श्रद्धा कपूर और उनके भाई ने हाल ही में शक्ति कपूर को उनकी 400 फिल्मों की डीवीडी तोहफे के रूप में दी है और श्रद्धा और उनके भाई की कोशिश है कि वे उनकी शेष बची 300 फिल्मों की डीवीडी भी एकत्रित करेंगे और उसे अपने पिता को तोहफे में देंगे. श्रद्धा कपूर ने इन सवालों का हमेशा सामना किया है कि उनके पिताजी ने किस तरह की फिल्में की हैं और इसकी वजह से उन्हें कभी परेशानी हुई की नहीं. उन्होंने इसका जवाब भी दिया कि स्कूल में उन्हें इस बात से परेशानी होती थी,जब लोग कहते थे कि अरे तुम्हारे पिता ने फिल्म में क्या किया. लेकिन श्रद्धा ने कभी इस बात के लिए अपने पिता को गलत नहीं समझा. वह भी अभिनय की दुनिया में आ चुकी हैं और इस क्षेत्र को अच्छी तरह समझने लगी हैं. उन्हें इस बात से अब चिढ़ सी होने लगी है कि मीडिया के लोग अब भी उनके पिता के बारे में अजीब बातें करते हैं. लेकिन सफलता के साथ हालात भी बदलते हैं. निस्संदेह श्रद्धा ने अपने दम पर जो मुकाम हासिल कर लिया है. अब वह इस स्थिति में हैं कि अगर कोई उनका मजाक बनाएं, तो वह इस बात का डट कर सामना करेंगी. श्रद्धा पिता के करीबी रही हैं और हमेशा अपने परिवार का साथ चाहती हैं. दुनिया की नजरों से दूर श्रद्धा के लिए उनके पिता के कामों का संग्रह करना ठीक उसी तरह अहम है, जिस तरह किसी साहित्यकार के बच्चे उनके पिता के साहित्य को सहेजते हैं. दुनिया की नजर उसे जिस तरह से देखें. लेकिन एक बेटी की निगाह से अगर इस तोहफे को देखा जाये तो शक्ति कपूर के लिए भी वह बेटी श्रद्धा की श्रद्धा ही है. मुमकिन है कि आज शक्ति इस बात की गहराई को समझ पाये होंगे कि उनका काम किस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार के अन्य सदस्यों से जुड़ता जायेगा. लेकिन यह भी बात हकीकत है कि किसी के अभिनय की दुनिया से उसकी वास्तविक छवि का अनुमान लगाना अनमुचित है.
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