20120927

भगवान नहीं, उनका फैनक्लब है अंधविश्वासी: अक्षय- परेश



‘हेराफेरी’, ‘फिर हेराफेरी’ जैसी कई फिल्मों में धमाल मचा चुकी अक्षय कुमार और परेश रावल की जोड़ी इस बार फिल्म ‘ओह माइ गॉड’ में दर्शकों के सामने आ रही है. यह फिल्म गुजराती प्ले ‘कांजी विरुद्ध कांजी’ से प्रेरित है. अक्षय और परेश इस फिल्म के माध्यम से एक अलग संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं.
दो दोस्तों ने पहली बार किसी फिल्म में निर्माता की भी भूमिका निभायी है. आखिर क्या वजहें थीं, जिनकी वजह से दोनों ऐसी फिल्म लेकर दर्शकों के सामने आ रहे हैं, अनुप्रिया अनंत ने जानने की कोशिश की अक्षय कुमार और परेश रावल से.
रेश, मुझे तुम्हारी यही बात पसंद नहीं है. तुम हमेशा अपने मोबाइल में क्या करते रहते हो. बातें कहीं भी करो, लेकिन ध्यान मोबाइल पर रहता है. अब यहां इंटरव्यू देने आये हो तो वही करो न! अक्षय कुमार ने दोस्ताना हक जमाते हुए परेश की क्लास ली. जवाब में परेश ने कहा मेरा मोबाइल से खेलना तुझे इरिटेट करता है, पर तेरा सुबह के 6 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाना मुझे उससे भी ज्यादा इरिटेट करता है.

सुबह 6 बजे कोई जागता है भला! अक्षय कहते हैं कि रात को उल्लू जागते हैं. दिन काम के लिए होता है. अब तुम तय कर लो तुम क्या हो. अक्षय देर रात काम नहीं करते और सुबह जल्दी जागते हैं. उनकी इस आदत से सभी वाकिफ हैं. परेश ने भी जवाब में कहा, जी जनाब मैं उल्लू, उल्लू का पट्ठा. चल अब इंटरव्यू शुरू करते हैं.
अक्षय कुमार की यह खासियत है कि वे अपने बिंदास और हंसमुख अंदाज से चंद मिनटों में ही सबसे दोस्ताना व्यवहार कायम कर लेते हैं. अक्षय के पास गजब का सेंस ऑफ ह्यूमर हैं. और आप अनुमान लगा सकते हैं कि उनके साथ अगर परेश रावल जैसे हास्य के महारथी हों तो माहौल कैसा होगा. यह सच है कि इन दोनों से यह मुलाकात किसी हास्य फिल्म को लेकर नहीं हो रही थी. दरअसल, फिल्म ‘ओह माइ गॉड’ एक गंभीर विषय को लेकर बनी है.

लेकिन दोनों ही कलाकारों ने फिल्म में ही नहीं, माहौल में भी हंसी के फव्वारे फैला दिये. अक्षय इस फिल्म को एक मिशन मान रहे हैं. इसी के चलते अक्षय और परेश ने यह वादा किया है कि फिल्म की रिलीज के बाद वे एक बार फिर इसके बारे में बातचीत करेंगे, यह जानने के लिए कि इसके प्रति लोगों की क्या प्रतिक्रियाएं हैं? उनके मन में किस तरह से सवाल उठ रहे हैं?
इसी के साथ मैंने परेश और अक्षय से बातचीत का सिलसिला शुरू किया.
अक्षय, परेश आप दोनों की जोड़ी बतौर कॉमेडियन हिट रही है. फिर इस फिल्म में आपने एक अलग ही विषय चुना है. कोई खास वजह?
अक्षय : (हंसते हुए) आप लोग चिंता न करें. इस फिल्म में भी हम दोनों नहीं, तो कम से कम परेश आप लोगों को बहुत हंसायेंगे.
परेश : हां, सही कहा अक्षय ने.. दर्शकों को हंसाने की अपने हिस्से की जिम्मेवारी भी मुझे ही दे दी है. वैसे, इस बार हंसी के साथ थोड़ी ज्ञान की बातें भी होंगी.

अक्षय : अब आप लोग भी सोच रहे होंगे कि कहां अक्षय ज्ञान की बातें बघारने चला है, जैसे खुद महाज्ञानी हो! अगर ऐसा है, तो स्पष्ट कर दूं कि मैं ज्ञानी नहीं हूं. लेकिन सच्चाई बताता हूं, मैंने परेश के कहने पर पहली बार कृष्णा वर्सेज कन्हैया प्ले देखा. उसे देखने के बाद मैं रोने लगा और मुझे लगा कि मैं अंधकार में हूं. परेश ने एक गुरु की तरह मुझे प्ले के माध्यम से कई बातें दरसा दीं.

