काफी आ रही थीं?
मेरे और रेखा जी का रिश्ता किसी फिल्म से बढ़ कर है. मैं रेखाजी को तबसे जानती हूं जब मैं फिल्मों में आयी भी नहीं थी. रेखाजी और मेरी बहन फराह काफी करीबी हैं. और मेरी मां की आज भी पसंदीदा अभिनेत्री में से रेखा हैं. वे आज भी हमारे घर पर आती हैं. और हम में काफी बातचीत होती है. रेखा जी को मैं एडमायर करती हूं. उनके अभिनय से मैंने सीखा है. फिर इस तरह की खबरें आती हैं तो दुख होता है. फिल्म जिंदगी नहीं है. फिल्म रिश्ता बनाता बिगाड़ता नहीं है. कम से कम हमारे बीच ऐसा कुछ भी नहीं हैं. फितूर में मैं जो किरदार निभा रही हूं. वह एक किरदार है. वह मेरी वास्तविक जिंदगी पर कभी हावी नहीं होगा. रेखाजी आदरणीय हैं और रहेंगी. जहां तक बात है फिल्म की तो अभिषेक मेरे दोस्त हैं और हम एक दूसरे को काफी दिनों से जानते हैं. अगर मैं दोस्त की फिल्म में काम करूं तो और मजा आता है. वह आपकी क्षमता से वाकिफ होते हैं क्योंक़ि. मैंने अभी कुछ दृश्य ही शूट किये हैं और मैं काफी एंजॉय कर रही हूं.
आपने हैदर में शाहिद की मां का किरदार निभाया, क्या आप अभिनेताओं की मां के किरदार निभाने में सहज हैं?
मैंने कभी भी किसी किरदार को उम्र के नजरिये से नहीं देखा है. ऐसा नहीं है कि मैं टिपिकल मां बन जाऊंगी किसी भी स्टार की. हैदर में मां के किरदार करने की क्या वजह थी. यह आपने फिल्म देखी होगी तो यह बात समझ आयी होगी. उस फिल्म में एक मां और उसके बेटे की कहानी किस तरह से दर्शाया गया है. एक मां को फिल्मी परदे पर जिस तरह से विशाल ने दर्शाया है. ऐसी मां शायद कम दिखाई दी है फिल्मों में. सो, ऐसा नहीं है कि बस मां के किरदार यों ही कर लूंगी. हां, मगर अगर कोई दमदार किरदार मिले, जिसमें मुझे मां बनना है तो मुझे वह करने में कोई शर्म नहीं है.
आपने अब तक जो भी किरदार निभाये हैं. आप मानती हैं कि उन किरदारों में कहीं न कहीं वास्तविक तब्बू हैं?
हां बिल्कुल मैं अपने किरदारों के माध्यम से महसूस करती हूं कि मैं जो किरदार निभा रही हूं. अगर मैं वाकई वही होती तो. वाकई में मेरी जिंदगी में वे चीजें होती तो. मैं उस किरदार की तरह ही वास्तविकता में जिंदगी जी रही होती तो. ये सब बातें तो किरदार निभाते वक्त आती ही हैं. और शायद यही वजह है कि मैं अपने किरदारों के साथ न्याय कर पाती हूं.
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