20150905

भाईजान ,मुन्नी, फैंटम

कबीर खान अपनी अगली फिल्म फैंटम लेकर दर्शकों के सामने आये हैं. बजरंगी भाईजान से उन्हें बड़ी सफलता मिली है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि इस फिल्म को उन्होंने दोनों मुल्कों के बीच की गलतफहमियों को दूर करते हुए शांति और आपसी भाईचारे की बात की है.यही वजह थी कि पाकिस्तान में ही इस फिल्म का खुले दिल से समर्थन किया गया.बजरंगी को रिलीज हुए अधिक दिन नहीं हुए हैं. और फैंटम लोगों के सामने हैं. फिल्म के ट्रेलर से स्पष्ट नजर आ रहा कि फिल्म आतंकवाद के मुद्दे पर बनी है.बजरंगी भाईजान से जो संदेश दो मुल्कों तक पहुंचाया है. उसका असर शायद अब अधिक दिन तक इसलिए नहीं रह पायेगा, चूंकि उसी निर्देशक ने फैंटम का भी ट्रेलर जारी किया है, जिसमें बार बार उस मुल्क का नाम लिया जा रहा है.भले ही वह अपने इरादों में स्पष्ट हो और उनका नजरिया साफ हो. लेकिन फिलवक्त उन्हें उनके स्पष्ट इरादों की तरह देखा जायेगा. यह कह पाना संभव नहीं है. कबीर ने इससे पहले न्यूयॉर्क बनाया है. एक था टाइगर में भी कुछ ऐसे संवाद थे जो उस दूसरे मुल्क को नागंवार थे. दरअसल, फैंटम बजरंगी के बाद आयी होती तो शायद अधिक बेहतर होता. चूंकि एक के बाद एक फिल्म लेकर तो कबीर आ गये हैं. लेकिन एक अच्छे संदेश वाली फिल्म के बाद फैंटम के ट्रेलर पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया होती है. यह आने वाले वक्त में ही पता चलेगा. कबीर आतंकवाद के मुद्दे को संजीदगी से दर्शाते आये हैं. लेकिन फिलवक्त 26-11 व अन्य आतंकवादी हमलों को दोबारा दोहराने वाली कहानी से अधिक एक भाईजान और मुन्नी की अधिक जरूरत है.चूंकि यों ही देश में संप्रदायिकता के मुद्दे को लेकर स्थिति काफी गंभीर है. ऐसे में अमन चैन की बातें दिल को अधिक तसल्ली देती है. कबीर किस तरह दोनों फिल्मों के बीच समन्वय रखते हैं. यह देखना दिलचस्प होगा.

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