आबिद सुरति पेशे से तो लेखक,पेंटर, कार्टूनिस्ट हैं.जो धर्मयुग पत्रिका के नियमित पाठक रहे हैं. वे धब्बूजी को नहीं भूल सकते. उन्होंने बहादुर नामक एक ऐसा कॉमिक किरदार रचा, जिसे लाखों प्रशंसक मिले. 80-90 के दशक में जिन जेनरेशन ने बढ़ना सीखा होगा, वे इंद्रजाल कॉमिक के रोचक जाल में न फंसे हों. ऐसा हो ही नहीं सकता. गौरतलब है कि किसी दौर में राज कपूर की बेहद इच्छा थी कि वे आबिद द्वारा गढ़े किरदार इंस्पेक्टर आजाद पर आधारित फिल्म बनाये. आबिद सुरति का यह अकाडेमिक परिचय है. लेकिन व्यक्तित्व के रूप में इन्हें जानना आवश्यक इसलिए है. चूंकि मुंबई में जहां जिंदगी भागती रहती है. हर दिन एक जिंदगी दूसरी जिंदगी से टकराती है. लेकिन वे बेपरवाह अपनी धुन में आगे बढ़ जाती है. आबिद इस दौर में भी थमते हैं और एक महान कार्य करते हैं. आबिद मुंबई के उन सारे स्थानों पर जहां पानी के नल खराब हैं और बेवजह पानी बर्बाद हो रहे. उन नलों की या तो मरम्मत कराते हैं या फिर जहां नल खुले हैं. उन्हें बंद करते हैं. आबिद मानते हैं कि इससे देश को नहीं तो कम से कम अपने राज्य मुंबई जहां पानी की बहुत किल्लत है. पानी की परेशानी से बचाया जा सकता है. आबिद अपने मां के संघर्ष के दिनों को याद करते हैं. चूंकि उस वक्त लंबी कतार में लग कर उनकी मां को पानी भरना पड़ता था. सो, वह इसकी कीमत अच्छी तरह से समझते हैं. दरअसल, आबिद जैसी शख्सियत केवल नाम और चकाचौंध की दुनिया को तवज्जो नहीं देते. वे अपने कर्तव्यों में विश्वास करते हैं. आबिद जैसी शख्सियत हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं. सलमान खान के पिता सलीम खान की भी कोशिश होती है कि वे बैंड स्टैंड को साफ सुथरा रखने की कोशिश करें और उन्होंने कई बच्चों को रोजगार भी मुहैया कराया है. ऐसे छोटे छोटे प्रयास सराहनीय हैं और इन्हें उजागर करना ही चाहिए.
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20150130
वॉटरब्वॉय आबिद सुरति
आबिद सुरति पेशे से तो लेखक,पेंटर, कार्टूनिस्ट हैं.जो धर्मयुग पत्रिका के नियमित पाठक रहे हैं. वे धब्बूजी को नहीं भूल सकते. उन्होंने बहादुर नामक एक ऐसा कॉमिक किरदार रचा, जिसे लाखों प्रशंसक मिले. 80-90 के दशक में जिन जेनरेशन ने बढ़ना सीखा होगा, वे इंद्रजाल कॉमिक के रोचक जाल में न फंसे हों. ऐसा हो ही नहीं सकता. गौरतलब है कि किसी दौर में राज कपूर की बेहद इच्छा थी कि वे आबिद द्वारा गढ़े किरदार इंस्पेक्टर आजाद पर आधारित फिल्म बनाये. आबिद सुरति का यह अकाडेमिक परिचय है. लेकिन व्यक्तित्व के रूप में इन्हें जानना आवश्यक इसलिए है. चूंकि मुंबई में जहां जिंदगी भागती रहती है. हर दिन एक जिंदगी दूसरी जिंदगी से टकराती है. लेकिन वे बेपरवाह अपनी धुन में आगे बढ़ जाती है. आबिद इस दौर में भी थमते हैं और एक महान कार्य करते हैं. आबिद मुंबई के उन सारे स्थानों पर जहां पानी के नल खराब हैं और बेवजह पानी बर्बाद हो रहे. उन नलों की या तो मरम्मत कराते हैं या फिर जहां नल खुले हैं. उन्हें बंद करते हैं. आबिद मानते हैं कि इससे देश को नहीं तो कम से कम अपने राज्य मुंबई जहां पानी की बहुत किल्लत है. पानी की परेशानी से बचाया जा सकता है. आबिद अपने मां के संघर्ष के दिनों को याद करते हैं. चूंकि उस वक्त लंबी कतार में लग कर उनकी मां को पानी भरना पड़ता था. सो, वह इसकी कीमत अच्छी तरह से समझते हैं. दरअसल, आबिद जैसी शख्सियत केवल नाम और चकाचौंध की दुनिया को तवज्जो नहीं देते. वे अपने कर्तव्यों में विश्वास करते हैं. आबिद जैसी शख्सियत हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं. सलमान खान के पिता सलीम खान की भी कोशिश होती है कि वे बैंड स्टैंड को साफ सुथरा रखने की कोशिश करें और उन्होंने कई बच्चों को रोजगार भी मुहैया कराया है. ऐसे छोटे छोटे प्रयास सराहनीय हैं और इन्हें उजागर करना ही चाहिए.
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