अब जब बच्चे खाना नहीं खाते तो मां कहती सो जाओ, खाना खा लो नहीं तो लोहा सिंह आ जायेगा. हर मां भगवान से प्रार्थना करती कि हे भगवान मुझे तुलसी के कुपुत्र वंश की तरह पुत्र न देना. कोई भी पत्नी मिस्टर बजाज के मिजाज के व्यक्ति से शादी नहीं करना चाहती. बात हो रही है फिलवक्त टेलीविजन की दुनिया में राज करनेवाले खलनायक व दर्शकों के पसंदीदा नकारात्मक किरदारों की.
भांवें सिकुड़ी, लंबे बाल, तिरछी नजर, जहर घोलती बोली व काले कपड़ों में अपनी लंगड़ाती चाल में पहली बार सकुनी मामा ने महाभारत सीरियल के माध्यम से जब पहली बार अपने प्रिय भांजे दुर्योधन की नगरी में प्रवेश किया तो भारतीय टेलीविजन पर दर्शकों को पौराणिक काल में हुए महाभारत की वास्तविक दृश्य देखने का मौका मिला. जरा सोचिए, अगर सकुनी मामा न होते तो महाभारत कैसे छिड़ती. कौन दुर्योधन को पाठ पढ़ाता. रामायण बनी तो रावण ने सीता का हरण किया और पूरी लंका तहस-नहस हुई. दरअसल, किसी भी धारावाहिक में जितनी अहम भूमिका नायकों की है उतनी ही खलनायकों की भी है. वजह, नायकों का चरित्र पूरी तरह तभी उभर कर सामने आता है, जब वह अपने विरोध में खड़े किसी खलनायको को पराजित कर डालता है. शायद यही वजह है कि टेलीविजन की दुनिया में भी दर्शकों की नजर में नायक जितने लोकप्रिय होते गये. उनके साथ-साथ नकारात्मक भूमिका निभानेवाले किरदारों को भी नकारात्मक किरदार निभाने के बाद भी दर्शकों का प्यार मिलता रहा. महाभारत में अभिनेता गुफी पेंटल ने सकुनी मामा के रूप में जो पहचान बनायी. उसे आज भी लोग उसी रूप में याद करते हैं. रामायण में रावण की भूमिका निभानेवाले अरविंद त्रिवेदी तो इस भूमिका को अपना सबसे बड़ा धरोहर मानते हैं. यही वजह है कि फिल्मों में मोंगेंबो, प्रेम चोपड़ा, अजीत व गब्बर जैसे खलनायक किरदारों को भी दर्शकों का भरपूर प्यार मिलता रहा है. किसी भी सीरियल में नकारात्मक किरदारों की भूमिका अहम है. यह इस बात से स्पष्ट है कि इनके चरित्रों को तलाशते में निर्माता या निदर्ेशक सबसे ज्यादा गंभीरता से सोचते हैं. भारत के पहले टेलीविजन शो से लेकर अब तक कई अभिनेताओं ने नकारात्मक भूमिका निभा कर ही प्रसिध्दी हासिल की. खलनायकों ने भी कई दौर बदले. एक दौर में यह कमान केवल पुरुषों के हाथों में थी, क्योंकि अधिकतर सीरियल में महिलाओं को ममता की मूरत दिखाना निर्माताओं की जरूरत थी. अचानक यह दौर बदला. कसौटी की कोमोलिका, क्योंकि की मंदिरा व पायल, कहानी की पल्लवी ने यह कमान संभाली. दौर में फिर बदलाव हुए और एक बार फिर टेलीविजन की लंबी फेहरिस्त में शामिल हो गये पुरुष खलनायक किरदारों के नाम. उनके बात करने के अंदाज , उनके रहन सहन के अंदाज घर-घर में लोकप्रिय होने लगे.
चना चबाते ठाकुर लोहा सिंह
जीटीवी के शो अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो में हवेली के ठाकुर लोहा सिंह स्क्रीन पर हमेशा गुस्से में ही नजर आते हैं. जब उन्हें गुस्सा आता है तो वे अपने पिता को भी कुछ नहीं समझते. खासतौर से उनका चना का भूंजा चबाना दर्शकों को बेहद भाता है. इन दिनों जब कोई घर पर चने चबाता है तो वे यही कहते हैं कि क्या भाई हमेशा लोहा सिंह की तरहचने चबाते रहते हों. लोहा सिंह का किरदार निभा रहे सुदेश बेरी ने फिल्मों में हीरो के रूप में करियर की शुरुआत की थी. लेकिन उनकी असल पहचान लोहा सिंह के रूप में बनी, जिससे वह बेहद खुश हैं. पूरी हवेली पर ही नहीं बल्कि दर्शकों के दिलों पर भी उनका ही राज चलता है. इसी सीरियल में नकारात्मक भूमिका निभा रहे रणविजय के किरदार को भी दर्शकों ने बेहद पसंद किया. रणविजय व लोहा सिंह हमेशा लाली पर जुर्म ढाते रहते हैं.
जमुनिया के एक और सकुनी मामाजी
इन दनिों टेलीविजन पर एक और सकुनी मामा बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं. कलर्स के शो भाग्यविधाता में नकारात्मक भूमिका निभाने के बाद अब एनडीटीवी के शो जमुनिया में अपनी बहन की बेटी जमुनिया पर अत्याचार करते जा रहे हैं. पैसों के लिए वह तो अपनी भांजी की सड़क दूर्घटना करवाने से भी नहीं चूकते.
सकुनी मामा, कंस मामा व रावण
महाभारत में सकुनी मामा की भूमिका निभा चुके गुफी पेंटल ने भले ही इसके बाद कई भूमिकाएं निभायीं. लेकिन आज भी लोग उन्हें सकुनी मामा के रूप में ही याद करते हैं. कंस मामा के रूप में अखिलेश मिश्रा को लोग आज भी कंस मामा ही पुकारते हैं.
