Aरामगोपाल वर्मा कॉलेज के दिनों से अभिनेत्री श्रीदेवी के दीवाने थे. उन्होंने श्रीदेवी की दीवानगी में ही फिल्मों में काम शुरू किया. श्रीदेवी को एक फैन की तरह प्यार करनेवाले राम गोपाल वर्मा ने अपनी इस दीवानगी पर मस्त नामक फिल्म का निर्माण भी किया. जिसमें उन्होंने दर्शाया कि वे किस तरह श्रीदेवी से प्यार करने लगे थे. कुछ इसी तरह पुरी जगन्नाथ ने अमिताभ बच्चन के साथ बुड्ढा होगा तेरा बाप का निर्माण किया. पुरी भी अमिताभ के बड़े फैन रहे हैं और वह अपनी इस फिल्म से अमिताभ को दोबारा से जवां जिंदगी जीते दिखाना चाहते थे. उनकी यह फिल्म कामयाब भी रही. दर्शकों ने अमिताभ को इस रूप में पसंद भी किया. इन दिनों गौरी शिंदे भी इंग्लिश विंगलिश लेकर आ रही हैं और वह भी श्रीदेवी की फैन रही हैं. सो, उनका पूरा ध्यान श्रीदेवी के हर पहलू को फिल्म में उभारने का है. किसी दौर में मकबूल फिदा हुसैन ने भी फैन के रूप में ही माधुरी दीक्षित के साथ फिल्म गजगामिनी का निर्माण किया था. दरअसल, हिंदी सिनेमा में फिल्मकारों में भी कई फैन फिल्मकार रहे हैं, जो अपनी शैली में दर्शकों को अपने प्रिय अभिनेता अभिनेत्री के लिए फिल्म दिखाते रहे हैं. हालांकि ऐसे ज्यादातर प्रयास असफल रहे हैं. शायद इसकी वजह यह हो सकती है कि फिल्मकार जब फैन के रूप में फिल्म बनाते हैं तो वे अपने प्रिय अभिनेता अभिनेत्री को फिल्माने के दौरान फिल्मों का ग्रामर या अन्य पहलू छोड़ कर एक फैन की तरह सिर्फ उन अभिनेताओं के सकारात्मक पहलू ही दर्शा पाते हैं. कई बार यह अतिश्योक्ति भी हो जाती है. हालांकि इन फिल्मों की खासियत यह रही है कि इन फिल्मों में कलाकार के कई अनछुए पहलु भी दर्शाये जाते हैं जो बेहद रोचक होते हैं. ऐसी फिल्मों की खासियत यह भी रहती है कि इन फिल्मों में कलाकार खुद स्वतंत्र व ईमानदार होकर काम करते हैं.
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20120918
फैन की फिल्म
Aरामगोपाल वर्मा कॉलेज के दिनों से अभिनेत्री श्रीदेवी के दीवाने थे. उन्होंने श्रीदेवी की दीवानगी में ही फिल्मों में काम शुरू किया. श्रीदेवी को एक फैन की तरह प्यार करनेवाले राम गोपाल वर्मा ने अपनी इस दीवानगी पर मस्त नामक फिल्म का निर्माण भी किया. जिसमें उन्होंने दर्शाया कि वे किस तरह श्रीदेवी से प्यार करने लगे थे. कुछ इसी तरह पुरी जगन्नाथ ने अमिताभ बच्चन के साथ बुड्ढा होगा तेरा बाप का निर्माण किया. पुरी भी अमिताभ के बड़े फैन रहे हैं और वह अपनी इस फिल्म से अमिताभ को दोबारा से जवां जिंदगी जीते दिखाना चाहते थे. उनकी यह फिल्म कामयाब भी रही. दर्शकों ने अमिताभ को इस रूप में पसंद भी किया. इन दिनों गौरी शिंदे भी इंग्लिश विंगलिश लेकर आ रही हैं और वह भी श्रीदेवी की फैन रही हैं. सो, उनका पूरा ध्यान श्रीदेवी के हर पहलू को फिल्म में उभारने का है. किसी दौर में मकबूल फिदा हुसैन ने भी फैन के रूप में ही माधुरी दीक्षित के साथ फिल्म गजगामिनी का निर्माण किया था. दरअसल, हिंदी सिनेमा में फिल्मकारों में भी कई फैन फिल्मकार रहे हैं, जो अपनी शैली में दर्शकों को अपने प्रिय अभिनेता अभिनेत्री के लिए फिल्म दिखाते रहे हैं. हालांकि ऐसे ज्यादातर प्रयास असफल रहे हैं. शायद इसकी वजह यह हो सकती है कि फिल्मकार जब फैन के रूप में फिल्म बनाते हैं तो वे अपने प्रिय अभिनेता अभिनेत्री को फिल्माने के दौरान फिल्मों का ग्रामर या अन्य पहलू छोड़ कर एक फैन की तरह सिर्फ उन अभिनेताओं के सकारात्मक पहलू ही दर्शा पाते हैं. कई बार यह अतिश्योक्ति भी हो जाती है. हालांकि इन फिल्मों की खासियत यह रही है कि इन फिल्मों में कलाकार के कई अनछुए पहलु भी दर्शाये जाते हैं जो बेहद रोचक होते हैं. ऐसी फिल्मों की खासियत यह भी रहती है कि इन फिल्मों में कलाकार खुद स्वतंत्र व ईमानदार होकर काम करते हैं.
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