अभिषेक बच्चन जल्द ही आॅल इज वेल में खास भूमिका में नजर आयेंगे. अभिषेक का मानना है कि यह एक पारिवारिक फिल्म है.
अभिषेक, आॅल इज वेल किस तरह की फिल्म है. फिल्म पीकू की याद दिला रही है?
नहीं मुझे नहीं लगता कि किसी भी फिल्म किसी फिल्म से तुलना करना ठीक है. पीकू की अपनी कहानी थी. इस फिल्म की अपनी कहानी है. ऐसे तो हर फिल्म प्रेम कहानी हो जायेगी. लेकिन ऐसा नहीं है. हां, मगर आॅल इज वेल भी एक पारिवारिक फिल्म है और इसे देखने के बाद हर बच्चे को यह जरूर महसूस होगा कि वे अपने पेरेंट्स से प्यार करें. हम में से कितने लोग हैं, जो हर दिन घर जाकर अपने माता पिता को देखते हैं कमरे में कि वह ठीक से सो रहे हैं या नहीं. वह ठीक हैं या नहीं. जो साथ नहीं रहते वे कितनी बार माता पिता को फोन करके बोलते हैं कि आइ लव यू. लेकिन वही माता पिता को देखिए. आज भी मैं जब कहीं बाहर डिनर पर जाता हूं. पापा कहते हैं मुझे देर से मत आना. वक्त पर आ जाना. ठीक से खाया या नहीं. मां को चिंता रहती हैं. इस फिल्म को करने के बाद एक दिन मैंने अचानक मां को फोन करके आइलव यू कहा मां ने पूछा भी कि अरे अचानक तूझे क्या हुआ. मैंने बस यही कहा कि कुछ नहीं यूं ही कह दिया. तो बस इन्हीं छोटी छोटी चीजों को दिखाने वाली है यह फिल्म.
आप अपने माता पिता से प्यार का इजहार किस तरह करते हैं?
माता पिता से प्यार का इजहार कर पाना बच्चे के लिए बहुत कठिन है. मुझे नहीं लगता कि कोई भी बच्चा यह पूरी तरह कर पाता होगा. हां, बस मैं यह मानता हूं और समझता हूं कि माता पिता ने जो मुझे मूल्य दिये जिंदगी के. उन्हें मैंने अपनी जिंदगी में शामिल किया तो यही खास बात है. मैं तो बहुत लकी रहा हूं कि मेरे माता पिता मेरे साथ रहे. उनके माता पिता उनके साथ रहते थे. आप सोच कर देखें मेरी बेटी आराध्या कितनी खुशनसीब है कि उसे अमिताभ बच्चन का सानिध्य मिल रहा है. आज भी पापा का मूड होता है तो वे आराध्या को दादाजी की कविताएं सुनाते हैं. जाहिर है, वह काफी छोटी है अभी. उसे कुछ समझ नहीं आता होगा. लेकिन उसके चेहरे पर जो मुस्कान होती है और पापा के चेहरे पर जो मुस्कान होती है वह आत्मसंतुष्टि देती है. न सिर्फ आराध्या बल्कि हम पूरे परिवार जब साथ बैठते हैं तो पापा दादाजी की कविताएं सुनाते हैं और उससे हम सभी को बहुत ताकत मिलती है तो यह सब क्यों संभव हो पा रहा चूंकि पापा मां साथ हैं. सो, अगर आप खुद को समृद्ध करना चाहते हैं तो बड़ों का साथ बेहद जरूरी है. उनका आशीर्वाद बहुत जरूरी है.
इस फिल्म में आप ऋषि कपूर के साथ हैं. ऋषि कपूर से आपका रिश्ता कैसा रहा है?
