ेसोनम कपूर की फिल्म डॉली की डोली जल्द ही प्रदर्शित होने वाली है. वह इस फिल्म में एक ठग महिला का किरदार निभा रही हैं, जो अपने दुल्हों को ठग कर पैसे लेकर भाग जाती है. हाल ही में दावतएइश्क में भी यह ट्रैक दर्शाया गया है. हालांकि फिल्म में केंद्र विषय यह नहीं था.सोनम कपूर इस फिल्म को लेकर उत्साहित हैं. जाहिर है कि फिल्म का वह शीर्षक किरदार निभा रही हैं. तीन नायकों के बीच वे अकेली अभिनेत्री हैं. सो, फिल्म में उन्हें अपने अभिनय का हुनर दिखाने के पूरे मौके मिले हैं. फिल्म के सिलसिले में हुई बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अपने करियर के शुरुआती दिनों में वे अपने पिता अनिल कपूर से कोई सलाह नहीं लेती थीं. वह महज 21 साल की थीं और उस वक्त उन्हें हर फिल्म को लेकर उत्साह महसूस होता था. लेकिन धीरे धीरे वह परिपक्व हुई हैं और अब पिता की सलाह पर गौर भी करने लगी हैं. कुछ दिनों पहले गुलजार द्वारा निर्देशित किरदार धारावाहिक के एपिसोड यूटयूब में देखा. सिकोड़ में दो पीढ़ियों की कहानी दिखाई गयी है. इसमें दो दोस्त जो विभाजन के दौरान बंट चुके हैं. दोनों एक जगह एकत्रित होते हैं. और उनके साथ उनके बच्चे भी आते हैं. दादा और बच्चों के जेनरेशन में बातें करने का अंदाज, जीवनशैली हर कुछ बदल चुकी है. बच्चे मां को भी यार कह कर बुलाते हैं और मां ऐतराज जताती है. दरअसल, यह हकीकत है कि एक जेनरेशन तभी नया होता है. जब एक जेनरेशन पुराना होता है. बढ़ती उम्र के साथ हम नयी उमंग में होते हैं और हमें अपने माता पिता की बातें भी अच्छी नहीं लगतीं. धीरे धीरे हम उनकी उंगलियों से अपनी उंगलियां छोड़ कर भाग निकलते हैं. माता पिता उन्हें कच्ची उम्र का समझ कर उनका साथ देना चाहते हैं. लेकिन हम उनकी उंगलियां पकड़ कर चलना नहीं. बल्कि उन्हें चलाना और सिखाना चाहते हैं.
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20150130
कच्ची उम्र के रिश्ते
ेसोनम कपूर की फिल्म डॉली की डोली जल्द ही प्रदर्शित होने वाली है. वह इस फिल्म में एक ठग महिला का किरदार निभा रही हैं, जो अपने दुल्हों को ठग कर पैसे लेकर भाग जाती है. हाल ही में दावतएइश्क में भी यह ट्रैक दर्शाया गया है. हालांकि फिल्म में केंद्र विषय यह नहीं था.सोनम कपूर इस फिल्म को लेकर उत्साहित हैं. जाहिर है कि फिल्म का वह शीर्षक किरदार निभा रही हैं. तीन नायकों के बीच वे अकेली अभिनेत्री हैं. सो, फिल्म में उन्हें अपने अभिनय का हुनर दिखाने के पूरे मौके मिले हैं. फिल्म के सिलसिले में हुई बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अपने करियर के शुरुआती दिनों में वे अपने पिता अनिल कपूर से कोई सलाह नहीं लेती थीं. वह महज 21 साल की थीं और उस वक्त उन्हें हर फिल्म को लेकर उत्साह महसूस होता था. लेकिन धीरे धीरे वह परिपक्व हुई हैं और अब पिता की सलाह पर गौर भी करने लगी हैं. कुछ दिनों पहले गुलजार द्वारा निर्देशित किरदार धारावाहिक के एपिसोड यूटयूब में देखा. सिकोड़ में दो पीढ़ियों की कहानी दिखाई गयी है. इसमें दो दोस्त जो विभाजन के दौरान बंट चुके हैं. दोनों एक जगह एकत्रित होते हैं. और उनके साथ उनके बच्चे भी आते हैं. दादा और बच्चों के जेनरेशन में बातें करने का अंदाज, जीवनशैली हर कुछ बदल चुकी है. बच्चे मां को भी यार कह कर बुलाते हैं और मां ऐतराज जताती है. दरअसल, यह हकीकत है कि एक जेनरेशन तभी नया होता है. जब एक जेनरेशन पुराना होता है. बढ़ती उम्र के साथ हम नयी उमंग में होते हैं और हमें अपने माता पिता की बातें भी अच्छी नहीं लगतीं. धीरे धीरे हम उनकी उंगलियों से अपनी उंगलियां छोड़ कर भाग निकलते हैं. माता पिता उन्हें कच्ची उम्र का समझ कर उनका साथ देना चाहते हैं. लेकिन हम उनकी उंगलियां पकड़ कर चलना नहीं. बल्कि उन्हें चलाना और सिखाना चाहते हैं.
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