20110207

अब हमारे साथ बोलिए लाइट, कैमरा, एक्शन

महिलाएं बेहतरीन अदाकारा होने के साथ-साथ निदर्ेशन के क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभा सकती हैं. यह उन्होंने लगातार अपनी निदर्ेशन क्षमता व प्रदर्शन से साबित किया है. महिला फिल्मकारों द्वारा फिल्म निर्माण कोई नया विषय नहीं. कई दशकों से महिलाओं ने अपनी क्रियेटिव निदर्ेशन क्षमता से सबको आश्चर्यचकित किया है. यहां तक कि जब भारत में फिल्मों का साइलेंट ऐरा चल रहा था उस वक्त भी तमाम बंदिशों के बावजूद कई महिला निदर्ेशकों ने फिल्में बनाने की पहल की और अपने काम से ख्याति बटोरी. फातिमा बेगम उनमें से एक नाम है, जिन्होंने भारत की पहली महिला निदर्ेशिका होने का श्रेय तो मिलता ही है. उनकी साइलेंट फिल्म बुलबुल ए पाकिस्तान उनमें सबसे ज्यादा पसंद की गयी. इसके अलावा लगातार दक्षिण, पश्चिमी भारत व पूर्वी भारत में भी महिला निदर्ेशकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की. तनुजा चंद्रा की फिल्म संघर्ष व दुश्मन को दर्शकों ने बेहद पसंद किया था. कल्पना लाजमी, मीरा नायर, दीपा मेहता व गुरमित अलग विषयों पर फिल्में बनाने के लिए प्रसिध्द हैं. मृणाल सेन की फिल्मों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अलग पहचान बनायी.

अभी हाल के वर्षों में महिलाएं निदर्ेशन के साथ-साथ निर्माण के क्षेत्र में भी कदम बढ़ा रही हैं. खासतौर से युवा महिलाएं तेजी से इस ओर कदम बढ़ा रही हैं. महिला निदर्ेशकों की नयी ब्रिगेड पर एक नजर

लीना यादव ः ऐश्वर्या राय व संजय दत्त अभिनित फिल्म शब्द लीना की पहली डायरेक्शनल डेब्युट थी. फिल्म को खास कामयाबी नहीं मिली. पर शब्द के विषय को पसंद किया गया. अभी हाल में ही निदर्ेशित हुई फिल्म तीन पत्ती की निदर्ेशक लीना यादव भी महिला हैं. और इसकी प्रोडयूसर अंबिका हिंदुजा भी महिला ही हैं. जल्द ही लीना व अंबिका हिंदुजा और कई प्रोडक्शन करनेवाली हैं. गौरतलब है कि अंबिका हिंदुजा काफी कम उम्र से ही निर्माण के क्षेत्र से जुड़ गयी हैं और उनकी कंपनी हिंदुजा इनोवेशन की यह पहली फिल्म है. जल्द ही और भी कई फिल्में बननेवाली हैं. फर्राटेदार अंबिका दिखने में छोटी सी बच्ची दिखती हैं पर पूरे प्रोडक्शन हाउस में उनकी ही तूती बोलती है. उनकी अनुमति के बिना कुछ नहीं होता. अंबिका लड़कियों के निर्माण क्षेत्र में कदम रखने के बारे में कहती हैं कि महिलाएं मैनेजमेंट अच्छी तरीके से कर सकती हैं. इसलिए वे अच्छी प्रोडयूसर बन सकती हैं.

कविता बड़जात्या ः राजश्री प्रोडक्शन की नयी पीढ़ी कविता बड़जात्या ने बहुत कम उम्र में निदर्ेशन के क्षेत्र में कदम रखा. उन्होंने निदर्ेशन की बारीकी अपने भाई सूरज बड़जात्या से सीखी और टेलीविजन के लिए मैं तेरी परछाई हूं का निदर्ेशन किया. दो हंसों का जोड़ा व वो रहनेवाली महलों का निर्माण भी वहीं संभाल रही हैं. जल्द ही उनकी नयी फिल्म राजश्री बैनर के तले युवाओं पर आधारत लाइफ में स्टाइल होना मांगता आनेवाली है. वह अपने निदर्ेशन क्षेत्र में कदम रखने के बारे में कहती हैं कि राजश्री प्रोडक्शन का मेरे साथ नाम जुड़ना ही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि हैं. मेरी हमेशा कोशिश होगी कि मैं उसकी गरिमा को बरकरार रखते हुए फिल्में बनाऊं.