चिंटू अंकल के साथ मैंन ेपहले भी काम किया है. दिल्ली 6 में. मैं उन्हें जानता तो बचपन से हूं और मैं उनका बहुत बड़ा एडमायर हूं. उनकी फिल्में मुझे अच्छी लगती थी. उन्होंने पापा के साथ काफी फिल्में की हैं. सो, हम बचपन में भी उनके सेट पर जाया करते थे. एक बात जो आज भी चिंटू अंकल में नहीं बदली है. वह यह कि अगर चिंटू अंकल को कोई प्यारा लगता है तो वे उसकी जम कर तारीफ कर देते हैं. कुछ कमी दिखे तब भी वे बता देते हैं. काफी सीखने का मौका मिलता है. पापा और चिंटू अंकल की जोड़ी हमेशा पसंद की गयी है. उम्मीद है दर्शकों को हमारी जोड़ी भी अच्छी लगेगी. फिल्म में सुप्रिया जी भी हैं. उनके साथ भी मैंने कई फिल्में की हैं. अच्छा लगता है ऐसे सीनियर के साथ काम करने में.
हाल ही में आपने इंडस्ट्री में अपने 15 साल पूरे किये. इस पूरे सफर को किस तरह देखते हैं आप?
मैं बहुत सकारात्मक आदमी हूं और हमेशा पोजिटिव ही रहता हूं. मुझे लगता है कि मुझे काफी कुछ मिला है. कई लोगों का प्यार मिला है. अच्छे निर्देशकों का साथ मिला है. अभी तक जो कुछ भी किया है, मेहनत से किया है. आगे भी मेहनत करूंगा.
हाल ही में आपने तुषार कपूर व अपने स्कूल की तसवीर शेयर की थी. अपने बचपन की यादों के बारे में कुछ बताएं?
जी हां, मैं और तुषार एक साथ एक ही स्कूल में पढ़ते थे. शाद अली की पत् नी हमारे साथ थीं और हम तब भी अच्छे दोस्त थे. अब भी हैं. बचपन में भी हम खूब मस्ती किया करते थे. बाद में मैं बाहर चला गया था पढ़ने. लेकिन बचपन की यादें साथ तो रह ही जाती हैं.
आपकी आनेवाली फिल्म
फिलहाल हाउसफुल 3 आयेगी.
अभिषेक, आॅल इज वेल किस तरह की फिल्म है. फिल्म पीकू की याद दिला रही है?
नहीं मुझे नहीं लगता कि किसी भी फिल्म किसी फिल्म से तुलना करना ठीक है. पीकू की अपनी कहानी थी. इस फिल्म की अपनी कहानी है. ऐसे तो हर फिल्म प्रेम कहानी हो जायेगी. लेकिन ऐसा नहीं है. हां, मगर आॅल इज वेल भी एक पारिवारिक फिल्म है और इसे देखने के बाद हर बच्चे को यह जरूर महसूस होगा कि वे अपने पेरेंट्स से प्यार करें. हम में से कितने लोग हैं, जो हर दिन घर जाकर अपने माता पिता को देखते हैं कमरे में कि वह ठीक से सो रहे हैं या नहीं. वह ठीक हैं या नहीं. जो साथ नहीं रहते वे कितनी बार माता पिता को फोन करके बोलते हैं कि आइ लव यू. लेकिन वही माता पिता को देखिए. आज भी मैं जब कहीं बाहर डिनर पर जाता हूं. पापा कहते हैं मुझे देर से मत आना. वक्त पर आ जाना. ठीक से खाया या नहीं. मां को चिंता रहती हैं. इस फिल्म को करने के बाद एक दिन मैंने अचानक मां को फोन करके आइलव यू कहा मां ने पूछा भी कि अरे अचानक तूझे क्या हुआ. मैंने बस यही कहा कि कुछ नहीं यूं ही कह दिया. तो बस इन्हीं छोटी छोटी चीजों को दिखाने वाली है यह फिल्म.
आप अपने माता पिता से प्यार का इजहार किस तरह करते हैं?
