20150130

मैं खुद चाहती थी कि बेबी मुझे मिले : तापसी पन्नू


तापसी पन्नू इस इस बात से खुश हैं कि उन्हें फिल्म बेबी में अपना अलग अंदाज दर्शाने का मौका मिला है. पेश है  
मैं संतुष्ट हूं
मुझे इस बात की कोई हड़बड़ी नहीं कि मुझे और फिल्में मिलेंगी या नहीं. अभी मेरे पास मौके हैं या नहीं. मुझे लगता है कि मैं सोच कर  फिल्मों की दुनिया में नहीं आयी थी. मैं तो सिर्फ पॉकेट मनी के लिए आ गयी थी. मॉडलिंग करती थी तो अच्छे पैसे आ जाते थे. लेकिन धीरे धीरे जब फिल्में मिलने लगी तो लगा कि मैं इस करियर में अपना नाम बना सकती हूं. वरना, मैं तो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थी और मैं बहुत अच्छी स्टूडेंट थी. मुझे लगा था कि आगे मैं किसी अच्छे कॉलेज से एमबीए करके अच्छी नौकरी करूंगी. हां, मगर मुझे डेस्क जॉब नहीं करता था. इसलिए इंफोसिस की नौकरी छोड़ दी. मैं अपने काम से संतुष्ट हूं. मुझे फिल्में पाने के लिए किसी गलत रास्ते पर जाने की जरूरत नहीं. मेरी मेहनत है तो मिल जायेगी मुझे फिल्में.
लोगों को लगता है मैं साउथ इंडियन हूं
एक सरदारन कैसे साउथ फिल्मों में काम कर सकती हैं. लोग मेरे बारे में ऐसा ही सोचते हैं. मेरा नाम भी थोड़ा वैसा ही है. तापसी पन्नू. सुना सुना सा नाम नहीं है. तो लोगों को लगता है कि मैं साउथ की ही रहनेवाली हूं. लेकिन हकीकत यह है कि मेरी शुरुआत साउथ से इसलिए हुई कि क्योंकि मुझे साउथ से ज्यादा अच्छे आॅफर मिले तो मैंने वहां काम शुरू कर दिया. 4 साल के करियर में लगभग 16 फिल्मों में काम कर लिया है. मैंने तय किया है कि मैं दोनों तरफ काम करती रहूंगी.
बेबी करनी ही थी 
वैसे मुझे आदत नहीं है कि मैं किसी फिल्म के पीछे भागूं. लेकिन बेबी में जैसा किरदार है. मैंने इस फिल्म के पीछे खुद को बहुत भगाया. फिल्म के निर्देशक नीरज पांडे को लगता था कि चश्मेबद्दूर में स्वीट सी दिखने वाली लड़की बेबी में रफ एंड टफ कैसे दिख सकती है.लेकिन मैं जब आयी तो पहले फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर से मिली. फिर वे कनविंस हुए कि मैं ये किरदार कर सकती  हूं तो फिर मेरा चुनाव हुआ. इस फिल्म से मैं अपनी बबली सी दिखने वाली इमेज बदलना चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि मैं रफ एंड टफ दिखूं. इस फिल्म की खासियत है कि फिल्म में संवाद बहुत कम हैं. जबकि चश्मेबद्दूर में और मेरी आनेवाली फिल्म रनिंग शादी डॉट कॉम में मैंने काफी बातें की हैं. सो, मुझे लगता था कि यहां मुझसे संवाद क्यों नहीं बोलवा रहे हैं. लेकिन आप फिल्म देखेंगे तो समझ लेंगे कि फिल्म में मेरे संवाद कम क्यों हैं.
मम्मी फिल्मों की फैन
मेरी मां हमेशा से फिल्मों की फैन रही हैं. वह धर्मेंद्र की बहुत बड़ी फैन हैं. तो उन्हें खुशी होती है कि मेरी फिल्में आ रही हैं. मेरे बारे में अखबारों या मैगजीन में आये तो वह उसकी कटिंग निकाल कर रखती हैं. यह मां की बड़ी खूबी है कि उन्हें अपनी बेटी के काम से खुशी है. पहले पापा को परेशानी थी. लेकिन अब उन्हें भी मेरा करियर अच्छा लग रहा है.
अक्षय के साथ अनुभव
अक्षय के साथ काम करके मजा आया. चूंकि यह फिल्म एक् शन पर ही आधारित  है तो जाहिर है अक्षय के साथ काम करने का अनुभव भी शानदार रहा. काफी कुछ सीखा उनसे. साथ ही मैंने अपने किरदार के लिए कार्व मागा सीखा है. इस बात की मुझे खुशी है कि इस फिल्म के बहाने मुझे कुछ नया करने का मौका मिला. आगे भी मुझे ऐसी फिल्में मिलेंगी तो मैं करती रहूंगी. 

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