एक्टिंग में आने के बाद से जब भी मैं मंदिर में दर्शन के लिए जाता था, तो अपने फैंस की भीड़ से बचने के लिए काफी इंतजाम करने पड़ जाते थे. पहले मैं हर साल चार्टर्ड प्लेन से वैष्णो देवी दर्शन के लिए जाता था. इसमें इसके अलावा दर्शन के लिए किये गये अन्य इंजतामों को मिला कर लगभग पांच लाख रुपये खर्च हो जाते थे. इस प्ले को देखने के बाद भगवान में आस्था का नजरिया बदल गया.

अब मैं वैष्णो देवी या किसी तीर्थ स्थल के दर्शन करना जरूरी नहीं मानता, बल्कि दर्शन की व्यवस्था में खर्च होने वाले पैसों को अच्छे कामों, जैसे कि जरूरतमंदों की मदद और चैरिटी के लिए खर्च करना ज्यादा बेहतर समझता हूं. मुझे इससे शांति भी मिलती है. मैं स्वीकारता हूं कि एक सच्चे दोस्त की तरह परेश ने मेरा ज्ञान बढ़ाया है. मैंने उसी दिन तय कर लिया था कि मैं इसे फिल्म का रूप जरूर दूंगा.

परेश : अक्षय ने अभी दोस्ती की बात कही है, तो मैं भी कहना चाहूंगा कि अक्षय एक सच्चे दोस्त की तरह ही मेरी बातों का आदर करता है और मेरे उद्देश्य को समझता है. यह एक ऐसा व्यक्ति है जिस पर मैं आंखें बंद करके भरोसा कर सकता हूं. जब उसने कहा कि मैं इस पर फिल्म बनाना चाहता हूं, तो मुझे भी लगा कि ऐसे विषय पर फिल्म बननी ही चाहिए.

अक्षय-परेश यह आपके प्रोडक्शन की पहली फिल्म है. इसलिए शुभारंभ भगवान की फिल्म से ही हो, क्या यह सोच कर आपने इसके लिए यह विषय चुना?
अक्षय : (हंसते हुए), फिल्म शुरू करते वक्त यह बात दिमाग में नहीं थी, लेकिन अब आपने कहा है तो सोचता हूं अच्छा ही हुआ कि यह पहली फिल्म बनी. खुशी इस बात की है कि कुछ ऐसी जानकारी, जिस पर परदा है और जिससे आम लोगों की नियमित जिंदगी बहुत प्रभावित होती है, उस पर हम कुछ प्रकाश डाल पायेंगे.
परेश : मुझे खुशी इस बात की है कि हम दोनों मिल कर लोगों को लुटने से बचा रहे हैं. आप मानें या न मानें, हम सभी अंधकार में हैं और ज्ञान के अभाव में हम लगातार पुण्य की इच्छा में अपने धन को बेफिजूल मंदिरों में दक्षिणा देकर बरबाद कर रहे हैं. करना है, तो अच्छे कर्म करो. स्वत: सारी परेशानी दूर हो जायेगी.
आपको नहीं लगता कि आपकी फिल्म को लेकर धार्मिक विवाद हो सकते हैं?
अक्षय : मैं नहीं मानता. मैं कहां कह रहा हूं कि कोई भी धर्म खराब है और उसे मत मानिए. मैं तो बस यह कह रहा हूं कि आंखों पर जो पट्टी बांधी गयी है और वर्षो से हम अज्ञान होकर भगवान में जो आस्था दरसाते आ रहे हैं, वह गलत है. मैंने नहीं कहा कि भगवान नहीं हैं, लेकिन भगवान आपसे रिश्वत लेकर आपकी मदद करेंगे, यह सोच गलत है.
परेश : मैं पूजा पाठ में न तो कभी विश्वास रखता था, न रखूंगा. मेरा साफ कहना है कि जरूरतमंदों की मदद करोगे, तो खुद-ब-खुद पुण्य कमा लोगे. गंगा में जाकर नहाने से केवल आपके शरीर का मैल धुल सकता है, पाप नहीं. पाप किया है तो प्रायश्चित का तरीका यही है कि अंतर्रात्मा को सुधारने की कोशिश करो. मैं अपने परिवार में किसी पर दबाब नहीं डालता कि वह पूजा करे या न करे.

