इन दिनों स्टार प्लस के धारावाहिकों व शोज के अंतराल पर स्टार प्लस एंथम प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसमें एक घर की महिला को सूर्यास्त तक पूरे घर की जिम्मेदारी व साथ ही बाहर की जिम्मेदारियों का निर्वाह करते दिखाया गया है. वह सुबह उठने के साथ बच्चे व पति के नाश्ते बनाने में जुट जाती है. फिर अपने परिवारवालों की सारी जरूरतों को पूरा कर बाहर निकल जाती है. सड़क पर भी वह अपना सशक्तिकरण दिखाने से गुरेज नहीं करती. जरूरत पड़ने पर वह खुद अव्यवस्था को सुधारने के लिए उतर जाती है. वह गोटी भी खेलती है और टीवी के न्यूज के लिए एंकरिंग भी करती है. उसे घर भी पहुंचना है वक्त पर, क्योंकि उसका परिवार उसका घर पर इंतजार कर रहा होता है. दरअसल, स्टार प्लस ने वाकई इस हफ्ते से एक नयी शुरुआत की है. महिला सशक्तिकरण को दर्शाने की यह एक खूबसूरत पेशकश है. इसके बोल तू ही तू हर तरफ बस तू ही तू इस बात की पुष्टि करते हैं कि आप कितनी भी ऊंचाईयों पर पहुंच जायें आपको मानना ही होगा कि आपके पीछे एक मजबूत स्तंभ के रूप में आपके परिवार की महिला खड़ी हैं. अभी हाल में ही फेसबुक पर विभा रानी के स्टेटस पर नजर गयीं.उन्होंने अपने स्टेटस पर अपने परिवार की कुक फातिमा की तसवीर बाइज्जत लगा रखी थी. सिर्फ चंद शब्दों में उन्होंने अपने सफलता का पूरा श्रेय उन्हें दे दिया कि हमारे घर की सफलता के पीछे है हमारी कुक फातिमा का बड़ा हाथ. वाकई यहां भी सफलता के पीछे एक महिला हैं. हकीकत भी यही है कि किसी न किसी रूप में कहीं न कहीं महिलाएं हर व्यक्ति के सफलता के पीछे है. स्टार प्लस के इस एंथम ने इस माध्यम से वाकई महिलाओं को सलाम किया है और बेहतरीन तरीके से उन्हें दर्शकों तक पहुंचाया है. दरअसल, सच भी यही है कि 24 घंटे घड़ी की टिक टिक से साथ घर की महिलाएं भी कदमताल करती हैं. लेकिन शिकायत नहीं करती. इतने वर्षों बाद भी हम अगर सिर्फ दावा करेंगे कि महिलाएं ही हमारी सफलता की मूलसूत्र हैं तो शायद यह सिर्फ कहने की बातें लगे.वास्तविकता तो यह है कि और जरूरी भी कि हम वाकई महिलाओं को उनके हाउस वाइफ की जिम्मेदारी संभालने का भी श्रेय दें. बहुत खुशी होती है वैसे पुरुषों से मिल कर जो यह कहते हैं कि घर संभालना भी कोई आसान काम नहीं है. यहां तो भावनाओं की फाइल का भी ख्याल रखना पड़ता है वह अधिक कठिन है. मेरी पत्नी ने तो वह सारी जिम्मेदारी निभाई. मैं तो गर्व से कहता हूं कि मेरी पत्नी हाउस वाइफ है.
अनुप्रिया
अच्छा प्रयास. लड़की होने का दायित्व आपने भी निभाया. इस पर अपना लेख देकर. अच्छा लगा पढ़ कर. आप बधाई की पात्र हैं.
ReplyDeleteबहुत बढिया लिखा है तुमने. गर्व हर बात में है. परंतु क्या वे लोग, जो यह गर्व से कहते हैं कि उनकी पत्नी हाउस वाइफ हैं, अपने बारे में उतने ही गर्व से कहेंगे कि वे हाउस हस्बैंड हैं? कोई यदि हाउस हस्बैंड बन जाता है तो उसे या तो जलालत से देखा जाता है या उसे महिमामंडित किया जाता है. स्टार प्लस का यह विज्ञापन नारी मुक्ति से अधिक उसके बंधुआपन को अधिक दर्शाता है, शुगर कोटेड कुनैन.
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