20150905

शोले व वर्तमान सिनेमा

शोले के 40 साल हाल ही में पूरे हुए हैं. हिंदी सिनेमा के इतिहास में बनी शोले एक ऐसी फिल्म है, जिसे लेकर आज भी कई शोध, कई तर्क जारी है. नसीरुद्दीन शाह ने अपनी किताब में जाहिर किया है कि वे शोले को महान फिल्मों में से एक नहीं मानते. उन्होंने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया कि किसी को इस विषय पर भी शोध करना चाहिए कि क्या वजह थी कि शोले को उस दौर में एक महान फिल्म साबित किया गया. जबकि शोले कई हॉलीवुड फिल्मों की नकल थी. फिल्म में चार्ली चैप्लीन की फिल्मों के भी कई दृश्य उधार लिये गये थे. दरअसल, जिस दौर में शोले में आयी, उस दौर में इंटरनेट व आमलोगों के बीच इतने एक्सपोजर नहीं थे. मनोरंजन के ही माध्यम काफी सीमित थे. ऐसे में जब शोले आयी तो लोगों ने महसूस किया कि यही उम्दा फिल्म है. लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है, कि भले ही शोले ने सिनेमा ने कोई ठोस योगदान न दिया हो. लेकिन मसाला फिल्मों की कड़ी में मल्टी स्टार्स को ेलेकर बनी फिल्मों व सफलता के सूत्र को जरूर उजागर कर दिया था. शोले के ट्रेंड पर अब भी फिल्में बनती आ रही हैं. सिर्फ पृष्ठभूमि बदली है. लेकिन कई चीजें ज्यों की त्यों ही हैं. आज शायद शोले रिलीज होती तो उसे अक्षय कुमार, सलमान खान की मसाला ब्रांड फिल्मों की तर्ज पर बनी फिल्मों में से एक माना जाता. अमिताभ बच्चन ने शोले की कामयाबी के  दौरान हुए एक प्रेस कांफ्रेंस में कई बातें दोहरायीं. उन्होंने बताया कि वे गब्बर का किरदार क्यों जीना चाहते थे. दरअसल, गब्बर ही शोले का एकमात्र ऐसा किरदार था, जिसने सिनेमा में एक नया किरदार का आविष्कार किया था. इससे पहले डाकुओं को फिल्म में सिर्फ लूटपाट मचाते देखा गया था. लार्जर देन लाइफ वाला खलनायक पहली बार परदे पर था. इसलिए लोगों को गब्बर आज भी याद हैं.

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