जी की नयी शुरुआत
ज़ी टीवी ने एक नए शो की शुरुआत की है। जी टीवी ने पिछले कुछ सालों में एंटरटेनमेंट चैनलों की भागदौड़ में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाबी हासिल कर रहा। चूँकि जहाँ अन्य चैनल एक दूसरे को यह दर्शाने की कोशिश कर रहे कि उनके शोज मेरे शोज से बेहतर हैं। ऐसे में पिछले साल ज़ी ने [पहले ज़िन्दगी चैनल की शुरुआत की. इस चैनल ने हिंदी टेलीविजन के इतिहास में एक नयी दस्तक दी। एक नयी जान डाली। कई सालों के बाद छोटे परदे के तेवर बदले। और अब फिर से ज़ी ने एक नए चैनेल एंड की शुरुआत की है। इस चैनल का चेहरा शाहरुख़ खान बने हैं। वे एक नॉन फिक्शन शो को होस्ट कर रहे हैं। जाहिर है चैनल को कामयाबी मिलेगी। ज़ी ने ज़िन्दगी की शुरुआत कर एक रिस्क ही लिया था। लेकिन उस प्रयोग को मिली सफलता से ज़ी का हौसला बढ़ा है। और यह बेहद जरुरी भी था। चूँकि भारत में छोटे चैनलों के साथ यह परेशानी है कि अगर उनका कोई प्रयोग सफल न हो तो वह नए प्रयोग करने से डरते हैं। हाल में सोनी ने एक नए शो की शुरुआत की थी। इत्ती सी ख़ुशी। शो का कॉन्सेप्ट आम शो से अलग था। शो एक ऐसी लड़की की कहानी पे आधारित था. जो अचानक १२ साल के बाद कोमा से उठती है। और फिर अपने उन १२ सालों को तलाशने की कोशिश करती हैं, शो आम शो से अलग भी था। लेकिन सिर्फ टी आर पी के आधार पर उसे बंद कर दिया गया। लेकिन यह एक सराहनीय प्रयास था और बेहतरीन प्रयास था। सो यहाँ फिल्में अच्छी हैं या नहीं। इसका निर्णय बॉक्स ऑफिस कलेक्शन करती है और शोज अच्छे हैं या नहीं इसका निर्णय भी केवल टी आर पी के आंकड़ों पर होता है। इसकी वजह से ही यहाँ प्रयास काम हो रहे और सृजनशीलता का हनन हो रहा। दरअसल टीवी की दुनिया में भी प्रयोग के कई विकल्प हैं। महज जरुरत है एक मंच की और साथ ही सृजनशीलता को सम्मान की नजरों से देखने की। तभी नए प्रयोग हो पाएंगे। और यह बेहद जरूरी है कि ऐसे प्रयासों को सराहा जाये।
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