हाल ही में एक अंगरेजी अखबार ने टीवी कंटेंट को लेकर बीसीसीसी में दर्ज हुई शिकायतों पर एक आलेख प्रकाशित किया था. उस आलेख में वे सारी शिकायतों को शामिल किया गया है, जो अब तक बीसीसीसी में दर्ज हुए हैं. आश्चर्यजनक बात यह है कि दर्शकों ने धारावाहिकों व शोज के कंटेंट को लेकर जो शिकायत दर्ज की है. वह दरअसल, शिकायत नहीं उनकी जिज्ञासा है. किसी ने कुछ धारावाहिकों को धर्म विरोधी माना है तो कुछ दर्शकों ने यह शिकायत दर्ज की है कि हम इस एपिसोड का पुन: प्रसारण कैसे देख सकते हैं. कुछ दर्शकों की शिकायत है कि किरदार का नाम यह क्यों है. यह क्यों नहीं...दरअसल, भारत में अब तक बड़े दर्शक वर्ग में जब फिल्में देखने की सभ्यता और उसे परखने की सभ्यता का विकास नहीं हुआ है तो टेलीविजन तो अब भी लोग बिल्कुल हल्के में लेते हैं. इस कमिटी का गठन और इसे लागू इसलिए किया गया था ताकि दर्शकों को कंटेंट को लेकर अगर कुछ अश्लीलता या हिंसा या फिर कुछ भी आपत्तिजनक चीजें नजर आती हैं तो वे इसे लेकर शिकायत कर सकते हैं. लेकिन दर्शकों के शिकायत के स्तर को देख कर यह तसवीर स्पष्ट होती है कि दर्शकों के बड़े तबके के लोगों में अब भी जागरूकता नहीं. समझ नहीं. टीवी देखने की कला से वे रूबरू नहीं. वे इस कमिटी को गंभीरता से नहीं ले रहे. वे चीजों से बेपरवाह हैं. जो बुरी चीजें परोसी जा रही हैं. वे इसे आम फीडबैक बॉक्स की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. जबकि अगर वह गंभीरता से इसे लें तो वैसी कई चीजें टीवी पर प्रसारित होने से रोकी जा सकती है, जो वाकई उचित नहीं है. भारत में यों ही बमुश्किल कानून या कमिटी का गठन हो पाता है और वह सुचारू रूप से काम कर पाती है. अगर इस तरह की बचकानी शिकायतें मिलेगी तो संभव है कि कुछ दिनों में मूर्तरूप धारण कर लेगी.
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20150130
दर्शक व शिकायतें
हाल ही में एक अंगरेजी अखबार ने टीवी कंटेंट को लेकर बीसीसीसी में दर्ज हुई शिकायतों पर एक आलेख प्रकाशित किया था. उस आलेख में वे सारी शिकायतों को शामिल किया गया है, जो अब तक बीसीसीसी में दर्ज हुए हैं. आश्चर्यजनक बात यह है कि दर्शकों ने धारावाहिकों व शोज के कंटेंट को लेकर जो शिकायत दर्ज की है. वह दरअसल, शिकायत नहीं उनकी जिज्ञासा है. किसी ने कुछ धारावाहिकों को धर्म विरोधी माना है तो कुछ दर्शकों ने यह शिकायत दर्ज की है कि हम इस एपिसोड का पुन: प्रसारण कैसे देख सकते हैं. कुछ दर्शकों की शिकायत है कि किरदार का नाम यह क्यों है. यह क्यों नहीं...दरअसल, भारत में अब तक बड़े दर्शक वर्ग में जब फिल्में देखने की सभ्यता और उसे परखने की सभ्यता का विकास नहीं हुआ है तो टेलीविजन तो अब भी लोग बिल्कुल हल्के में लेते हैं. इस कमिटी का गठन और इसे लागू इसलिए किया गया था ताकि दर्शकों को कंटेंट को लेकर अगर कुछ अश्लीलता या हिंसा या फिर कुछ भी आपत्तिजनक चीजें नजर आती हैं तो वे इसे लेकर शिकायत कर सकते हैं. लेकिन दर्शकों के शिकायत के स्तर को देख कर यह तसवीर स्पष्ट होती है कि दर्शकों के बड़े तबके के लोगों में अब भी जागरूकता नहीं. समझ नहीं. टीवी देखने की कला से वे रूबरू नहीं. वे इस कमिटी को गंभीरता से नहीं ले रहे. वे चीजों से बेपरवाह हैं. जो बुरी चीजें परोसी जा रही हैं. वे इसे आम फीडबैक बॉक्स की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. जबकि अगर वह गंभीरता से इसे लें तो वैसी कई चीजें टीवी पर प्रसारित होने से रोकी जा सकती है, जो वाकई उचित नहीं है. भारत में यों ही बमुश्किल कानून या कमिटी का गठन हो पाता है और वह सुचारू रूप से काम कर पाती है. अगर इस तरह की बचकानी शिकायतें मिलेगी तो संभव है कि कुछ दिनों में मूर्तरूप धारण कर लेगी.
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