कसौटी पर उतरे मिस्टर बजाज
कसौटी जिंदगी की में मिस्टर बजाज की भूमिका निभाने के बाद ही रॉनित रॉय को असल पहचान मिली.
न हो वंश सा बेटा
क्योंकि सास भी कभी बहू थी के दूसरे पीढ़ी में तुलसी के वंश को दर्शकों ने खलनायक के रूप में बेहद पसंद किया. वंश का किरदार निभा चुके आकाशदिप सचदेव के बड़े-बड़े बाल व गौरी पर किये गये उसके अत्याचार के बारे में आज भी जब लोग बात करते हैं तो डर से कांप उठते हैं.
चंद्रकाता का यक्कू कुरुड़ सिंह
दूरदर्शन के लोकप्रिय धारावाहिक कुरुड़ सिंह की भूमिका निभा चुके अखिलेश मिश्र आज भी कुरुड़ सिंह के नाम से ही लोकप्रिय हैं. उनके बड़े, उलझे हुए बाल पहचान थी. आज भी जब लड़के बाल बड़े कर लेते हैंं और उनके बाद उलझे दिखते हैं तो उनकी मां यही कहती हैं कि क्या बेटा कुरुड़ सिंह की तरह बाल क्यों कर रखा है. कुरुड़ सिंह का वह संवाद यकू... आज भी दर्शकों का फेवरिट टैगलाइन है.
तिलविश ःअंधेरा कायम रहे
बच्चों के फेवरिट शो शक्तिमान के तिलविश का अंधेरा कायम रहे और उसके खतरनाक तिलिस्म से बच्चे आज भी डर जाते हैं.
वैसे किरदार जिन्हें नेगेटिव किरदार देखना पसंद नहीं करते दर्शक
चाहे फिल्म हो या सीरियल दर्शक किसी भी किरदार से भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं. शायद यही वजह है कि ऐसे कई अभिनेता हैं, जिन्हें उन्होंने पहले नायक की भूमिका में अपने मानस पटल पर बिठा लिया है, उन्हें वे नेगेटिव भूमिका में नहीं देखना चाहते.
मोहिनिश बहल ः राम की तरह बड़ा भाई
वजह ः हम आपके हैं कौन, हम साथ-साथ हैं में मोहिनिश बहल ने राम की तरह बड़े भाई का किरदार निभाया था. लोग उन्हें आज भी फिल्मों में नेगेटिव किरदार में नहीं पसंद करते
आलोक नाथः आदर्श पिता
वजह ः आलोक नाथ ने हमेशा टेलीविजन व फिल्मों में एक आदर्श पिता का किरदार निभाया है. यही वजह है कि उन्हें जब भी नेगेटिव किरदार निभाने का प्रस्ताव भी मिला तो उन्होंने मना कर दिया, क्योंकि दर्शक उन्हें उस रूप में नहीं अपना पाते.
रीमा लागू
वजह ः हम आपके हैं कौन व कई फिल्मों में मां का किरदार निभाने के कारण दर्शक उन्हें मां के रूप में ही देखना चाहते हैं.
संजय गांधी ( ये रिश्ता क्या कहलाता है दद्दा जी का किरदार)
संजय गांधी को आप संजय गांधी के नाम से कम दद्दाजी के नाम से अधिक पहचानते होंगे. अभी हाल ही में उन्हें एक बड़े बैनर से नेगेटिव किरदार निभाने का मौका मिला. बकौल संजय बताते हैं कि वह दर्शकों के सामने अपनी बनी बनायी इमेज खराब नहीं करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने किरदारों को न कहा. इसके अलावा क्योंकि में तुलसी की भूमिका निभा चुकी स्मृति, कहानी की पार्वती भाभी साक्षी, व मिहिर की भूमिका निभा चुके अमर उपाध्याय को दर्शक बिल्कुल नकारात्मक किरदारों में नहीं देखना चाहते.
मेकअप की भी अहम भूमिका
धोती कुर्ता है लोकप्रिय
खलनायक की भूमिका को एक्टिंग का सबसे महत्वपूर्ण व सबसे कठिन पहलू माना जाता है. वजह नेगेटिव शेड को स्थापित करने में एक्टर की भाव-भंगिमा , एक्सप्रेशंस सभी चीजों पर मेहनत करनी पड़ती है. कासतौर से उसके मेकअप पर भी, ताकि न केवल चाल-ढाल, बात-व्यवहार , बल्कि दिखने में भी वह खलनायक रूप में नजर आये. टेलीविजन के खलनायकों को इन दिनों धोती कुर्ता में खूब दिखाया जा रहा है. अगले जनम के ठाकुर लोहा सिंह हो या बालिका वधू का महावीर सिंह या फिर जमुनिया के मामा सभी इन दिनों धोती कुतर्े में नजर आते हैं. इसके अलावा बड़े बाल, बढ़ी हुई घनी दाढ़ी, पुष्ठ शरीर भी खलनायकों के चरित्र को स्थापित करती है.
खलनायकों की भूमिका में फिट बैठते है यह अभिनेता
अखिलेश मिश्रा( कुरुड़ सिंह फेम)
मुकेश तिवारी( जे बात मेरे मन को भाया, मैं कुत्ता काट के खाया- फिल्म चाइनागेट के खलनायक).
लोकप्रिय महिला खलनायिका
कसौटी जिंदगी की कोमोलिका
कहानी घर घर की पल्लवी.
क्योंकि सास भी कभी बहू थी मंदिरा, पायल.
ना आना इस देस में लाडो की अम्माजी
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