अनुराग बसु ने निर्णय लिया है कि वे छोटे परदे पर चोखेर बाली नामक धारावाहिक का निर्माण व निर्देशन करें. जहां एक तरफ अनुराग कश्यप का मन फिलहाल छोटे परदे से उखड़ा सा है. अनुराग बसु चोखेर बाली बनाने की तैयारी में हैं. इस शो में राधिका आप्टे प्रमुख भूमिका निभा रही हैं. अनुराग बसु से जब भी बातचीत होती है. वे हमेशा इस बात को दोहराते हैं कि टेलीविजन की दुनिया ने उन्हें पैसा बनाना सिखाया और काम करना सिखाया. उन्होंने लंबे अरसे तक टेलीविजन के लिए काम किया है. चूंकि वे मानते हैं कि वहां हर दिन के लिए आपको तैयार होना पड़ता है. हर दिन एपिसोड की डेडलाइन होती है. जबकि फिल्म में आप सिर्फ एक विषय के इर्द गिर्द काम करते हैं. सो, वे हमेशा नये लोगों को सलाह देते हैं कि टेलीविजन करें. उससे रोजी रोटी मिलती है और पहचान भी मिलती है. तर्जुबा तो होता ही है. हालांकि युवा जिन्हें फिल्मों में अपनी पहचान बनानी है. वे इन बातों पर अमल न के बराबर ही करते हैं. उन्हें यही महसूस होता है कि फिल्मों में ही उन्हें काम मिलेगा और उन्हें फिल्में ही करनी है. इस वजह से वे अपने हाथ में टेलीविजन के आये कामों को भी न कह देते हैं. और यही वजह है कि कई युवा सिर्फ सपने देखते रह जाते हैं. यह कड़वा सच है कि बॉलीवुड में एंट्री हासिल करना टेढ़ी खीर है. लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं कि आप अपने लिए सीढ़ियां नहीं बना सकते. कई लोगों के जेहन में यह बात होती है कि टेलीवुड का सम्मान नहीं है. टेलीवुड में सारे बुरे ही धारावाहिक बनते हैं. हो सकता है कि अभिनय के दृष्टिकोण से अभिनेता व अभिनेत्रियों को थोड़ी परेशानी हो भी. मगर परदे के पीछे काम कर रहे तकनीशियनों के लिए यह सीखने का अच्छा मौका होता है और इस अवसर का उन्हें जम कर फायदा उठाया जाना चाहिए. ताकि उन्हें आगे बॉलीवुड में मदद मिले.
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20150130
अनुराग की चोखेर बाली
अनुराग बसु ने निर्णय लिया है कि वे छोटे परदे पर चोखेर बाली नामक धारावाहिक का निर्माण व निर्देशन करें. जहां एक तरफ अनुराग कश्यप का मन फिलहाल छोटे परदे से उखड़ा सा है. अनुराग बसु चोखेर बाली बनाने की तैयारी में हैं. इस शो में राधिका आप्टे प्रमुख भूमिका निभा रही हैं. अनुराग बसु से जब भी बातचीत होती है. वे हमेशा इस बात को दोहराते हैं कि टेलीविजन की दुनिया ने उन्हें पैसा बनाना सिखाया और काम करना सिखाया. उन्होंने लंबे अरसे तक टेलीविजन के लिए काम किया है. चूंकि वे मानते हैं कि वहां हर दिन के लिए आपको तैयार होना पड़ता है. हर दिन एपिसोड की डेडलाइन होती है. जबकि फिल्म में आप सिर्फ एक विषय के इर्द गिर्द काम करते हैं. सो, वे हमेशा नये लोगों को सलाह देते हैं कि टेलीविजन करें. उससे रोजी रोटी मिलती है और पहचान भी मिलती है. तर्जुबा तो होता ही है. हालांकि युवा जिन्हें फिल्मों में अपनी पहचान बनानी है. वे इन बातों पर अमल न के बराबर ही करते हैं. उन्हें यही महसूस होता है कि फिल्मों में ही उन्हें काम मिलेगा और उन्हें फिल्में ही करनी है. इस वजह से वे अपने हाथ में टेलीविजन के आये कामों को भी न कह देते हैं. और यही वजह है कि कई युवा सिर्फ सपने देखते रह जाते हैं. यह कड़वा सच है कि बॉलीवुड में एंट्री हासिल करना टेढ़ी खीर है. लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं कि आप अपने लिए सीढ़ियां नहीं बना सकते. कई लोगों के जेहन में यह बात होती है कि टेलीवुड का सम्मान नहीं है. टेलीवुड में सारे बुरे ही धारावाहिक बनते हैं. हो सकता है कि अभिनय के दृष्टिकोण से अभिनेता व अभिनेत्रियों को थोड़ी परेशानी हो भी. मगर परदे के पीछे काम कर रहे तकनीशियनों के लिए यह सीखने का अच्छा मौका होता है और इस अवसर का उन्हें जम कर फायदा उठाया जाना चाहिए. ताकि उन्हें आगे बॉलीवुड में मदद मिले.
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