्नराजकपूर की इच्छा थी कि उनके लोनी फार्म का इस्तेमाल शिक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाये. वहां कोई भी व्यवसाय न किया जाये. उनके बच्चों ने अपने पिता की इस इच्छा का मान भी रखा और यही वजह थी कि पुणे स्थित इस फार्म हाउस में राजकपूर को ही श्रद्धांजलि के रूप में एक म्यूजियम समर्पित किया गया है. खुद राजकपूर के बच्चे रंधीर और राजीव कपूर ने इसका लोकार्पण भी किया. राजकपूर की पत् नी कृष्णा राज कपूर ने भी हमेशा यही इच्छा जताई थी कि राजकपूर की आखिरी इच्छा को पूरी की जा सके. राजकपूर स्वयं बहुत पढ़े लिखे नहीं थे. लेकिन उन्हें हमेशा यह अफसोस रहा कि वे कम पढ़े लिखे हैं और शायद वह और पढ़ाई करते तो और बेहतरीन काम कर सकते थे. शायद यही वजह है कि वे अपनी कमाई का कुछ हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग कराना चाहते थे. डॉ जाबरार पटेल, जो इस म्यूजियम का संचालन कर रहे. उनकी नयी योजना है कि वे राजकपूर के इस फार्म पर एक फिल्म स्कूल की भी शुरुआत करें. खास बात यह है कि फिल्म इंडस्ट्री के कई बड़ी शख्सियतों ने हामी भरी है. निश्चित तौर पर राज कपूर आज जहां भी होंगे. वे इस बात से बेहद प्रसन्न होंगे कि उन्होंने जिस क्षेत्र को अपना सबकुछ दे दिया. जहां उनकी आत्मा बसती थी. उसी क्षेत्र के लिए उनकी जमीन काम आ रही है. कल्पना करें कि राज कपूर की इस धरोहर पर राज कपूर की फिल्में जब वहां पढ़ रहे छात्र देखेंगे तो निश्चित तौर पर राज कपूर जीवित न होकर भी वहां जीवंत नजर आयेंगे. उम्मीदन इस फिल्म स्कूल को वही मान व मर्यादा मिले जो पुणे स्थित फिल्म संस्थान का है और ज्यादा से ज्यादा बच्चे इससे लाभान्वित हो सकें. तो इस रूप में भी राज कपूर की फिल्में तो अब तक फिल्मों को समझने में सहायक हो ही रही थी. अब स्कूल के रूप में भी बच्चे फिल्मों की दुनिया की गहराई को समझ पायेंगे
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20150905
राज कपूर के नाम पर स्कूल
्नराजकपूर की इच्छा थी कि उनके लोनी फार्म का इस्तेमाल शिक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाये. वहां कोई भी व्यवसाय न किया जाये. उनके बच्चों ने अपने पिता की इस इच्छा का मान भी रखा और यही वजह थी कि पुणे स्थित इस फार्म हाउस में राजकपूर को ही श्रद्धांजलि के रूप में एक म्यूजियम समर्पित किया गया है. खुद राजकपूर के बच्चे रंधीर और राजीव कपूर ने इसका लोकार्पण भी किया. राजकपूर की पत् नी कृष्णा राज कपूर ने भी हमेशा यही इच्छा जताई थी कि राजकपूर की आखिरी इच्छा को पूरी की जा सके. राजकपूर स्वयं बहुत पढ़े लिखे नहीं थे. लेकिन उन्हें हमेशा यह अफसोस रहा कि वे कम पढ़े लिखे हैं और शायद वह और पढ़ाई करते तो और बेहतरीन काम कर सकते थे. शायद यही वजह है कि वे अपनी कमाई का कुछ हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग कराना चाहते थे. डॉ जाबरार पटेल, जो इस म्यूजियम का संचालन कर रहे. उनकी नयी योजना है कि वे राजकपूर के इस फार्म पर एक फिल्म स्कूल की भी शुरुआत करें. खास बात यह है कि फिल्म इंडस्ट्री के कई बड़ी शख्सियतों ने हामी भरी है. निश्चित तौर पर राज कपूर आज जहां भी होंगे. वे इस बात से बेहद प्रसन्न होंगे कि उन्होंने जिस क्षेत्र को अपना सबकुछ दे दिया. जहां उनकी आत्मा बसती थी. उसी क्षेत्र के लिए उनकी जमीन काम आ रही है. कल्पना करें कि राज कपूर की इस धरोहर पर राज कपूर की फिल्में जब वहां पढ़ रहे छात्र देखेंगे तो निश्चित तौर पर राज कपूर जीवित न होकर भी वहां जीवंत नजर आयेंगे. उम्मीदन इस फिल्म स्कूल को वही मान व मर्यादा मिले जो पुणे स्थित फिल्म संस्थान का है और ज्यादा से ज्यादा बच्चे इससे लाभान्वित हो सकें. तो इस रूप में भी राज कपूर की फिल्में तो अब तक फिल्मों को समझने में सहायक हो ही रही थी. अब स्कूल के रूप में भी बच्चे फिल्मों की दुनिया की गहराई को समझ पायेंगे
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