फिल्म ‘कोई मिल गया’ में पहली बार एक अजीबो-गरीब किरदार का आगमन हुआ. वह दिखने में काफी अलग था. उसे भूख तो लगती थी, लेकिन वह भोजन से नहीं, बल्कि धूप से अपनी भूख मिटाता था. इस अजीबो-गरीब किरदार को निर्देशक ने ‘जादू’ का नाम दिया था. जादू एक एलियन था.
एलियन का यह किरदार इतना लोकप्रिय हुआ कि हिंदी फिल्मों में एलियन जैसे चौंकानेवाले किरदारों पर फिल्में बनायी जाने लगीं. इसी की अगली कड़ी है शिरीष कुंदर की जल्द ही रिलीज होने वाली फिल्म ‘जोकर’. फिल्मों में एलियन के ‘जादू’ से ‘जोकर’ के किरदार तक के इस सफर पर अनुप्रिया अनंत की पड़ताल..
मील का पत्थर बनी कोई मिल गया
राकेश रोशन ने पहली बार हिंदी सिनेमा के रुपहले परदे पर एलियन जैसे किसी किरदार को उतारा था. ‘कोई मिल गया’ फिल्म से भारत में साइ-फाइ फिल्में बनने की शुरुआत हुई. हालांकि इससे पहले इस तरह की फिल्में बना करती थीं, लेकिन उनकी क्वालिटी इतनी बेहतर नहीं होती थी. इस फिल्म के बाद ही अचानक फिल्मों में स्पेशल इफेक्ट्स और तरह-तरह की तकनीकों को दर्शाने का ट्रेंड शुरू हो गया. इस फिल्म से ही हिंदी में सुपरहीरो की कहानियां कही जाने लगीं. ‘कोई मिल गया’ की ही सीक्वल थी फिल्म ‘कृष’. जल्द ही इसकी अगली कड़ी भी दर्शकों के सामने होगी.
निर्देशक सत्यजीत रे ने वर्ष 1967 में पहली बार एलियन पर आधारित फिल्म की परिकल्पना की थी. हालांकि उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया. उनकी सोच को 2003 में राकेश रोशन ने अपनी फिल्म ‘कोई मिल गया’ में जादू के किरदार के रूप में प्रस्तुत किया. इसके बाद हिंदी सिनेमा के रुपहले परदे पर एलियंस पर आधारित फिल्म निर्माण का ट्रेंड सा शुरू हो गया.
विचित्र प्रकार की शारीरिक बनावट और विभिन्न प्रकार के करतब दिखाने वाले इन किरदारों ने बाल दर्शकों को बड़ी संख्या में आकर्षित किया. इन एलियंस की फिल्में बच्चों को बेहद पसंद आयीं. इसी के चलतेसिनेमा को बाल दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने का जादुई मंत्र मिल गया. बॉलीवुड फिल्मों में एलियन को लोकप्रिय बनाने का श्रेय हॉलीवुड की फिल्मों को जाता है.
एलियन पर आधारित फिल्मों को लेकर दिलचस्पी होने की खास वजह यह रही है कि एलियन न सिर्फ कद काठी में अलग होते हैं, बल्कि उन्हें परदे पर विभिन्न खूबियों के साथ प्रस्तुत किया जाता है. यही वजह है कि इन अजूबों की मजेदार और अजीबो-गरीब हरकतों से दर्शकों का लगाव बढ़ जाता है.
निर्देशक राकेश रोशन की फिल्म ‘कोई मिल गया’ में जब पहली बार एलियन ‘जादू’ के रूप में आया और जिस तरह उसे दर्शाया गया, उसने लोगों के जेहन में एलियन को लेकर शायद एक खाका जरूर गढ़ दिया. फिल्में दर्शकों की नजर में छवियां भी बनाती हैं और इस तरह की चीजों को लोकप्रिय बनाने में फिल्मों ने अहम भूमिका निभायी है.