जिसको जो ठीक लगता है,वही करे. लेकिन मैं झूठी, मनगढ़ंत बातों पर यकीन नहीं करता. यह कैसी पूजा है कि अगरबत्ती दिखा रहे हैं और मुंह से दूसरे के लिए बुराई उगल रहे हैं. ऐसे लोग कभी सुखी नहीं रह पाते. बस हमारी यही कोशिश है कि इस फिल्म के माध्यम से हम ऐसे सवालों से परदा उठायें.
अक्षय : हां, आप जब खुद फिल्म देखेंगी तो तय कर पायेंगी. फिल्म में कांजीलाल का भगवान के साथ किस तरह से सवाल-जवाब हुआ है. इस सवाल-जवाब में ही धीरे-धीरे आपकी अज्ञानता खत्म होती दिखेगी. आप विश्वास करिये इस फिल्म को देखने के बाद आप खुद सिनेमा हॉल से बाहर निकल कर अलग महसूस करेंगी. फिल्म में ऐसे कई संवाद, कई उक्तियों का इस्तेमाल किया गया है. (परेश की ओर इशारा करते हुए) परेश वो बताओ न, वो संवाद जो मुझे बहुत अच्छा लगा था.
परेश : फिल्म में वो संवाद ऐसा है कि एक स्कॉलर ने लिखा है कि मुझे भगवान से कोई परेशानी नहीं, परेशानी तो भगवान के फैन क्लब से है. दरअसल, सच्चाई भी यही है कि भगवान ने कभी किसी को नहीं कहा कि इसे मानो, ऐसा करो, वैसा करो. ये तो भगवान के नाम पर व्यवसाय करने वाले लोगों ने गढ़ दिया है और पूरी दुनिया को मूर्ख बना रहे हैं.
आप दोनों ने गीता, कुरान, बाइबल पढ़ी है?
अक्षय : मैंने गीता पढ़ी है और गीता में लिखी बातों पर काफी विश्वास करता हूं.
परेश : मैंने भी गीता पढ़ी है और गीता पढ़ने के बाद ही मेरा धर्म के अंधविश्वास से परदा उठ गया था.
फिल्म में किसी खास धार्मिक गुरु का जिक्र है?
अक्षय : नहीं.
मिथुन का फिल्म से जुड़ना कैसे हुआ?
अक्षय : यह परेश का ही आइडिया था. फिल्म में गॉड के एक रिप्रेंजेटिव का किरदार था. परेश ने कहा कि मिथुन दा कर सकते हैं, क्योंकि उनके चेहरे पर एक अलग-सा तेज है. वे सीनियर कलाकार हैं और उस किरदार में जस्टिस कर पायेंगे.
अक्षय आखिर आप इस फिल्म में भगवान कृष्ण के ही अवतार में क्यों आ रहे और आप बाइक पर क्यों हैं?
अक्षय : भगवान कृष्ण का अवतार बनने की वजह यह है कि हमेशा से ही भगवान कृष्ण का किरदार बेहद मल्टीडायमेंशनल रहा है. उन्होंने कई भूमिकाएं निभायी थीं. वे अच्छे वक्ता थे. अच्छे राजनीतिज्ञ थे. मुझे लगा कि लोग इससे रिलेट कर पायेंगे और जहां तक बात बाइक से आने की है, तो मैंने यह आइडिया इसलिए रखा है, क्योंकि मैं चाहता था कि लोग भगवान को आम आदमी की तरह ही देखें और आम आदमी तो बाइक ही चलाता है.

दूसरी बात है कि यह फिल्म इसी दौर की कहानी कहेगी, ऐसे में इस बात का ध्यान रखना था कि कुछ भी बनावटी न लगे. हमने रथ-वथ को दिखाने की बजाय बाइक को चुना.
अक्षय आप भगवान का किरदार निभा रहे हैं, तो क्या फिल्म की शूटिंग के दौरान आपने मांसाहारी भोजन वगैरह खाना छोड़ दिया था?
अक्षय : देखिए इन्हीं बातों से परदा उठायेगी यह फिल्म. वैसे, मैंने ट्विंकल के कहने पर गणपति की वजह से 10 दिन शाकाहार भोजन ग्रहण किया था.
परेश : भगवान के भोजनालय को हममें से किसी ने देखा है. हम तो यह मान बैठे हैं कि भगवान मीठा खाना पसंद करते हैं, इसीलिए उन्हें मिठाई का भोग लगाया जाता है. वैसे सोचिए अगर भगवान मीठा खाते होते, इतना मीठा खाने पर अब तक उन्हें डायबीटिज नहीं हो जाती (हंसते हुए).
इस फिल्म से आप दोनों का उद्देश्य?
अक्षय-परेश : बस यही कि लोग भगवान से डरें नहीं, अरे हमने उन्हें महंगा चढ़ावा नहीं चढ़ाया तो क्या वे हमारा बुरा करेंगे. भगवान कभी किसी का बुरा नहीं करते. इस फिल्म को देखने के बाद आप भगवान को दोस्त मानने लगेंगे. भगवान से शिकायत करना भूल कर अपने आप से प्रश्न पूछने लगेंगे कि आपने जब भी कुछ गलत किया है, तो वह आपकी अपनी वजह से हुआ है और उस गलती को भगवान को नहीं, बल्कि आपको खुद ही सुधारना होगा

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