20120927

सदाबहार सम्मान के हकदार




आज देव आनंद साहब की पुण्यतिथि है. देव आनंद जब तक जीवित रहे. उन्होंने अपना हर जन्मदिन धूमधाम से मनाया. हर वर्ष वे अपने पसंदीदा होटल में जाते थे और वहीं अपने परिवार और मीडिया के बीच शौक से केक काटते थे. उनके बेटे सुनील आनंद ने पिता की इस परंपरा को बरकरार रखते हुए आज उसी होटल में देव आनंद साहब का जन्मदिन मनाने का फैसला किया है. साथ ही उन्होंने एक फिल्म की भी घोषणा करने का निर्णय लिया है. चूंकि उनके पिता हर साल अपने जन्मदिन पर अपने बैनर की फिल्मों की घोषणा करते थे. सुनील ने पिता के लिए संग्रहालय बनाने का भी निर्णय लिया है. वाकई एक पुत्र द्वारा पिता को दिया गया भेंट अदभुत होगा. चूंकि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री द्वारा अपनी हस्तियों के सम्मान में किसी भी तरह के संस्मरण को संग्रहालय का रूप देने की परंपरा नहीं रही है. अफसोस, एक एक कर हम शख्सियत को खोते जा रहे हैं. और साथ ही उनसे जुड़ी चीजों व यादों को भी. ऐसे में सुनील ने एक अच्छी पहल की है. देव आनंद जैसे सदाबहार अभिनेता हर रोज जन्म नहीं लेते. राजेश खन्ना जैसा स्टाइल, स्टारडम कभी नहीं लौटेगा. लेकिन इसके बावजूद हम अपने कलाकारों को उस सम्मान की नजर से नहीं देखते,और न ही सम्मान देते हैं जो उनके द्वारा प्रयोग की गयी सामग्री, उनकी फिल्मों की स्क्रिप्ट, उनसे जुड़े वीडियो को किसी सुरक्षित जगह पर संग्रह कर सकें. हिंदी सिने जगत में केवल महज आॅटोग्राफ देने वाले अभिनेताओं को पैदा नहीं किया है. एक से एक मिसाल रहे हैं सभी. यह जरूरी है कि जिस तरह हमारे कलाकारों ने सदाबहार रह कर हमारा मनोरंजन किया. उन्हें भी हमारी तरफ से सदाबहार सम्मान ही मिलना चाहिए. एक कलाकार के लिए इससे बेहतरीन तोहफा और क्या होगा कि वह मृत्यु पंरात भी लोगों के जेहन में इस रूप में जिंदा है.

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