कट्रीना कैफ के मेकअप आर्टिस्ट रह चुके सुभाष ने निर्णय लिया है कि अब वह निर्माता की कुरसी पर बैठेंगे. उन्होंने कट्रीना के लिए लगभग 11 सालों तक काम किया. लेकिन बाद में कैट ने उन्हें काम से निकाल दिया. यह कह कि वे सेट पर देर से पहुंचते हैं. जबकि सुभाष ने इस बारे में स्पष्ट राय दी है कि वे कभी भी देर से नहीं पहुंचते थे. किसी अन्य कारणों से दूरी आयी. खबर यह भी थी कि रणबीर कपूर ने कैट से सुभाष को वापस काम पर रखने के लिए भी कहा था. लेकिन सुभाष तैयार नहीं हुए. बहरहाल खास बात यह है कि सुभाष ने जिस फिल्म के निर्माण की योजना बनाई है. फिल्म की कहानी फिल्मी दुनिया पर ही आधारित है और खबर है कि शबाना आजिमी, जूही चावला और अनुपम खेर जैसे दिग्गजों ने फिल्म करने के लिए मंजूरी दे दी है. जाहिर सी बात है सुभाष पिछले कई सालों से इंडस्ट्री का हिस्सा रहे हैं और उन्होंने इसे करीब से देखा है. वे अपने निजी अनुभव को फिल्म की कहानी में जरूर साझा करेंगे. यह भी संभव है कि वे यह फिल्म किसी बदले की भावना से बना रहे हों. अक्सर फिल्मी दुनिया में बदला इस तरह भी लिया जाता है. जरूरी नहीं कि श्रीराम राघवन के रघु की तरह वह सामने से वार करे और खुद को पूरी तरह उस बदले की भावना में झकझोर दें. अप्रत्यक्ष रूप से वार करने का यह भी अंदाज होता है. क्रिकेट के मैदान पर खिलाड़ी अपने बल्ले से बातों का जवाब देते हैं. विरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और शोयेब अख्तर प्रकरण हर किसी को याद होगा. जहां, सचिन ने अपने बल्ले से शोयेब की बातों का जवाब दिया था. हालांकि सुभाष ने शुरुआत नयी की है. लेकिन प्राय: ऐसे प्रयास असफल रहे हैं, क्योंकि तथ्य जानना और उसे प्रस्तुत करना फिल्मों के माध्यम से. वह भी मनोरंजक तरीके से. एक कठिन प्रक्रिया है. बेहतर है कि काम ही बोले. इंसान नहीं
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20150318
बदलते रिश्ते
कट्रीना कैफ के मेकअप आर्टिस्ट रह चुके सुभाष ने निर्णय लिया है कि अब वह निर्माता की कुरसी पर बैठेंगे. उन्होंने कट्रीना के लिए लगभग 11 सालों तक काम किया. लेकिन बाद में कैट ने उन्हें काम से निकाल दिया. यह कह कि वे सेट पर देर से पहुंचते हैं. जबकि सुभाष ने इस बारे में स्पष्ट राय दी है कि वे कभी भी देर से नहीं पहुंचते थे. किसी अन्य कारणों से दूरी आयी. खबर यह भी थी कि रणबीर कपूर ने कैट से सुभाष को वापस काम पर रखने के लिए भी कहा था. लेकिन सुभाष तैयार नहीं हुए. बहरहाल खास बात यह है कि सुभाष ने जिस फिल्म के निर्माण की योजना बनाई है. फिल्म की कहानी फिल्मी दुनिया पर ही आधारित है और खबर है कि शबाना आजिमी, जूही चावला और अनुपम खेर जैसे दिग्गजों ने फिल्म करने के लिए मंजूरी दे दी है. जाहिर सी बात है सुभाष पिछले कई सालों से इंडस्ट्री का हिस्सा रहे हैं और उन्होंने इसे करीब से देखा है. वे अपने निजी अनुभव को फिल्म की कहानी में जरूर साझा करेंगे. यह भी संभव है कि वे यह फिल्म किसी बदले की भावना से बना रहे हों. अक्सर फिल्मी दुनिया में बदला इस तरह भी लिया जाता है. जरूरी नहीं कि श्रीराम राघवन के रघु की तरह वह सामने से वार करे और खुद को पूरी तरह उस बदले की भावना में झकझोर दें. अप्रत्यक्ष रूप से वार करने का यह भी अंदाज होता है. क्रिकेट के मैदान पर खिलाड़ी अपने बल्ले से बातों का जवाब देते हैं. विरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और शोयेब अख्तर प्रकरण हर किसी को याद होगा. जहां, सचिन ने अपने बल्ले से शोयेब की बातों का जवाब दिया था. हालांकि सुभाष ने शुरुआत नयी की है. लेकिन प्राय: ऐसे प्रयास असफल रहे हैं, क्योंकि तथ्य जानना और उसे प्रस्तुत करना फिल्मों के माध्यम से. वह भी मनोरंजक तरीके से. एक कठिन प्रक्रिया है. बेहतर है कि काम ही बोले. इंसान नहीं
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