20110913

मिथिलक माटी के मधुर खुशबू में


सिनेमा की सोच


हम जब भी क्षेत्रीय फिल्मों की बात करते हैं. हमारे जेहन पर बांग्ला, मराठी, पंजाबी भोजपुरी फिल्मों का नाम ही आता है. खासतौर से जब बिहार की बात की जाये तो शायद अधिकतर लोगों का यही मानना होगा कि बिहार में सिर्फ भोजपुरी फिल्मों का निर्माण होता है. जबकि बिहार की एक महत्वपूर्ण भाषा मैथिली में भी इन दिनों कई फिल्मों का निर्माण हो रहा है. जल्द ही रिलीज हो रही फिल्म सजना के अंगना में सोलह श्रृंगार में मुख्य किरदार निभा रहे राहुल सिन्हा ने इस पर विस्तार से प्रकाश डाला.

बिहार की महत्वपूर्ण भाषा मैथिली में अब तक कई फिल्मों का निर्माण होता रहा है. लेकिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाती. चूंकि क्षेत्रीय सिनेमा के अंतर्गत भोजपुरी फिल्में अधिक लोकप्रिय हैं. जबकि मैथिली भाषा में भी अब तक कई महत्वपूर्ण विषयों पर फिल्मों का निर्माण होता रहा है. कुछ ऐसा ही मानते हैं सहरसा के राहुल सिन्हा. राहुल बिहार के सहरसा से हैं. उन्होंने शुरुआती दौर में दिल्ली स्थित कई सुप्रसिध्द नाटकारों के साथ काम किया.पटना में आहवान नामक थियेटर से जुड़ कर भी थियेटर के क्षेत्र में कई प्रयास किये. थियेटर से जुड़े रहने की वजह से अभिनय की तरफ झुकाव हुआ. फिर मुंबई आये. मौके मिलते गये और इन्हें अपने अभिनय प्रतिभा को निखारने का भी मौका मिलता रहा. धारावाहिक कृष्णा अर्जुन में पहला ब्रेक मिला. फिल्म क्यूं अपने हुए अपने पराये में भी काम किया. लेकिन मुख्य किरदार निभाने का मौका मिला महुआ के शो बाहुबली में. अब जल्द ही वह सजना के अंगना में सोलह श्रृंगार में नजर आनेवाले हैं. मिथिला पृष्ठभूमि से जुड़े रहने के कारण आज भी राहुल का मिथिला से लगाव बरकरार है.

अपनी मिट्टी अपनी ही होती है

बकौल राहुल मिथिला संस्कृति में ऐसी कई खास बातें हैं, जो फिल्मों के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचनी चाहिए. मिथिला से संबध्द रखनेवाले कई लोगों ने लगातार इस ओर प्रयास किया है. बावजूद इसके कि अब तक मिथिला भाषा की फिल्में अब भी अपने पहचान के लिए जूझ रह रही है. लोगों ने प्रयास जारी रखा है. सजना के अंगना में सोलह श्रृंगार उनमें से एक है. इस फिल्म का विषय बेहद ज्वलंत और मार्मिक है. विधवा विवाह पर यह फिल्म आधारित है.

मिथिला की धरती

फिल्म की पूरी शूटिंग वास्तविक लोकेशन पर की गयी है.बिहार के मिथिला प्रदेश दरभंगा, मधुबनी, रजनानगर, जनकपुर वीरपूर में फिल्म की शूटिंग की गयी है. इस फिल्म में आपको मिथिला के गांव वहां की संस्कृति नजर आयेगी. फिल्म को बिहार के मिथिला प्रदेशों के अलावा नेपाल में भी रिलीज किया जायेगा.

जरूरी है पहचान मिलना

मेरा मानना है कि मिथिला भाषा में इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण विषयों पर फिल्में बनाई जाती रही हैं.जिनमें सिंदूरदान,माइके ममता, सस्ता जिंदगी महक सिंदूर जैसी फिल्में हैं. मिथिला प्रदेश से जुड़े कई लोग फिलवक्त मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री टेलीविजन इंडस्ट्री से जुड़े हैं. अगर सभी मिल कर मिथिला प्रदेश की फिल्मों के लिए काम करें तो निश्चित तौर पर इस तरफ भी लोगों का ध्यान जायेगा. सजना...के निदर्ेशक मुरलीधर ने एक अहम कदम उठाया है. महत्वपूर्ण विषय को उजागर किया है. चूंकि वे इसी मिट्टी हैं तो वे वहां की वास्तविकता को भी जानते हैं. जिसे वह फिल्म के माध्यम से लोगों के सामने ला रहे हैं. यह एक अच्छी पहल है.

No comments:

Post a Comment