20110913

ताकि मेरी सृनशीलता बरकरार रहे ः अपर्णा जोशी



अक्सर हम फिल्मों के पोस्टर्स में स्टार्स -पत्नियों के नाम निर्माता के रूप में देखते हैं. लेकिन ऐसी भी कुछ आम महिलाएं हैं जो बिना किसी बैकग्राउंड के भी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम बढ़ा रही हैं. उत्तर प्रदेश की अपर्णा उनमें से एक हैं....

हाल ही में एक फिल्म आयी थी उट-पटांग. फिल्म में मुख्य किरदार निभाया. विनय पाठक और मोना सिंह ने. आम कहानी और छोटे बजट की फिल्म होने के बावजूद फिल्म दर्शकों को पसंद आयी. फिल्म देखने के बाद हर तरफ यही चर्चा हो रही थी कि ऐसी फिल्मों के निर्माता प्रायः पुरुष ही होते हैं. चूंकि वे रिस्क लेना जानते हैं. लेकिन अपर्णा जोशी ने बतौर निर्माता ऐसी फिल्में बनाने का रिस्क लिया. दरअसल, यह दौर प्रयोग का है. दर्शकों को नये प्रयोग पसंद आ रहे है. यही वजह है कि अब परदे के पीछे रह कर भी महिलाएं प्रयोगात्मक कलाकारी कर रही हैं. जहां इन दिनों फिल्म निदर्ेशन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, वही अब महिलाएं निर्माण क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं. इन दिनों बॉलीवुड में नया ट्रेंड शुरू हुआ है. वे नायिकाएं जो फ्लॉप हो रही हैं. वे फिल्म निर्माता के रूप में अपना व्यवसाय शुरू कर रही है. उनके लिए यह बात समझ भी आती है. चूंकि उन सभी पर्याप्त धन कमा रखा है. लेकिन कोई ऐसी महिला, जिसका किसी फिल्म बैकग्राउंड से ताल्लुक न होने के बावजूद वह फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आ रही है तो यह हर्ष की बात है. खासतौर से तब भी जबकि वह मुंबई से नहीं है. हम बात कर रहे हैं बनारस की अपर्णा जोशी की, जिन्होंने निर्माता के रूप में एक अच्छे कंसेप्टवाली फिल्म उट-पटांग दर्शकों तक पहुंचाई है. अपर्णा बताती हैं कि शुरुआती दौर से ही उन्हें मीडिया से बेहद लगाव रहा है. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कई दिनों तक रेडियो के लिए काम किया है. फिर शादी के बाद मुंबई आना हुआ. और यहां भी काम जारी रखा. पति के सहयोग की वजह से हमेशा इस ओर ध्यान बना रहा. साथ ही रुचि भी. पति ने हमेशा प्रेरित किया कि मैं अपनी रुचि को बरकरार रखूं. मैंने कई नाटक, कहानियां भी लिखी हैं. उट-पटांग की कहानी जब सुनी तो लगा कि यह अच्छी फिल्म के रूप में बन सकती है. सो, कदम बढ़ाया. मैंने जब यह बात कही थी कि मैं निर्माता के रूप में ऐसी फिल्में बनाना चाहती हूं. कई लोगों ने समझाया था, चूंकि फिल्मों से पैसे वापस बहुत मुश्किल होता है. लेकिन मेरा मानना है कि हमें प्रयास जारी रखना चाहिए. अपर्णा का मानना है कि महिलाएं बहुत कलात्मक होती हैं और उन्हें अपनी सृजनशीलता का इस्तेमाल हमेशा करते रहना चाहिए. अपर्णा की इच्छा है कि सिर्फ स्टार्स की पत्नियां ही नहीं आम महिलाओं को भी निर्माण क्षेत्र में कदम बढ़ाना चाहिए और नये तरह की फिल्मों को प्रोमोट करना चाहिए. ताकि दर्शक नयी नयी तरह के विषयों पर फिल्में देखते हें.

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