जीटीवी पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक सतरंगी ससुराल में नायक सात मांओं का लाड़ला है. उसे एक लड़की आरुषि से प्यार है. लेकिन नायक ने निर्णय लिया है कि वह आरुषि के माध्यम से सभी मांओं का दिल जीतेगा. वह आरुषि को बुआ के मुताबिक शास्त्रीय संगीत में दिलचस्पी जगाने को कहता है. लेकिन आरुषि आज की लड़की है. उसे शास्त्रीय संगीत दिलचस्पी नहीं है और वह झूठ बोलती हुई पकड़ी जाती है. नायक की चाची का दिल जीतने के लिए वह किचन में अपना हाथ आजमाती है. लेकिन वह उसमें भी नाकामयाब रहती है. लाइफ ओके के शो मेरे रंग में रंगने वाली में भी शादी जबरदस्ती की है. लेकिन नायिका नायक के परिवार वालों का दिल जीतने के लिए सारे नियम कानूनों को मानना शुरू कर देती है. दरअसल, हकीकत यही है कि बहू को लेकर जो प्रथा चली आ रही है वह यही है कि बेटी जब बहू का रूप धारण करती है तो ससुराल वालों का दिल जीतने की सारी जिम्मेदारी लड़की पर ही थोप दी जाती है. वाकई ससुराल ऐसी सतरंगी दुनिया है, जहां कई लड़कियों के सपने कड़वे हो जाते हैं और कुछेक को इंद्रधनुषी संसार की प्राप्ति होती है. दरअसल, बहुओं को भी वही आजादी मिलनी चाहिए जो हम बेटियों को देते हैं. उन्हें जबरन वह बनाने की कोशिश न करें, जो वह नहीं हैं. कई बार लड़कियों को बहू के रूप में ऐसे कार्य भी करने पड़ते हैं, जो हास्यपद होते हैं. जबकि तमाम बातों से परे केवल एक बात महत्व रखती है और वह है लड़की का व्यवहार. यशराज की आगामी फिल्म दम लगाके हईसा के प्रोमो में नायिका को स्कूल टीचर की भूमिका में दर्शाया जा रहा. लेकिन उसका पति खुश नहीं, क्योंकि वह उसके पास जीरो फिगर नहीं. स्पष्ट है कि वह टीचर बनी है, तो वह काफी पढ़ी लिखी है. फिर क्यों उसे खुद को साबित करने की नौबत आती है.
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20150318
सतरंगी ससुराल
जीटीवी पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक सतरंगी ससुराल में नायक सात मांओं का लाड़ला है. उसे एक लड़की आरुषि से प्यार है. लेकिन नायक ने निर्णय लिया है कि वह आरुषि के माध्यम से सभी मांओं का दिल जीतेगा. वह आरुषि को बुआ के मुताबिक शास्त्रीय संगीत में दिलचस्पी जगाने को कहता है. लेकिन आरुषि आज की लड़की है. उसे शास्त्रीय संगीत दिलचस्पी नहीं है और वह झूठ बोलती हुई पकड़ी जाती है. नायक की चाची का दिल जीतने के लिए वह किचन में अपना हाथ आजमाती है. लेकिन वह उसमें भी नाकामयाब रहती है. लाइफ ओके के शो मेरे रंग में रंगने वाली में भी शादी जबरदस्ती की है. लेकिन नायिका नायक के परिवार वालों का दिल जीतने के लिए सारे नियम कानूनों को मानना शुरू कर देती है. दरअसल, हकीकत यही है कि बहू को लेकर जो प्रथा चली आ रही है वह यही है कि बेटी जब बहू का रूप धारण करती है तो ससुराल वालों का दिल जीतने की सारी जिम्मेदारी लड़की पर ही थोप दी जाती है. वाकई ससुराल ऐसी सतरंगी दुनिया है, जहां कई लड़कियों के सपने कड़वे हो जाते हैं और कुछेक को इंद्रधनुषी संसार की प्राप्ति होती है. दरअसल, बहुओं को भी वही आजादी मिलनी चाहिए जो हम बेटियों को देते हैं. उन्हें जबरन वह बनाने की कोशिश न करें, जो वह नहीं हैं. कई बार लड़कियों को बहू के रूप में ऐसे कार्य भी करने पड़ते हैं, जो हास्यपद होते हैं. जबकि तमाम बातों से परे केवल एक बात महत्व रखती है और वह है लड़की का व्यवहार. यशराज की आगामी फिल्म दम लगाके हईसा के प्रोमो में नायिका को स्कूल टीचर की भूमिका में दर्शाया जा रहा. लेकिन उसका पति खुश नहीं, क्योंकि वह उसके पास जीरो फिगर नहीं. स्पष्ट है कि वह टीचर बनी है, तो वह काफी पढ़ी लिखी है. फिर क्यों उसे खुद को साबित करने की नौबत आती है.
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