दुनिया की वैसी तमाम चीजें जिन्हें हमने नहीं देखा, वे जब फिल्मों के माध्यम से हमारे सामने आती हैं तो हम यही मान लेते हैं कि फिल्मों में जो दिखाया जा रहा होगा, तकरीबन सही होगा. यही वजह है कि एलियन पर आधारित फिल्में बनने का सिलसिला आज भी जारी है. दर्शक यह मान चुके हैं कि एलियन का संबंध विज्ञान से है और वह उड़नतस्तरी में घूमनेवाला कोई अजीबो-गरीब प्राणी है.
यही वजह है कि अब तक एलियन को लेकर जितनी भी फिल्मों का निर्माण हुआ, वे सभी साइ-फाइ (साइंस पर आधारित फिक्शन फिल्म) ही थीं. इस बिंदु पर अब तक भारत में ‘कोई मिल गया’ ही दर्शकों में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रही. इसी कड़ी में अब निर्देशक शिरीष कुंदर अपनी नयी फिल्म ‘जोकर’ में एलियन के साथ दर्शकों से रूबरू हो रहे हैं.
हालांकि, हिंदी सिनेमा में प्राय: एलियन को सकारात्मक भूमिकाओं में दर्शाया जाता रहा है. फिल्म ‘कोई मिल गया’ में राकेश रोशन ने एलियन की भावनात्मक छवि प्रस्तुत की थी, लेकिन फिल्म ‘जोकर’ में शिरीष ने एलियन को हास्य भूमिका में पेश किया है. एलियन पर लगातार फिल्में बनती रही हैं. इसके बावजूद लोग इस विषय से बोर नहीं हुए हैं. इसकी वजह यही है कि एलियन को ध्यान में रख कर कई एक्शन और साइंस फिक्शन की अलग-अलग विचारों की फिल्में बनायी जाती रही हैं.
द एलियन (सत्यजीत रे) पहली सोच
सत्यजीत रे ने पहली बार ‘द एलियन’ नामक इंडियन अमेरिकन साइंस फिक्शन फिल्म बनाने की परिकल्पना की थी. इसमें उनका साथ हॉलीवुड स्टूडियो कोलंबिया पिर्स देने वाला था. फिल्म की पटकथा भी लिखी जा चुकी थी. यह फिल्म बंकुबादुर बंधू के बंगाली साइंस फिक्शन पर आधारित थी. ऐसे ही विषय को लेकर रे ने ‘पातालघर’का निर्माण किया था.
हॉलीवुड के एलियन
हॉलीवुड में अब तक एलियन पर आधारित कई फिल्मों का निर्माण किया जा चुका है. हॉलीवुड में एलियंस को अधिकतर नकारात्मक भूमिका में दिखाया जाता रहा है. वर्ष 1979 में रेडली स्कॉट ने ‘एलियन’ नामक फिल्म बनायी थी. इस फिल्म से उन्हें बहुत लोकप्रियता भी मिली. जेम्स कैमरॉन ने इसी फिल्म का सीक्वल बनाया और इसके बाद ‘एलियन 3’ भी आयी. टॉम क्रूज की फिल्म ‘वॉर ऑफ द वर्ल्ड’ में भी एलियन की भूमिका दर्शायी गयी है.
फिल्म जोकर की कहानी
फिल्म ‘जोकर’ की कहानी एक ऐसे गांव पर आधारित है, जो भारत के नक्शे पर कहीं मौजूद नहीं है. यह गांव अपना अस्तित्व खो चुका है. ऐसे में एक झूठी खबर फैलायी जाती है कि वहां एलियन आते हैं. इसके बाद अचानक ही गांव चर्चा में आ जाता है. फिल्म का मुख्य केंद्र यही है कि हम आज भी जब तक कुछ अजीबो-गरीब और अलग चीजें नहीं दर्शाते, हमारी चर्चा नहीं होती. क्यों गांव को पहचान दिलाने के लिए एलियन के होने की अफवाह फैलायी जाती है, फिल्म इसी विषय पर आधारित है. यहां एलियन को ही जोकर की संज्ञा दी गयी है. फिल्म की पूरी शूटिंग 3डी कैमरे से की गयी है. भारत में ‘जोकर’ पहली फिल्म होगी जिसकी पूरी शूटिंग में 3डी कैमरे का इस्तेमाल किया गया है.