माता पिता से प्यार का इजहार कर पाना बच्चे के लिए बहुत कठिन है. मुझे नहीं लगता कि कोई भी बच्चा यह पूरी तरह कर पाता होगा. हां, बस मैं यह मानता हूं और समझता हूं कि माता पिता ने जो मुझे मूल्य दिये जिंदगी के. उन्हें मैंने अपनी जिंदगी में शामिल किया तो यही खास बात है. मैं तो बहुत लकी रहा हूं कि मेरे माता पिता मेरे साथ रहे. उनके माता पिता उनके साथ रहते थे. आप सोच कर देखें मेरी बेटी आराध्या कितनी खुशनसीब है कि उसे अमिताभ बच्चन का सानिध्य मिल रहा है. आज भी पापा का मूड होता है तो वे आराध्या को दादाजी की कविताएं सुनाते हैं. जाहिर है, वह काफी छोटी है अभी. उसे कुछ समझ नहीं आता होगा. लेकिन उसके चेहरे पर जो मुस्कान होती है और पापा के चेहरे पर जो मुस्कान होती है वह आत्मसंतुष्टि देती है. न सिर्फ आराध्या बल्कि हम पूरे परिवार जब साथ बैठते हैं तो पापा दादाजी की कविताएं सुनाते हैं और उससे हम सभी को बहुत ताकत मिलती है तो यह सब क्यों संभव हो पा रहा चूंकि पापा मां साथ हैं. सो, अगर आप खुद को समृद्ध करना चाहते हैं तो बड़ों का साथ बेहद जरूरी है. उनका आशीर्वाद बहुत जरूरी है.
इस फिल्म में आप ऋषि कपूर के साथ हैं. ऋषि कपूर से आपका रिश्ता कैसा रहा है?
चिंटू अंकल के साथ मैंन ेपहले भी काम किया है. दिल्ली 6 में. मैं उन्हें जानता तो बचपन से हूं और मैं उनका बहुत बड़ा एडमायर हूं. उनकी फिल्में मुझे अच्छी लगती थी. उन्होंने पापा के साथ काफी फिल्में की हैं. सो, हम बचपन में भी उनके सेट पर जाया करते थे. एक बात जो आज भी चिंटू अंकल में नहीं बदली है. वह यह कि अगर चिंटू अंकल को कोई प्यारा लगता है तो वे उसकी जम कर तारीफ कर देते हैं. कुछ कमी दिखे तब भी वे बता देते हैं. काफी सीखने का मौका मिलता है. पापा और चिंटू अंकल की जोड़ी हमेशा पसंद की गयी है. उम्मीद है दर्शकों को हमारी जोड़ी भी अच्छी लगेगी. फिल्म में सुप्रिया जी भी हैं. उनके साथ भी मैंने कई फिल्में की हैं. अच्छा लगता है ऐसे सीनियर के साथ काम करने में.
हाल ही में आपने इंडस्ट्री में अपने 15 साल पूरे किये. इस पूरे सफर को किस तरह देखते हैं आप?
मैं बहुत सकारात्मक आदमी हूं और हमेशा पोजिटिव ही रहता हूं. मुझे लगता है कि मुझे काफी कुछ मिला है. कई लोगों का प्यार मिला है. अच्छे निर्देशकों का साथ मिला है. अभी तक जो कुछ भी किया है, मेहनत से किया है. आगे भी मेहनत करूंगा.
हाल ही में आपने तुषार कपूर व अपने स्कूल की तसवीर शेयर की थी. अपने बचपन की यादों के बारे में कुछ बताएं?
जी हां, मैं और तुषार एक साथ एक ही स्कूल में पढ़ते थे. शाद अली की पत् नी हमारे साथ थीं और हम तब भी अच्छे दोस्त थे. अब भी हैं. बचपन में भी हम खूब मस्ती किया करते थे. बाद में मैं बाहर चला गया था पढ़ने. लेकिन बचपन की यादें साथ तो रह ही जाती हैं.
आपकी आनेवाली फिल्म
फिलहाल हाउसफुल 3 आयेगी.
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