20110913

अपना नाम स्थापित करने में वक्त तो लगता है ः बर्नाली


परदे के पीछे


बर्नाली ः संक्षिप्त परिचय

कोलकाता में जन्म. लेकिन पढ़ाई दिल्ली से पूरी की. शैक्षणिक योग्यता होने के बावजूद फिल्मों की तरफ रुझान बढ़ा. आइएस की परीक्षा में कई बार नामांकन भरा. फिर लगा कि यह सही क्षेत्र नहीं. फिर फिल्ममेकिंग का छोटा सा कोर्स किया. लेखक व अभिनेता सौरभ शुक्ला से शादी. फिर मुंबई आना. बतौर निदर्ेशिका इस शुक्रवार रिलीज हुई पहली फिल्म कुछ लव सा का निदर्ेशन.

अपने आस-पास की कहानियों को अपने कलम से संजोने के बाद फिर उसे कैमरे पर उतारना एक आसान काम नहीं है. यहां मेहनत लगती है. एक विजन बनाना होता है. लेकिन इसके बावजूद एक निदर्ेशक को उसके आस-पास की कहानियां इतनी ज्यादा प्रभावित करती है कि वह उसे बिना कैमरे के माध्यम से कहे खुद को रोक नहीं पाते.कुछ ऐसा ही हुआ निदर्ेशिका बर्नाली शुक्ला के साथ भी. इसी शुक्रवार रिलीज हुई फिल्म कुछ लव सा उनके आसपास की कुछ ऐसी ही कहानियों से प्रेरित है. बर्नाली के बतौर निदर्ेशिका इस फिल्म के निर्माण से एक और महिला निदर्ेशिका का नाम फेहरिस्त में शामिल हो गया है. लेकिन बर्नाली ने इस बारे में साफतौर पर कहा है कि उनकी इच्छा है कि वह रिश्तों पर आधारित कहानियां अधिक कहें. बर्नाली बताती हैं कि उन्होंने यहां तक का सफर आसानी से तैयार नहीं किया है. इसके बावजूद कि वह मशहूर कलाकार सौरभ शुक्ला की पत्नी थी. उन्होंने कभी सौरभ की मदद नहीं ली. बकौल बर्नाली मेरे लिए मुंबई शहर आकर अपनी पहचान बनाना अधिक मुश्किल था. चूंकि मेरा नाम सौरभ से जुड़ा था. हर जगह लोग मुझे सौरभ की पत्नी के रूप में जानते थे. चाहती तो मुझे आसानी से रास्ता मिल जाता . लेकिन मैंने उस रास्ते पर चलने से ही इनकार कर दिया, मैं नहीं चाहती थी कि मुझे सौरभ की पत्नी के रूप में जाना जाये. मैं अपनी पहचान बनाना चाहती थी. यही वजह थी कि मैंने पूरे सात साल मेहनत की. मैंने टेलीविजन से शुरुआत की और टेलीविजन में लेखन से लेकर निदर्ेशन व कई तरह के कार्य किये. क्योंकि सास भी कभी बहू थी व कई ऐसे शोज में काम किया. सच कहूं तो मेरे लिए एकता कपूर मेंटर के रूप में साबित हुईं. उनके साथ मैंने उस दौर के लगभग सभी सीरियल में काम किया. उस वक्त फिल्म सत्या की शूटिंग चल रही थी. मैं जाकर रामगोपाल वर्मा से मिली. उनके साथ काम सीखा. उन्होंने मुझे यह बात कही थी कि अगर निदर्ेशक बनना है तो दो फिल्मों से ज्यादा किसी फिल्म को अस्टिट मत करना. सो, मैंने भी यह बात गांठ बांध कर रख ली. यही वजह रही कि मैंने बहुत सारी फिल्मों में काम नहीं किया. कुछ लव सा ख्याल तब आया जब मैंने आसपास के लोगों को गौर करना शुरू किया. और फिर कहानी कह डाली. मैं मानती हूं कि इस तरह की कहानी हमारे आसपास होती है और सभी इसे देखना चाहते हैं. रिश्तों पर आधारित ऐसी फिल्में दर्शकों को छूती है. ऐसा मैं मानती हूं. बर्नाली भविष्य में भी ऐसी फिल्मों का निर्माण करते रहना चाहती हैं.

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