हिंदी-दक्षिण फिल्मों में एलियन
1. ‘कोई मिल गया’ के अलावा ‘जाने कहां से आयी है’ में नायिका को एलियन के रूप
में दिखाया गया था. इस फिल्म में एलियन की खूबसूरत छवि को प्रस्तुत किया गया.
में दिखाया गया था. इस फिल्म में एलियन की खूबसूरत छवि को प्रस्तुत किया गया.
2. फिल्म ‘अलग’ में भी एलियन को दर्शाया गया.
3. दक्षिण फिल्मों में भी एलियन के रोचक विषय का खूब इस्तेमाल किया गया है. विशेषकर तमिल में एलियन को ध्यान में रखते हुए फिल्में बनायी जाती रही हैं. ‘कुड्ड’, ‘कलाई अरासी’, ‘विक्रम’ जैसी फिल्मों के नाम इस फेहरिस्त में शामिल हैं.
4. मलयालम में एलियन को लेकर फिल्म ‘करुथा’ बनी, जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया.
परदे के पीछे का एलियन..
लियन फिल्मों में अलग तरह के लिबास में नजर आते हैं. फिल्मों में कभी भी उनका असली चेहरा सामने नहीं आता. यही वजह है कि सोच में उनकी छवि एक एलियन की तरह जगह बनाने लगती है. एलियन का किरदार निभा रहे कलाकारों को देख कर जेहन में एक सवाल आता है कि आखिर ये किरदार निभाने वाले कलाकार कौन हैं. इसी बात की तफ्तीश में फिल्म ‘जोकर’ के प्रमोशन के दौरान फिल्म में तीन महत्वपूर्ण एलियन के गेटअप में सजे-धजे कलाकारों से बात हुई.
फिल्म के प्रमोशन में भी इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि एलियन के पीछे का चेहरा आखिर किसका है. यही वजह है कि एलियन बनाने वाले व्यक्ति ने भी अपना नाम न प्रकाशित होने की शर्त पर एलियन बनने की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया. परदे पर नजर आने वाले एलियन को तैयार करने वाले वही व्यक्ति होते हैं जो प्राय: मॉल या किसी कार्यक्रम में बड़े-बड़े आकार के टेडी बियर, हाथी और अन्य कई तरह के जानवरों की शक्ल वाले लिबास पहनकर लोगों को लुभाते हैं.
उन्हें फिल्मी निर्माताओं द्वारा एलियन के रंग-रूप और शारीरिक आकार के बारे में बताया जाता है. एलियन के गेटअप में तैयार होने वाले कलाकारों को बाकायदा इसकी ट्रेनिंग दी जाती है. क्योंकि यह एक बेहद धैर्य रखनेवाला काम है. ज्यादातर वे लोग इससे जुड़ते हैं, जो मुखौटे वाला नृत्य करते हैं. छोटे कद के कलाकारों और बच्चों को भी इसके लिए ट्रेनिंग दी जाती है.
हालांकि बड़ी उम्र के लोग भी इस व्यवसाय से जुड़े होते हैं. इस व्यवसाय में काम करने वाले व्यक्ति प्रति महीना लगभग 8 से 9 हजार कमा लेते हैं. फिल्म ‘कोई मिल गया’ में एलियन का किरदार भी एक बच्चे ने ही निभाया था. मुंबई के दादर, वर्ली, मसजिद बंदर के लोग इस काम को ज्यादा करते हैं
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