20150318

अवार्ड समारोह के शब्द


आमतौर पर अवार्ड समारोह में कलाकारों व तकनीशियनों को जब अवार्ड से सम्मानित किया जाता है, तो वह अवार्ड मिलने की खुशी में कुछ शब्द जरूर कहते हैं. हालांकि टीवी पर प्रसारित होने तक संपादन से केवल लोकप्रिय कलाकारों के ही लंबे भाषण रखे जाते हैं. लेकिन कभी कभी कुछ आम कलाकारों को भी मौके मिल जाते हैं. इस वर्ष अवार्ड समारोह के कुछ लम्हे यादगार रहेेंगे उनके शब्दों के साथ. फिल्मफेयर जीतने के बाद निर्देशक विकास बहल ने अपनी कहानी सुनायी कि उनके पिता किस तरह उनसे पूछा करते थे कि आखिर तुम करते क्या हो. हर काम के लिए तो कोई न कोई होता है. विकास उस वक्त सोचते कि हां, वाकई यह हकीकत है कि वह हैं तो निर्देशक लेकिन लाइट, कैमरा, एक् शन भी सेट पर हमेशा फर्स्ट अस्टीटेंट ही कहते हैं तो फिर वे क्या करते हैं. फिर विकास ने अपने पिता को जवाब दिया था कि मैं उन सभी अच्छे तकनीशियनों को एक जगह एक छत के नीचे लेकर आया. यही निर्देशक करता है. अब तक के अवार्ड समारोह में इससे अच्छा भाषण मैंने नहीं सुना था. बजाय इसके कि आम लोगों की तरह वे अपने माता पिता, भगवान को थैंक्स कहते. उन्होंने टीम को बधाई दी और बेहतरीन तरीके से अपनी बात रखी. फिल्मफेयर समारोह में ही अभिनेता संजय मिश्रा को फिल्म आंखों देखी के लिए बेस्ट क्रिटिक अभिनेता का खिताब मिला. उन्होंने बेहतरीन तरीके से अपनी बात रखी कि किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो वह मिल ही जाती है. यह उनकी आंखों देखी है. कम शब्दों में उन्होंने अपनी बात पूरी की और मन मोह लिया. इसी दौरान अभिनेत्री कामिनी कौशल को लाइफटाइम अचीवमेंट से सम्मानित किया गया और उन्होंने भी कम शब्दों में अपनी बात कही. दरअसल, इन शब्दों के कहे जाने के अंदाज से भी आप कलाकारों की मेहनत व लगन को आंक सकते हैं.

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