हाल ही में विवेक ओबरॉय ने टेलीविजन के सेट पर ऐसा ड्रामा किया कि उन्हें देख कर सभी दंग थे. वे एपिसोड के शूट के लिए अपनी वैनिटी वैन से बाहर ही नहीं निकले. जबकि उन्हें उस दिन शूट करना था. विवेक ने ऐसा पहली बार नहीं किया है. किसी दौर में जब वह उभरते सितारे के साथ ही चमकते सितारे बन गये थे. तब कामयाबी उनके सिर पर चढ़ कर बोलने लगी थी और इसी वजह से उन्होंने नखरे दिखाने शुरू कर दिये थे. विवेक इस नखरे की वजह से पूरे प्रोडक् शन टीम को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, प्रोड्क् शन का काम कोई आसान काम नहीं होता.यह एक खर्चीला माध्यम हैं. जहां बजट का मीटर एक एक सेकेंड के अनुसार चलता है. ऐसे में अगर कोई अभिनेता अनप्रोफेशनल तरीके से व्यवहार करता है तो इससे करोड़ों का नुकसान हो सकता है. फिल्म ओम शांति ओम में इस बात को बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है. लेकिन हिंदी फिल्मों के सेट पर ऐसा होना आम बात हो चुकी है. हिंदी सिनेमा के ऐसे कई स्टार हैं, जो सेट पर इस तरह से परेशानी गढ़ते हैं कि उससे पूरी यूनिट को परेशानी का सामना करना पड़ता है. एक दौर में प्राण साहब जब उपकार फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. उनकी बहन की मौत हुई थी. लेकिन उन्होंने यह बात मनोज कुमार को नहीं बतायी थी. चूंकि उनका मानना था कि मेरी बहन की मौत हुई है लेकिन मैं बाकी के पेट को क्यों मारूं. अगर एक दिन शूटिंग नहीं होगी तो कितना नुकसान होगा. यह वह अच्छी तरह से जानते थे. अमिताभ बच्चन और सुभाष घई में कभी कहा सुनी हो गयी थी और उन्होंने एक फिल्म को डिब्बाबंद कर दिया. दरअसल, हकीकत यही है कि यह कलाकारों पर निर्भर करता है कि वह अपने काम के प्रति कितना प्रतिबद्ध है. वह कितना समर्पित है. वह काम को पूजा की तरह लेता है या नहीं
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20130513
कलाकारों का अनप्रोफेशनलिज्म
हाल ही में विवेक ओबरॉय ने टेलीविजन के सेट पर ऐसा ड्रामा किया कि उन्हें देख कर सभी दंग थे. वे एपिसोड के शूट के लिए अपनी वैनिटी वैन से बाहर ही नहीं निकले. जबकि उन्हें उस दिन शूट करना था. विवेक ने ऐसा पहली बार नहीं किया है. किसी दौर में जब वह उभरते सितारे के साथ ही चमकते सितारे बन गये थे. तब कामयाबी उनके सिर पर चढ़ कर बोलने लगी थी और इसी वजह से उन्होंने नखरे दिखाने शुरू कर दिये थे. विवेक इस नखरे की वजह से पूरे प्रोडक् शन टीम को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, प्रोड्क् शन का काम कोई आसान काम नहीं होता.यह एक खर्चीला माध्यम हैं. जहां बजट का मीटर एक एक सेकेंड के अनुसार चलता है. ऐसे में अगर कोई अभिनेता अनप्रोफेशनल तरीके से व्यवहार करता है तो इससे करोड़ों का नुकसान हो सकता है. फिल्म ओम शांति ओम में इस बात को बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है. लेकिन हिंदी फिल्मों के सेट पर ऐसा होना आम बात हो चुकी है. हिंदी सिनेमा के ऐसे कई स्टार हैं, जो सेट पर इस तरह से परेशानी गढ़ते हैं कि उससे पूरी यूनिट को परेशानी का सामना करना पड़ता है. एक दौर में प्राण साहब जब उपकार फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. उनकी बहन की मौत हुई थी. लेकिन उन्होंने यह बात मनोज कुमार को नहीं बतायी थी. चूंकि उनका मानना था कि मेरी बहन की मौत हुई है लेकिन मैं बाकी के पेट को क्यों मारूं. अगर एक दिन शूटिंग नहीं होगी तो कितना नुकसान होगा. यह वह अच्छी तरह से जानते थे. अमिताभ बच्चन और सुभाष घई में कभी कहा सुनी हो गयी थी और उन्होंने एक फिल्म को डिब्बाबंद कर दिया. दरअसल, हकीकत यही है कि यह कलाकारों पर निर्भर करता है कि वह अपने काम के प्रति कितना प्रतिबद्ध है. वह कितना समर्पित है. वह काम को पूजा की तरह लेता है या नहीं
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