मध्यमवर्गीय परिवार की सीधी-साधी बहू के रूप में छोटे परदे पर एक और बहू का आगमन हो चुका है. बात हो रही है आरती सिंह की. कलर्स के नये शो थोड़ा है बस थोड़े की जरूरत है में वह कुशल बहू का किरदार निभा रही हैं.
किरदार के बारे में बताएं
मैं मुग्धा का किरदार निभा रही हूं. वह अपने परिवार से बेहद प्यार करती है. अपने परिवार के लिए वह कुछ भी समझौता करने को तैयार है. वह छोटी-छोटी में बड़ी खुशियां तलाशने की कोशिश करती है.
प्रोमो में आपको एक साथ कई काम करते दिखाया जा रहा है.
हां, मुग्धा अपने परिवार के लिए किसी जैकपॉट से कम नहीं. उसके परिवार को उसके कई अपेक्षाएं हैं. वह हर किसी की इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करती है. अगर पूरी नहीं हो पाती तो वह दुखी हो जाती है, क्योंकि वह जानती है कि उसके परिवारवाले पूरी तरह उस पर ही निर्भर हैं. इसलिए प्रोमो के माध्यम से यह संदेश पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.
तो क्या आपको लगता है कि किसी घरेलू महिला के लिए एक साथ सबकी अपेक्षाओं को पूरा कर पाना संभव है.
दरअसल, हमारे समाज में मध्यमवर्गीय महिलाओं की स्थिति यही है. वह अपने लिए कम दूसरों के लिए अधिक जीने की कोशिश करती है. थोड़ा है की मुग्धा उसी घरेलू महिला का एक रूप है. हां, इन दिनों दिखाई जानेवाली अन्य टेलीविजन की महिलाओं में व मुग्धा में सबसे खास अंतर यह है कि वह किसी की कॉपी नहीं करती. शिकायत नहीं करती और उसे बेबस नहीं दिखाया गया है.
किरदार निभाने का मौका कैसे मिला.
गोल्डी बहल ने मुझे कॉल किया था लेकिन वह इस बात से चिंतित थे कि क्या मैं अपने किरदार में मराठी एसेंट ला पाऊंगी. जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ने की शुरुआत की. उनके चेहरे के हाव-भाव से मुझे समझ में आ गया कि उन्हें मेरे डॉयलॉग पसंद नहीं आ रहे. फिर मुझे मेरे टीम के सदस्यों ने मदद की और अब मैं मराठी बोल पाने व उनकी संस्कृति को समझने में समर्थ हो चुकी हूं.
घरेलू महिला की छवि हमेशा साड़ी में ही क्यों दिखाई जाती है. क्या घरेलू महिला का कुछ खास जुड़ाव है साड़ी से.
देखिए अभी मैंने आपसे संस्कृति की बात की है. हमारी संस्कृति में साड़ी को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है.आप इसे हमारी संस्कृति का हीरा भी कह सकते हैं. साड़ी में किसी भी औरत की खूबसूरती व उसकी मासूमियत नजर आती है.
तो आपको हर वक्त सेट पर साड़ी पहने रहने में परेशानी नहीं हुई.
नहीं, मुझे बहुत ज्यादा गहने या भारी साड़ियां पहनने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि मेरा किरदार आम घरेलू महिला का है. सूती साड़ी में पूरी तरह आरामदायक महसूस कर रही हूं.
फिल्म इंडस्ट्री में आपके परिवार के कई लोग हैं? प्रायः अगर ऐसा हो तो लोग परिवार के लोगों से आपकी तुलना करने लगते हैं. आपकी इस बारे में क्या राय है?
हां, मामा(गोविंदा) भाई ( क्रुष्णा अभिषेक) व रागिनी खन्ना व मैं फिलहाल हम चारों इस इंडस्ट्री में हैं. मुझे बहुत बुरा लगता है कि जब कोई मुझसे यह कहता है कि मुझे मामाजी के कारण काम मिल रहा है. मैं यहां किसी की बदौलत नहीं. अपनी मेहनत से हूं. जहां तक बात रही मेरी बहनें रागिनी खन्ना व क्रुष्णा की तो हम एक दूसरे की कमी भी निकालते हैं और खूबियां भी बताते हैं. हम दोस्त भी हैं और एक दूसरे के आलोचक भी. हां, मैं यह कभी नहीं चाहूंगी कि हम दोनों बहनों में तुलना की जाये, क्योंकि हम दोनों ही अपने तरीके से अपना अपना काम कर रहे हैं.
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