फिल्म ः बॉडीगार्ड
कलाकार ः सलमान खान, करीना कपूर
निदर्ेशक ः सिध्दिकी
रेटिंग ः 2.5 स्टार
बॉडीगार्ड का मतलब वफादारी, ईमानदारी और सबसे अहम अपने मालिक की हिफाजत है. फिल्म बॉडीगार्ड वाकई उन तमाम बॉडीगार्ड के लिए एक श्रध्दांजलि है, जिन्होंने वाकई अपनी जान देकर अपने मालिकों की जान बचाई है. फिल्म में लवली सिंह नामक बॉडीगार्ड का व्यक्तित्व पूरी तरह से एक बॉडीगार्ड के व्यक्तित्व से मेल खाता है. जिस तरह एक बॉडीगार्ड का कर्तव्य अपने मालिक की जान की हिफाजत करना है. लवली सिंह भी अपनी दिव्या मैडम की हिफाजत करता है. लेकिन बॉडीगार्ड भी तो आखिर इंसान ही होते हैं. उन्हें भी प्यार हो सकता है. उनके पास भी एक दिल है. लेकिन बॉडीगार्ड का दिल भी जब धड़कता है तो वह इस बात का ख्याल रखता है कि इससे मालिक को किसी प्रकार की ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए. फिल्म में यही कहानी का अहम मोड़ भी है. लवली सिंह अपने मालिक के घर पहुंचता है और उनकी बेटी की हिफाजत करता है. खेल खेल में प्यार होता है. लेकिन उस प्यार का अंजाम अच्छा नहीं होता. वह अंजाम क्या होता है. दरअसल, वही कहानी की खूबी है. फिल्म में निस्संदेह बेहतरीन कंसेप्ट को शामिल किया गया है. लेकिन फिल्म में किरदारों को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया है. कहानी पर और अधिक मेहनत की जाती तो निश्चिततौर पर कहानी बेहतरीन रूप लेती. सलमान खान की फिल्म है तो गाने भी होंगे ही. एक्शन भी है. कुछ अच्छे संवाद भी हैं. लेकिन कहानी का क्लाइमेक्स कुछ अटपटा सा है. जो प्रायः किसी प्रेम कहानी का अंत नहीं होता. सलमान खान हर बार की तरह दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल तो होंगे. लेकिन रेडी, दबंग की तरह शायद इनकी यह फिल्म कमाल न कर पाये. सलमान और करीना की प्यार भरी केमेस्ट्री इसलिए रूप नहीं ले पायी. चूंकि फिल्म की कहानी ही ऐसी है. करीना खूबसूरत लगी हैं. लेकिन फिल्म की कहानी की वजह से उनकी बेचारगी दर्शकों को ऊबाऊ लग सकती है. बहरहाल, एक्शन प्रेमी एक बार फिल्म को देख सकते हैं.
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