' आशा भोंसले ( जन्मदिन पर विशेष)
तितली-सी मदमस्त ख्यालोंवाली, उस जमाने में भी फैशन की समझ रखनेवाली आशा भोंसले ने कभी अपनी उम्र को अपने रास्ते का रोड़ा नहीं समझा. वे तब भी उतनी ही जिंदादिली से जीती थीं और आज भी वे खुद को जवां ही मानती हैं. हिंदी सिनेमा की प्यारी सी गायिका को जन्मदिन की विशेष बधाई.
आशा भोंसले के गीत दर्शकों को हमेशा लुभाते रहे हैं. फिर चाहे वह गीत उन्होंने फिल्मों के लिए गाये हों. या फिर एल्बम के लिए. उनके गीतों में रुमानियत भी है तो मस्ती भी. बिंदासपन भी है तो दर्द भी. आशा भोंसले ने एक लड़की होने के बावजूद कभी खुद को बंदिशों में नहीं बांधा. वे बेफिक्र होकर आज भी टो टूक बात करने में विश्वास रखती हैं. यही वजह है कि उन्हें जब माई जैसी फिल्मों में अभिनय करने का मौका मिला तो उन्होंने इसे भी स्वीकार लिया.
आशाजी ने पार्श्व गायन की शुरुआत फिल्म चुनरिया से की थी. उस दौर में जब लता, गीता दत्त व शमशाद बेगम का दौर था. वहां आशा को कुछ तो अलग करना ही था. वरना, उन्हें वह स्थान नहीं मिल पाता. जो उन्हें आज मिला है. उन्होंने शुरुआती दौर में इसलिए छोटे बजट की फिल्में भी की. आशा ने उस दौर में अपनी आवाज में विभिन्नता लायी. उन्होंने उस तरह के अलग गीत गाने शुरू किये, जो प्रायः अन्य गायिकाओं के लिए मुश्किल था. उन्होंने कैब्रे सांग, मस्ती भरे गीतों से आगे बढ़ना शुरू किया. नतीजन उन्होंने वह मुकाम बना लिया कि अब निदर्ेशक उनके अंदाज में गीत बनाने लगे और दर्शकों को वह पसंद भी आने लगा.
अब तूलना से फर्क नहीं पड़ता
अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर से हमेशा तूलना होना अब आशा को नहीं खटकता. वे खुद कहती हैं कि अब इन चीजों की आदत हो गयी है. मैं खुश हूं. दीदी मैं एक ही जगह रहते हैं और एक दूसरे से बेहद प्यार करते हैं. वह हमेशा मेरी मागदर्शक बनी रहेंगी. हां, बहनोंवाले प्यार की लड़ाई तो मैं उनसे हमेशा करती ही रहूंगी. आशा अपने खुश मिजाज स्वभाव के लिए हमेशा फिल्म इंडस्ट्री के युवा गायकों के लिए प्रेरणा रही हैं.
स्टंट वीमेन
आशा सुभाष डावर की फिल््म माई में स्टंट सीन करती भी नजर आयेंगे. इस सीन में आशाजी को अपने चेहरे के बल पर फर्श पर गिरना था. उनकी उम्र को देखते हुए फिल्म मेकर्स ने बॉडी डबल का इंतजाम भी किया था. लेकिन आशाजी ने कहा कि वह सीन खुद करेंगी. इससे साफ पता चलता है कि अब भी उनमें वह हौसला बुलंद है.
अदनान की प्रतिभा पहचाननेवाली
मशहूर पाकिस्तानी गायक अदनान सामी बताते हैं कि जब वह सिर्फ 10 वर्ष के थे, तब आशाजी ने किसी शो के दौरान उनकी प्रतिभा को पहचाना. और उस वक्त से उन्होंने अदनान को कहा कि वे इसी क्षेत्र में आगे बढ़ें और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया. जब अदनान बड़े हुए, तो आशा जी के साथ उन्हें कभी तो नजर मिलाओ एल्बम में गीत गाने का मौका मिला. फिर उन्होंने साथ में बरसे बादल के लिए भी अदनान सामी का साथ दिया.
माई एक नयी शुरुआत
बकौल आशा भोंसले, मुझे लगता है कि अगर व्यक्ति अपनी उम्र के अनुसार कोई किरदार निभाये तो इसमें कोई बुराई नहीं. मुझे इस फिल्म का कंसेप्ट अच्छा लगा है तो मैंने हां कह दी. शेष तो दर्शकों पर है कि वह मुझे इस रूप में भी प्यार देते हैं या नहीं.
लता दीदी से मिला है कैमरे पर आने का हौसला
अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर के साथ बातचीत करने के बाद ही आशा को कैमरे पर आने का हौसला मिला है. बकौल आशा उन्होंने कहा दीदी से मैंने पूछा तो उन्होंने कहा कि अभिनय हमारे खून में है. हमारे पिता दिवंगत दीनानाथ मंगेशकर थियेटर कलाकार थे. लता दीदी ने मुझे याद दिलाया कि मैंने बाल कलाकार के रूप में पहले काम किया है. मुझे याद नहीं था. लेकिन उन्होंने बताया कि फिल्म बड़ी मां में दीदी ने मेरे लिए गाना गाया था. नूरजहां लीड किरदार में थी. मैंने उसी फिल्म में बाल कलाकार के रूप में काम किया था. सो, दीदी ने कहा कि मैं कर सकती हूं.
बिरयानी है बेहद पसंद
बकौल आशामुझे खाने में बिरयानी बहुत पसंद है. खासतौर से हैदराबादी बिरयानी मेरे पसंदीदा भोजन में से एक हैं. मुझे जब भी मौका मिलता है मैं अपने घर पर जरूर बिरयानी पकाती हूं और खाती हूं. मेरे घर के बच्चों को भी मेरे हाथों से बनी बिरयानी पसंद आती है.
हिंदी सिनेमा जगत में प्रायः ऐसा होता रहा है, यहां कब किसके भाग्य में उलट फेर हो जाये कोई नहीं जानता कुछ ऐसा ही हुआ आशा भोंसले के साथ भी. फिल्म चौंदवी का चांद जिसके गीत बेहद लोकप्रिय रहे. इस फिल्म के गीत फिल्म के संगीत निदर्ेशक रवि गीता दत्त( गुरुदत्त की पत्नी से गवाना चाहते थे) लेकिन गुरु दत्त की जिद्द पर आशा भोंसले को फिल्म में गीत गाने का मौका मिला. इस फिल्म के गीत आज भी लोकप्रिय व सदाबहार हिंदी फिल्मों के गीत में से एक हैं.
आशाजी पहली महिला भारतीय गायिका हैं, जिन्हें ग्रैमी अवार्ड में नॉमिनेशन प्राप्त हुआ.
वर्ष 2006 में आशाजी ने आशा एंड फ्रेंड्स नामक एल्बम में स्वर दिया. जिनमें युवा संजय दत्त और उर्मिला भी शामिल थे. साथ ही प्रसिध्द क्रिकेटर ब्रेट ली के साथ उन्होंने यू आर द वन फॉर मी में भी गीत गाये.
आशाजी के 60 वे जन्मदिवस पर इएमआइ इंडिया ने तीन एल्बम बनाये बाबा मैं बैरागन होंगी, द गोल्डेंन क्लैक्शन, और द एवर भरसटाइल आशा भोसले जो आज भी बेहद लोकप्रिय है.
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