20140217

दो स्थापित अभिनेत्री

 किसी महिला प्रधान फिल्म में किसी अभिनेत्री के लिए खुद को साबित करना कहीं ज्यादा आसान होता है. बजाय किसी ऐसी फिल्म में, जिसमें स्टार अभिनेता हों. इन दिनों यह चर्चा जोरों पर है कि कट्रीना कैफ को आमिर खान की वजह से अपने एक साल गवाने पड़े हैं और उस वजह से दीपिका पादुकोण ने बाजी मार ली है. लेकिन यहां बात सिर्फ फिल्मों के चुनाव की नहीं है. दीपिका पादुकोण ने उन फिल्मों में भी अपनी खास पहचान बना ली है, जिनमें उनकी अपेक्षा या तो पुरुष के किरदार को अधिक महत्ता दी गयी थी. या फिर उन फिल्मों में भी जिनमें सुपरसितारा हों. हिंदी सिनेमा इंडस्ट्री की अभिनेत्रियों की यह विडंबना रही है कि वे यह मानती हैं कि अगर वह खान के साथ काम कर रही हैं तो वह शीर्ष हैं. जबकि इन सबसे इतर दीपिका और विद्या बालन जैसी अभिनेत्रियों ने साबित कर दिया है कि वे अपने दम पर भी फिल्मों में पहचान स्थापित कर सकती हैं. जो आहुवाहन विद्या बालन ने किया था तो उसे एक श्रेणी और आगे दीपिका ले जा रही हैं. दीपिका उन फिल्मों में अपना सर्वश्रेष्ठ देने में कामयाब हुई हैं, जिनमें पुरुष अभिनेता ज्यादा प्रभावशाली हैं. फिर चाहे वह फिल्म रामलीला हो, कॉकटेल हो या फिर ये जवानी है दीवानी. शाहरुख खान की फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस में भी सबसे ज्यादा तारीफ दीपिका की हुई. इससे साबित होता है कि दीपिका कड़ी मेहनत कर रही हैं और वह सोनाक्षी और कट्रीना की तरह सिर्फ नाच गाने वाली फिल्मों तक खुद को सीमित नहीं रख रहीं. करीना दीपिका को टक्कर दे सकती थीं . लेकिन उनके फिल्मों के गलत चुनाव और अभिनय में अत्यधिक दिखावटीपन अब उन्हें उबाउ बना रहा है. फिलवक्त दीपिका और विद्या हिंदी सिनेमा की दो सशक्त अभिनेत्री स्थापित हो चुकी हैं. अगर किसी फिल्म में इन दोनों का सामना हो तो वह फिल्म दिलचस्प होगी.

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