20140218

पहला कदम


हाल ही में फिल्म क्वीन के निर्देशक विकास बहल से बातचीत हुई. उन्होंने बताया कि उन्होंने शुरुआत टीवी से ही की थी. बाद में उन्होंने फिल्मों में कदम बढ़ाये. अनुराग बसु ने भी शुरुआत टीवी से ही की थी. और वे हमेशा कहा करते हैं कि हर नये टैलेंट को पहले टीवी में अपना हाथ आजमाना चाहिए. इससे उन्हें इस इंडस्ट्री के कल्चर के बारे में जानकारी मिल जाती है और फिर वे सही तरीके से फिल्मों से जुड़ पाते हैं. खासतौर से मुंबई से बाहर फिल्मों की दुनिया में कदम रखने का सपना देखने वालों के लिए यह बेहद जरूरी है कि उन्हें इस बात की पूरी जानकारी हो कि आखिर फिल्मी दुनिया की असलियत क्या है. किस तरह सपनों को उड़ान भरने के लिए भी उन्हें सही तरीका चुनना होगा. फिल्म गिप्पी की निर्देशिका सोनम नायर ने एक बेहतरीन लेख लिखा है कि अगर आप अपनी पहली शुरुआत करना चाहते हैं तो आपको किस तरह की तैयारी करनी चाहिए. उन्होंने बताया है कि कभी बड़े प्रोडक् शन हाउस को टारगेट न करें. लेकिन मुंबई से बाहर रहनेवाले युवाओं की हमेशा यही कोशिश होती है कि वे आकर तुरंत बड़े प्रोडक् शन से जुड़ जायें और जब उन्हें वहां से निराशा मिलती है तो उनका मनोबल टूट जाता है. जबकि हकीकत यही है कि कोई भी प्रोडक् शन हाउस अपनी फिल्मों पर करोड़ों खर्च करता है तो वह किसी भी नौसिखिया को काम नहीं सौंपेगा. इस हकीकत को नये लोग जितनी जल्दी स्वीकारें उतना बेहतर. किई निर्माता निर्देशक जो अपनी पहचान बना चुके हैं. उन्हें भी हर फिल्म के बाद अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है.फिल्में बनाने का मतलब आपकी फिल्म में स्टार्स हो यह जरूरी नहीं. आप शॉर्ट फिल्मों से भी अच्छी शुुरुआत कर सकते हैं.कई वर्कशॉप होते हैं. उनके माध्यम से भी रास्ते बन सकते हैं. जरूरी यही है कि पहला कदम सोच समझ कर लिया जाये.

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