जिंदगी चैनल पर इन दिनों एक शो मेरा साया का प्रसारण हो रहा. इस शो में 50 वर्ष की उम्र में गर्ववती होनेवाली एक महिला की कहानी का चित्रण किया गया है. दिलचस्प बात यह है कि शो के निर्माताओं ने जब एक वर्ष पूर्व सौलेहा की मुख्य भूमिका के लिए रूबीना अशरफ से संपर्क किया था तो रूबीना को अपनी असल जिंदगी में गर्भावस्था से जुड़ा वाक्या याद आया. दरअसल, रूबीना की 23 साल की बेटी की भी प्रतिक्रिया ठीक वैसी ही थी जैसा कि परदे पर सौलेहा की बेटिी जाविया की है. रूबीना के गर्भवती होने की बात सुन कर उनकी बेटी ने उनसे आंखें मोड़ ली थी. उनके बीच कई गलतफहमियां भी पैदा हो गयी थी. यही वजह है रूबीना यह किरदार निभाने के लिए तैयार हुईं, चूंकि वह भी उस दर्द को महसूस कर चुकी हैं. मेरा साया के माध्यम से एक महत्वपूर्ण कहानी कहने की कोशिश की गयी है. भारत में भी शायद ऐसी कई महिलाएं हैं, जो गर्भवती न होने की वजह से कई परेशानियां झेलती हैं. आज भी महिलाओं को बांझ जैसे क्रूरूर शब्दों से नवाजा जाता है. लेकिन शायद ही भारत में ऐसी कहानियों को प्रमुखता देकर परदे पर प्रदर्शित करने की कोशिश की गयी है. छोटा परदा भले ही अब भी महिला प्रधान माध्यम है, लेकिन अब भी इस तरह के संवेदनशील मुद्दों को उजागर करने में हम अब भी इतने हिम्मतवाले नहीं हुए. हम बड़े सितारों के साथ अश्ललील फिल्में बनाने में कामयाब हो जाते हैं. लेकिन ऐसे विषयों पर अब गंभीरता से कभी नहीं सोचते. मेरे करीबी दोस्त, जो काफी समय से स्तन कैंसर पर फिल्म निर्माण करना चाहते हैं. उन्होंने इसके लिए कई सुपरस्टार्स अभिनेत्री से संपर्क भी किया है. लेकिन किसी भी अभिनेत्री को ऐसी फिल्मों में दिलचस्पी नहीं. जबकि यह एक गंभीर मुद्दा है. यहां महिलाओं की आयटम सांग की संख्या बढ़ती जायेगी. मगर उनपर गंभीर फिल्में बनने का साहस जुटाना मुश्किल है.
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20150130
मेरा साया की सच्ची कहानी
जिंदगी चैनल पर इन दिनों एक शो मेरा साया का प्रसारण हो रहा. इस शो में 50 वर्ष की उम्र में गर्ववती होनेवाली एक महिला की कहानी का चित्रण किया गया है. दिलचस्प बात यह है कि शो के निर्माताओं ने जब एक वर्ष पूर्व सौलेहा की मुख्य भूमिका के लिए रूबीना अशरफ से संपर्क किया था तो रूबीना को अपनी असल जिंदगी में गर्भावस्था से जुड़ा वाक्या याद आया. दरअसल, रूबीना की 23 साल की बेटी की भी प्रतिक्रिया ठीक वैसी ही थी जैसा कि परदे पर सौलेहा की बेटिी जाविया की है. रूबीना के गर्भवती होने की बात सुन कर उनकी बेटी ने उनसे आंखें मोड़ ली थी. उनके बीच कई गलतफहमियां भी पैदा हो गयी थी. यही वजह है रूबीना यह किरदार निभाने के लिए तैयार हुईं, चूंकि वह भी उस दर्द को महसूस कर चुकी हैं. मेरा साया के माध्यम से एक महत्वपूर्ण कहानी कहने की कोशिश की गयी है. भारत में भी शायद ऐसी कई महिलाएं हैं, जो गर्भवती न होने की वजह से कई परेशानियां झेलती हैं. आज भी महिलाओं को बांझ जैसे क्रूरूर शब्दों से नवाजा जाता है. लेकिन शायद ही भारत में ऐसी कहानियों को प्रमुखता देकर परदे पर प्रदर्शित करने की कोशिश की गयी है. छोटा परदा भले ही अब भी महिला प्रधान माध्यम है, लेकिन अब भी इस तरह के संवेदनशील मुद्दों को उजागर करने में हम अब भी इतने हिम्मतवाले नहीं हुए. हम बड़े सितारों के साथ अश्ललील फिल्में बनाने में कामयाब हो जाते हैं. लेकिन ऐसे विषयों पर अब गंभीरता से कभी नहीं सोचते. मेरे करीबी दोस्त, जो काफी समय से स्तन कैंसर पर फिल्म निर्माण करना चाहते हैं. उन्होंने इसके लिए कई सुपरस्टार्स अभिनेत्री से संपर्क भी किया है. लेकिन किसी भी अभिनेत्री को ऐसी फिल्मों में दिलचस्पी नहीं. जबकि यह एक गंभीर मुद्दा है. यहां महिलाओं की आयटम सांग की संख्या बढ़ती जायेगी. मगर उनपर गंभीर फिल्में बनने का साहस जुटाना मुश्किल है.
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