20130513

परदे से इतर खलनायकों की जिंदगी



 शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर जल्द ही आशिकी 2 में फिर से नजर आयेंगी. इससे पहले वे लव का द एंड, तीन पत्ती में भी नजर आ चुकी हैं. हाल ही में उन्होंने अपनी बातचीत में कहा कि जब वे स्कूल में थीं, तब उनके दोस्त उन्हें बेहद चिढ़ाते थे. सभी उनसे कहते थे कि तुम्हारे पापा बलात्कारी हैं, गंदे हैं. गुंडे हैं. यह सब सुन कर श्रद्धा को बहुत बुरा लगता था.चूंकि उस वक्त श्रद्धा भी यह बात नहीं समझ पाती थीं कि उनके पापा अभिनय कर रहे हैं. वे घर पर आकर बहुत रोया करती थी. और अपनी मां से इस बात की शिकायत करती थी. लेकिन अब जाकर उन्हें एहसास होता है कि वे कितनी गलत थी. कुछ इसी तरह प्राण साहब की बेटी ने भी अपनी बातचीत में इस बात का जिक्र किया था कि उनके दोस्त भी उन्हें इसी तरह तंग करते हैं. सभी उनके घर आने से डरते थे. वे प्राण से बहुत डरते थे. आशुतोष राणा की बहन ने तो आशुतोष राणा से बातचीत ही करना बंद कर दिया था. जब उन्होंने दुश्मन और संघर्ष में घिनौना, अत्याचारी का किरदार निभाया था. दरअसल, हकीकत यही है कि सिनेमा हमारी जिंदगी पर इस कदर हावी है कि हम फिल्मों के किरदारों को वास्तविक जिंदगी में भी वही समझने लगते हैं. ऐसे में किसी भी कलाकार के लिए जिन्होंने  खलनायकों की भूमिका निभाई है. उनकी वास्तविक दुनिया पर भी उनका अभिनय भारी पड़ता है. प्रेम चोपड़ा को ही एक बार किसी थियेटर के बाहर किसी दर्शक ने आकर थप्पड़ जड़ दिया था.कुछ ऐसी ही कहानी प्राण साहब की भी थी. दरअसल, गुजरे जमाने के खलनायक अपनी अदाकारी में वह जान डालते भी थे, जिससे लोग थरर्रा जाते थे. याद करें वह मोंगेबो के अमरीश पुरी. लेकिन वर्तमान में वैसे किरदार न तो गढ़े जा रहे हैं और न ही खलनायकों की फिल्मों में अहम भूमिका रह गयी है.

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