20150318

फिजूलखर्ची के मायने

स्टार प्लस पर जल्द ही एक धारावाहिक की शुरुआत हो रही है. तेरे शहर में. इस धारावाहिक में एक लड़की अमाया की कहानी है, जिसे शॉपिंग करना पसंद है. एक मुहावरा है. चांदी की चम्मच लेकर जन्म लेना. अमाया की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही है. वह ऐशो आराम से जिंदगी जीती है. लेकिन अचानक उसकी जिंदगी में एक तूफान खड़ा होता है और उसकी जिंदगी बदल जाती है. ट्रेलर में फिलवक्त दिखाया जा रहा है कि मुसीबत में या तो इंसान निखर जाता है या बिखर जाता है. अमाया पेरिस से सीधे बनारस की गलियों में आ पहुंचती और फिर कहानी नया मोड़ लेती है. जिंदगी चैनल पर कुछ महीनों पहले प्रसारित हुए धारावाहिक आईना दुल्हन का में भी दो बहनों की कहानी है. एक बहन घर को संभाल कर बजट में चलने में विश्वास रखती है. लेकिन दूसरी को फिजूलखर्ची पसंद है और वह ताउम्र फिजूलखर्ची के मायाजाल में ही फंसी रह जाती है. धारावाहिक मात में भी नायिका ताउम्र फिजूलखर्ची करती रहती है और पैसे की लालसा में वह अपने पति व अपने बच्चे दोनों को ही खो देती है. दरअसल, हकीकत यही है कि  फिजूलखर्ची की अपनी अपनी परिभाषाएं हैं. अभिनेता नाना पाटेकर ने कहा कि कभी फिल्मों में पैसों के लिए काम नहीं किया. पैसों की जरूरत नहीं हुई कभी. क्योंकि मेरी जरूरतें ज्यादा नहीं हैं. तो फिर फिजूलखर्ची की तो बात ही दूर है. मुकेश भट्ट चूंकि निर्माता हैं तो फिजूलखर्ची को लेकर उनकी अलग सोच है. उनका मानना है कि सितारों के साथ साथ उनके मेकअप आर्टिस्ट, उनके स्पॉट ब्वॉय को जरूरत से ज्यादा पैसे देना फिजूलखर्ची है. उन्होंने इस बात पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया है कि जब अस्टीटेंट निर्देशक इतनी मेहनत करता है तो फिर उसे फिर स्पॉट ब्वॉय से कम पैसे क्यों मिलता है. दरअसल, हर क्षेत्र में फिजूलखर्ची को अलग रूपों में परिभाषित किया जाता रहेगा.

No comments:

Post a Comment