मैं टॉम क्रूज की फिल्मों का हमेशा से दीवाना रहा. मैं उनके एक् शन करने के अंदाज से हमेशा प्रेरणा लेता था और शायद इसलिए मुझे स्टाइलिश फिल्में बनाने में मजा आता है. अगर किसी एक फिल्म का नाम लेना हो तो मैं टॉम क्रूज की फिल्म जैरी मैग्वॉयर का नाम लूंगा. चूंकि यह फिल्म ऐसी थी, जिसमें टॉम क्रूज का अंदाज उनकी बाकी फिल्मों से बिल्कुल अलग था. वे जिस तरह से इस फिल्म में संवाद अदायगी करते हैं. वह बेहद अलग थी. यह फिल्म स्पोटर््स एजेंट लीग स्टीनबर्ग पर बनी थी और टॉम ने इस फिल्म में एक साथ रोमांटिक, कॉमेडी, ड्रामा और स्पोर्ट्स हर जॉनर को बखूबी निभाया था. इस फिल्म की खूबसूरती थी कि इस फिल्म में जिंदगी के छोटे छोटे मोंमेंट्स को भी खूबसूरती से दर्शाया गया है. फिल्म में एक दृश्य में फिल्म की नायिका जो कि अपना घर बदल रही होती है और जब वह घर से बाहर आती है उसने डार्क ग्लासेज पहन रखा होता है. टॉम उसका ग्लास उतारते हैं और देखते हैं कि वह रो रही है, इस सीन को फिल्म में बखूबी दर्शाया गया है. तो मुझे लगता है कि फिल्म मेकिंग का मतलब है कि आप अपनी फिल्म में इस तरह के मोमेंट्स दिखायें जो आपकी अपनी जिंदगी का हिस्सा हो. इस फिल्म में जिस तरह दर्शक फिल्म के कलाकारों से और मोमेंट से कनेक्ट हो पाते हैं. वही इस फिल्म की खासियत है. मुझे अपनी फिल्मों में भावना को एक खास हिस्सा बनाना अच्छा लगता है. क्योंकि ह्मुन इमोशन ही दर्शकों को फिल्म से जोड़ पाते हैं. टॉम की इस फिल्म की यह खासियत थी. इसके अलावा मुझे वैसी फिल्में आकर्षित करती हैं, जिनके किरदार बहुत इनकरेजिंग हों. जो आम जिंदगी से प्रभावित हों. शायद इन्हीं फिल्मों और किरदारों को देख देख कर मैं द डर्टी पिक्चर्स जैसी भावनात्मक कहानी वाली फिल्म बना पाया. वन्स अपन जैसी फिल्में मैं टॉम क्रूज की फिल्में देख कर ही बना पाया हूं. सो, मैं मानता हूं कि ऐसी फिल्मों का आपके विजन पर बहुत असर होता है. अनुप्रिया
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20130513
भावनाओं से गढ़ी फिल्म जैरी मैग्वॉयर : मिलन लुथरिया निर्देशक
मैं टॉम क्रूज की फिल्मों का हमेशा से दीवाना रहा. मैं उनके एक् शन करने के अंदाज से हमेशा प्रेरणा लेता था और शायद इसलिए मुझे स्टाइलिश फिल्में बनाने में मजा आता है. अगर किसी एक फिल्म का नाम लेना हो तो मैं टॉम क्रूज की फिल्म जैरी मैग्वॉयर का नाम लूंगा. चूंकि यह फिल्म ऐसी थी, जिसमें टॉम क्रूज का अंदाज उनकी बाकी फिल्मों से बिल्कुल अलग था. वे जिस तरह से इस फिल्म में संवाद अदायगी करते हैं. वह बेहद अलग थी. यह फिल्म स्पोटर््स एजेंट लीग स्टीनबर्ग पर बनी थी और टॉम ने इस फिल्म में एक साथ रोमांटिक, कॉमेडी, ड्रामा और स्पोर्ट्स हर जॉनर को बखूबी निभाया था. इस फिल्म की खूबसूरती थी कि इस फिल्म में जिंदगी के छोटे छोटे मोंमेंट्स को भी खूबसूरती से दर्शाया गया है. फिल्म में एक दृश्य में फिल्म की नायिका जो कि अपना घर बदल रही होती है और जब वह घर से बाहर आती है उसने डार्क ग्लासेज पहन रखा होता है. टॉम उसका ग्लास उतारते हैं और देखते हैं कि वह रो रही है, इस सीन को फिल्म में बखूबी दर्शाया गया है. तो मुझे लगता है कि फिल्म मेकिंग का मतलब है कि आप अपनी फिल्म में इस तरह के मोमेंट्स दिखायें जो आपकी अपनी जिंदगी का हिस्सा हो. इस फिल्म में जिस तरह दर्शक फिल्म के कलाकारों से और मोमेंट से कनेक्ट हो पाते हैं. वही इस फिल्म की खासियत है. मुझे अपनी फिल्मों में भावना को एक खास हिस्सा बनाना अच्छा लगता है. क्योंकि ह्मुन इमोशन ही दर्शकों को फिल्म से जोड़ पाते हैं. टॉम की इस फिल्म की यह खासियत थी. इसके अलावा मुझे वैसी फिल्में आकर्षित करती हैं, जिनके किरदार बहुत इनकरेजिंग हों. जो आम जिंदगी से प्रभावित हों. शायद इन्हीं फिल्मों और किरदारों को देख देख कर मैं द डर्टी पिक्चर्स जैसी भावनात्मक कहानी वाली फिल्म बना पाया. वन्स अपन जैसी फिल्में मैं टॉम क्रूज की फिल्में देख कर ही बना पाया हूं. सो, मैं मानता हूं कि ऐसी फिल्मों का आपके विजन पर बहुत असर होता है. अनुप्रिया
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