आरती सुरेंद्रनाथ ः फिर मिले सुर के निर्माण से आरती सुरेंद्रनाथ से फिर से वापसी की है. वे अपने प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले कई एलबम, म्यूजिकल फिल्मस व सीरियल का निर्माण व निदर्ेशन साथ-साथ कर रही हैं.

फरहा खान ः फरहा खान की फिल्म ओम शांति ओम को मिली कामयाबी के साथ ही अब फरहा दूसरी पारी तीस मार खां के रूप में खेलने जा रही हैं. फरहा ने न केवल फिल्मों के निदर्ेशन से खुद को जोड़ रखा है, बल्कि वे टीवी पर भी कई शोज में अपने निदर्ेशन की क्रियेटिवीटी दिखाती रहती हैं. स्टार प्लस के शो तेरे मेरे बीच के टॉक शो को काफी पसंद किया गया था.

जोया अख्तर ः निदर्ेशन के क्षेत्र में कड़ी मेहनत के बाद जोया अख्तर की पहली फिल्म लक बाय चांस आयी. फरहान अख्तर की बहन जोया लगातार फिल्मों पर काम करती रहती हैं और जब तक वह पूरी तरह संतुष्ट नहीं होती निदर्ेशन नहीं करतीं. फिल्मी बैकग्राउंड होने के बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत से इंडस्ट्री में पहचान बनायी है.

किरण राव ः आमिर खान की पत्नी किरण राव जल्द ही अपनी फिल्म धोबी घाट से इंडस्ट्री में बतौर डायरेक्टर आनेवाली हैं. खास बात यह है कि किरण राव कई सालों से लगातार फिल्मों को अस्टिट कर रही हैं ताकि वे बारीकियां सीख सकें. गौरतलब है कि तारें जमीं पर व लगान में उन्होंने बतौर अस्टिटेंट के रूप में काम भी किया था.

पश्चिमी भारत में महिला निदर्ेशक ः साईं प्रराजपई, मेघना गुलजार, तनुजा चंद्रा जैसी कई महिला डायरेक्टर्स ने महिलाओं को केंद्रित करते हुए फिल्में बनायी. मराठी थियेटर की सुप्रसिध्द निदर्ेशिका विजया मेहता भी शुरुआती दौर में गंभीर निदर्ेशक के रूप में खुद को स्थापित किया. साईं परमजापईं को उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से भी नवाजा गया. इसके अलावा कल्पना लाजमी की फिल्म रुदाली ने अपनी अलग छाप छोड़ी. इसके अलावा मीरा नायर, दीपा मेहता, गुरविंदर चड्डा, मेघना गुलजार, तनुजा चंद्रा, पूजा भट्ट ने इस ट्रेंड को आगे बढ़ाया.

पूर्वी भारत की महिला निदर्ेशक ः कोलकाता की अपर्णा सेन कई नेशनल अवार्ड्स की विजेता भी रही हैं. अर्पणा सेन को कोलकाता फिल्म इंडस्ट्री एक माइलस्टोन मानची है. इन्होंने तीन कन्या, 36 चौरंजी लेन, सती, परोमा, युगंत, पार्क एवन्यू, मिस्टर एंड मिसेज अय्यर जैसी फिल्में बना कर ख्याति हासिल की.

दक्षिण भारत की महिला निदर्ेशक ः टीपी राजलक्ष्मी के रूप में सन 1936 में पहली बार दक्षिण भारत को महिला निदर्ेशिका मिलीं. उन्होंने पहली बार मिस कमला डायरेक्ट की. इसके बाद मधुरई विरान, विजया निर्मला, मीना ने तेलुगु, तमिल व मलयालम में कई फिल्में दी.

रेवती ने लगातार दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री व हिंदी फिल्म जगत दोनों के लिए कई फिल्में डायरेक्ट कीं. जिनमें मित्र माइ फ्रेंड और फिर मिलेंगे सबसे ज्यादा पसंद की गयी. इसके अलावा उन्हें अंगरेजी फिल्म डायरेक्ट करने के लिए नेशनल अवार्ड भी मिला. प्रेम करनाथ को कन्नड़ महिला डायरेक्टर के रूप में ख्याति मिली.

अनुप्रिया अनंत

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