वरुण धवन ने फिल्म बदलापुर में अलग मिजाज का किरदार निभाने की कोशिश की है. वे करन जौहर की खोज हैं और वे फिल्मी खानदान से भी हैं. उनकी पहली फिल्म स्टूडेंट आॅफ द ईयर की सफलता का सारा श्रेय आलिया और सिद्धार्थ को मिला. फिल्म हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया में उन्होंने खुद को बेहतर तरीके से साबित किया. लेकिन वह भी उनके लिए कंफर्ट जोन था. इस बार वे बदलापुर में अलग अंदाज में हंै और दर्शकों को उनका यह लुक पसंद भी आ रहा है. वरुण के समकक्ष उनके सहपाठी फिलहाल ऐसी फिल्मों से तौबा कर रहे हैं. लेकिन वरुण ने एक अच्छा रिस्क लिया. उन्होंने अन्य निर्देशकों के सामने अपने विकल्प दिये हैं कि वे सिर्फ सामान्य फिल्में नहीं करना चाहते. हालांकि फिल्म गजनी के आमिर खान की तरह वे इस फिल्म में उस इंटेंस किरदार के साथ नजर नहीं आये हैं .लेकिन उनकी मेहनत को कमतर नहीं आंका जा सकता है. चूंकि वे जिस माहौल से निकल कर ऐसे रिस्क ले रहे हैं. वहां अभिनय में यहां तक भी पहुंच पाना कठिन टास्क है. दरअसल, फिल्मी खानदान से जुड़े सितारें कंफर्टजोन से निकल कर कुछ नया व प्रयोग करने से डरते हैं. वे चूंकि बचपन से ही ैएक सुरक्षित कवच में रहना जानते हैं. लेकिन कई बार वही कंफर्ट व आरामतलबी होना उनके लिए मुश्किल सबब बन जाता है. लेकिन गौर करें तो जब जब कलाकारों ने अपने जोन से निकल कर नया करने की कोशिश की है, वे कामयाब रहे हैं. अभिषेक की फिल्म गुरु उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म है. हालांकि रावण में भी उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया था. भले ही फिल्म कामयाब हो या नहीं. विद्या हमेशा मानती हैं कि वे कभी एक किरदार में बंध कर नहीं रह सकतीं. शायद यही वजह है कि वे प्रयोग करती रहती हैं. चूंकि प्रयोग ही आपको निखारता संवारता है. वरुण के सहपाठियों को उनसे सीख लेनी चाहिए
My Blog List
20150318
वरुण का रिस्क
वरुण धवन ने फिल्म बदलापुर में अलग मिजाज का किरदार निभाने की कोशिश की है. वे करन जौहर की खोज हैं और वे फिल्मी खानदान से भी हैं. उनकी पहली फिल्म स्टूडेंट आॅफ द ईयर की सफलता का सारा श्रेय आलिया और सिद्धार्थ को मिला. फिल्म हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया में उन्होंने खुद को बेहतर तरीके से साबित किया. लेकिन वह भी उनके लिए कंफर्ट जोन था. इस बार वे बदलापुर में अलग अंदाज में हंै और दर्शकों को उनका यह लुक पसंद भी आ रहा है. वरुण के समकक्ष उनके सहपाठी फिलहाल ऐसी फिल्मों से तौबा कर रहे हैं. लेकिन वरुण ने एक अच्छा रिस्क लिया. उन्होंने अन्य निर्देशकों के सामने अपने विकल्प दिये हैं कि वे सिर्फ सामान्य फिल्में नहीं करना चाहते. हालांकि फिल्म गजनी के आमिर खान की तरह वे इस फिल्म में उस इंटेंस किरदार के साथ नजर नहीं आये हैं .लेकिन उनकी मेहनत को कमतर नहीं आंका जा सकता है. चूंकि वे जिस माहौल से निकल कर ऐसे रिस्क ले रहे हैं. वहां अभिनय में यहां तक भी पहुंच पाना कठिन टास्क है. दरअसल, फिल्मी खानदान से जुड़े सितारें कंफर्टजोन से निकल कर कुछ नया व प्रयोग करने से डरते हैं. वे चूंकि बचपन से ही ैएक सुरक्षित कवच में रहना जानते हैं. लेकिन कई बार वही कंफर्ट व आरामतलबी होना उनके लिए मुश्किल सबब बन जाता है. लेकिन गौर करें तो जब जब कलाकारों ने अपने जोन से निकल कर नया करने की कोशिश की है, वे कामयाब रहे हैं. अभिषेक की फिल्म गुरु उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म है. हालांकि रावण में भी उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया था. भले ही फिल्म कामयाब हो या नहीं. विद्या हमेशा मानती हैं कि वे कभी एक किरदार में बंध कर नहीं रह सकतीं. शायद यही वजह है कि वे प्रयोग करती रहती हैं. चूंकि प्रयोग ही आपको निखारता संवारता है. वरुण के सहपाठियों को उनसे सीख लेनी चाहिए
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment