20120903

बॉलीवुड का बिग बॉस


फैमिली, फ्रेंड्स, फैन्स : बिग बॉस के रुल्स
े ब्रांदा के गेअटी मल्टीप्लेक्स में. यह थियेटर सलमान भाई का थियेटर माना जाता है. चूंकि सलमान अपनी हर फिल्म की रिलीज पर यहां आते हैं और आकर लोगों से मिलते हैं और फस्र्ट डे फस्र्ट शो देखनेवालों के साथ समौसे व पॉपकॉर्न का भी लुत्फ उठाते हैं.सलमान की किसी भी फिल्म का क्रेज देखना हो तो मुंबई के इस मल्टीप्लेक्स को मानक माना जा सकता है. थियेटर के संचालकों का मानना है कि जितने बच्चे सलमान की फिल्में देखने आते हैं. उतनी किसी और की फिल्में नहीं. चूंकि सलमान उनके लिए हीरो है. यही वजह रही कि हाल ही में रिलीज हुई फिल्म एक था टाइगर भी यहां के लोगों को बेहद पसंद आयी और हमेशा की तरह सलमान की यह फिल्म भी दर्शकों की वजह से 100 करोड़ क्लब में शामिल हुई. फिल्म समीक्षक लगातार सलमान की फिल्मों की धज्जियां उड़ाते हैं और उनके प्रशंसक उन्हें लगातार अपनी पलकों पर बिठाते हैं. स्पष्ट है कि सलमान प्रशंसकों के हीरो हैं.
3 एफ है जिंदगी में
सलमान  खुद मानते हैं कि उनकी जिंदगी में तीन एफ बहुत महत्वपूर्ण हैं. फैमिली, फ्रेंड्स और फैन. मतलब परिवार, दोस्त और प्रशंसक . और आज वे इन तीनों की वजह से ही कामयाब हैं. यह हकीकत भी है. सलमान को अभिनय के दृष्टिकोण से बेहतरीन अभिनेता नहीं माना जाता. समीक्षकों की राय में वे बहुत ही बुरे एक्टर हैं. लेकिन इसके बावजूद वे जब जब बॉक्स ऑफिस पर आ रहे हैं. दहाड़ रहे हैं. एक टाइगर की तरह. सव्रे के अनुसार सलमान एकमात्र ऐसे सुपरसितारा हैं, जिनके प्रशंसकों की फेहरिस्त पिछले 20 साल से ज्यों की त्यों है. इसमें इजाफा ही हुआ है. उनके प्रशंसक कभी टूटे नहीं हैं. विशेष कर छोटे शहर के लोग, गरीब तबके के लोग उन्हें ही अपना हीरो मानते हैं. मुंबई शहर के ब्रांदा इलाके में हर कोई सलमान को अपना सलमान भाई या सल्लू भाई कह कर ही बुलाता है. अभी हाल ही में जब वे बुरी तरह बीमार पड़े थे. ब्रांदा के कई परिवारों ने सिद्धिविनायक में जाकर पूजाअर्चना की थी. ताकि सलमान फौरन ठीक हो जाएं. आखिर क्या है सलमान में. जो आम लोगों को आकर्षित करती है. स्तरीय अभिनय न करते हुए भी वे लगातार फिल्मों में बरकरार हैं और लोग उन्हें देखना पसंद कर रहे हैं. जबकि उनकी फिल्मों में केवल वह होते हैं. कहानी नहीं होती. ऐसा वेिषक मानते हैं. मशहूर फिल्म समीक्षक राजीव मसंद इस बारे में कहते हैं कि निश्चित तौर पर सलमान अगर लगातार एक ही जॉनर की फिल्में करते रहें तो एक दौर आयेगा,जब दर्शक उनसे भी बोर हो जायेंगे. ऐसा पहले भी हुआ है. लेकिन सलमान को पता है कि उस वक्त क्या करना है. उस वक्त सलमान भी अपना जॉनर बदल देंगे. जैसा कि उन्होंने पहले भी किया है. वे रोमांटिक फिल्मों में नजर आये. फिर उन्होंने कॉमेडी भी की और अब वे लगातार एक् शन फिल्में कर रहे हैं. राजीव मसंद का मानना है कि यह हकीकत है कि हिंदी सिनेमा में किसी भी सुपरसितारा को ऐसी स्थाई लोकप्रियता नहीं मिली है. जो सलमान को मिली है. इसकी सबसे खास वजह सलमान का वास्तविक जिंदगी में नेक दिल का होना और जरूरतमंदों की सेवा करना है. चूंकि एक आम आदमी हमेशा ही उन लोगों से प्रभावित होता है. जो उनके बारे में सोचे. जो उनकी समस्याओं का समाधान करें. सलमान लोगों की मदद करते हैं लेकिन इसका ढिंढोरा नहीं पीटते. यह भी एक खास वजह है कि लोग उन्हें मसीहा मानते हैं.समीक्षक और विशेषज्ञ सलमान को भले ही भाषा या किसी भी गतिविधियों का जानकार न मानें लेकिन वे संवेदनशील हैं. वे न सिर्फ अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हैं. बल्कि मदद के लिए भी आगे आते हैं. जैसा कि सरबजीत मामले में वे आये. यह दर्शाता है कि सलमान संवेदनशील व्यक्ति हैं. भले ही मीडिया ने कई बार उनकी छवि बिगाड़ने की कोशिश की. लेकिन सलमान के चुप्पी साधने के बावजूद उनके फैन्स ने जवाब दिया. लाजर्र देन लाइफ किरदार निभानेवाले सलमान वास्तविक जिंदगी में सामान्य तरीके से जीते हैं. दरअसल, सलमान ने अपना यह स्वभाव बनाया नहीं है. बल्कि बचपन से ही वे ऐसे ही हरफनमौला और अमहत्वकांक्षी रहे हैं. यही वजह है कि बॉलीवुड में वे फिलवक्त बिग बॉस हैं.उनका करिश्मा बासाख्ता दर्शकों पर जारी है.गौरतलब है कि उस दौर में जब सलमान की फिल्में लगातार फ्लॉप हो रही थीं. उस वक्त वे हताश हो गये थे. उस वक्त मिथुन चक्रवर्ती ने भविष्यवाणी की थी कि बेटा तू बिल्कुल हताश मत हो. तू एकदिन निश्चित तौर पर सुपरस्टार बनेगा. हाल ही में डीआइडी डांस रियलिटी शो में खुद सलमान ने इसका जिक्र किया. यही वजह है कि वे आज भी मिथुन चक्रवर्ती का बहुत सम्मान करते हैं.कम ही लोगों को जानकारी होगी कि सलमान को पहली बार सल्लू कह कर अभिनेता जैकी सर्राफ ने बुलाया था. सलमान फिल्म इंडस्ट्री के कई अपने हमउम्र कलाकारों व वरिष्ठ कलाकारों के भी प्रिय हैं. जिनमें संजय दत्त, अजय देवगन, साजिद खान, फराह खान जैसी हस्तियां प्रमुख हैं. धर्मेद्र को भी अपना गुरु मानते हैं सलमान.

मैंने प्यार से एक था टाइगर
सलमान ने जब पहली शुरुआत की थी. उस वक्त उन्होंने अपने पिता के नाम का इस्तेमाल किये बगैर काम तलाशना शुरू किया था. शुरुआती दिनों में जब किसी को जानकारी नहीं थी कि वे किनके बेटे हैं. उन्हें कई प्रोडक् शन हाउस से धक्के भी खाये. सूरज बड़जात्या को भी फिल्म की शूटिंग के वक्त जानकारी मिली थी कि वे सलीम के बेटे हैं. यह दर्शाता है कि उन्होंने खुद से अपनी पहचान बनाई. इसके बाद लगातार सलमान ने कई कॉमेडी फिल्मों में काम किया. साजन जैसी फिल्मों में सहयोगी भूमिकाएं भी कीं. लेकिन हम आपके हैं कौन से वे निखर कर सामने आये. धीरे धीरे उन्होंने खुद को एक् शन हीरो में बदला और उन्होंने महसूस किया कि दर्शकों को वे इस किरदार में अधिक पसंद आ रहे हैं. बकौल सलमान भारत में दर्शकों को नायकों का मारधार करना, हीरोइज्म दिखाना पसंद है. इसलिए वे दर्शकों को खुश करने के लिए एक् शन फिल्में करते हैं. यही वजह रही कि वांटेड, बॉडीगार्ड, एक था टाइगर, दबंग,रेडी जैसी फिल्में लगातार हिट हो रही हैं.
आम लोगों के हीरो
सलमान खुद को आम लोगों के हीरो मानते हैं. इसलिए आम लोगों में सबसे अधिक उनके ही स्टाइल लोकप्रिय हैं. फिर चाहे उनका कॉलर पर पीछे चश्मा लटकाने का अंदाज हो. तेरे नाम में उनके बालों का स्टाइल हो. हाथ में ब्रैसलेट का अंदाज हो या फिर उनके संवाद हो.
एक बार जो कमिटमेंट कर दी तो..स्कूल के दिन
पढ़ाई में बेहतरीन न होने के बावजूद सलमान अपने स्कूल में सबसे लाड़ले थे. इसकी वजह यही थी कि वे बेहद नेक दिल के थे. वे कभी भी किसी से लड़ते झगड़ते नहीं थे. सलमान पर लिखी गयी किताब हॉल ऑफ फेम सलमान खान में इस बात का पूरा ब्योरा है. किताब में उनकी टीचर ड्रिसूला फर्नांडीस ने बखान किया है कि किस तरह सलमान बचपन में उन सभी दोस्तों की मदद करता था. जब उन्हें जरूरत होती थी. सलमान कभी महत्वकांक्षी नहीं रहा. वह हमेशा कहता कि बस इतना कमाना सीख जाऊं. ताकि अब्बू से पैसे न लेने पड़े. सलमान के गणित के शिक्षक देव शर्मा जो उन्हें टयूशन भी पढ़ाया करते थे. उन्होंने किताब में चर्चा करते हुए बताया है कि सलमान कभी पढ़ने में बहुत तेज नहीं था. लेकिन फिर भी उसकी सौम्यता लोगों को पसंद आती थी. वह अरबाज से कमजोर था पढ़ने में. उनके पिताजी उसे डांटने भी थे. लेकिन सलमान के मन में कभी अपने भाई के लिए कोई द्वेष या ईष्र्या की भावना आयी ही नहीं. ड्रिसूला बताती हैं कि एक बार अरबाज को चोट लगी थी और घर पर कोई नहीं था. सलमान ने उन्हें फोन किया. फिर वो लोग हॉस्पिटल गये. तब से लेकर आज तक जब भी सलमान उनके घर से गुजरते हैं. रुक कर मिलने जरूर जाते हैं. सलमान के शिक्षकों को इस बात से परेशानी है कि सलमान के बारे में मीडिया में कई नकारात्मक बातें होती रहती हैं. जबकि वे स्कूल के दिनों में स्पोर्ट्स व सांस्कृतिक गतिविधियों में उस्ताद था. उसे कभी बेस्ट बनने की चाहत नहीं रही है. यही वजह है कि वह अपने जीवन से संतुष्ट हैं. आज भी सलमान अपनी फिल्मों की स्क्रीनिंग में अपने शिक्षकों को आमंत्रित करते हैं. देव शर्मा बताते हैं कि सलमान अपने वादों के पक्के रहे हैं. वे शुरू से ही कम बोलते थे और कमिटमेंट नहीं करते थे जल्दी. लेकिन एक बार जो वह ठान लेते थे. वह कर के दिखा देते थे.
मुझपे एक एहसान करना कि मुझपे कोई एहसान न करना
सलमान खान अपने दोस्तों के खासमखास हैं. यह सलमान की खासियत है कि वे दोस्ती करते वक्त किसी की औकात नहीं देखते. उनके दोस्तों की फेहरिस्त में उनके घर के नौकर भी हैं तो उनके बॉडीगार्ड भी. उनके बॉडीगार्ड शेरा को भी वे अपने स्टाफ की तरह ही दोस्तों की तरह ट्रीट करते हैं. उनके दोस्त बंटी वालिया बताते हैं कि कैसे कई साल पहले सड़क पर एक कार से बुरी तरह एक व्यक्ति दुर्घटनाग्रस्त हुआ था. और सलमान ने उसे अस्पताल पहुंचाया था. अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने इलाज से मना कर दिया था. तो सलमान ने लड़ाई की थी. दूसरे दिन अखबारों में खबर आयी थी कि सलमान ने वह एक्सीडेंट किया है. लेकिन सलमान चुप रहे. जब वह व्यक्ति होश में आया , तो उसने बयान दिया कि सलमान ने उनकी जान बचाई है. यह सलमान की खासियत रही है कि वह खुद पर उठे विवाद या इल्जाम की कभी सफाई नहीं देते. मोहनिश बहल ने एक बार अपने इंटरव्यू में बताया था कि कैसे उन्होंने सलमान को कहा था कि वह कामयाब नहीं होंगे कभी. उनमें एक्टर मेटेरियल नहीं है. लेकिन सलमान ने कभी अपने दोस्त की बातों का बुरा नहीं माना. एक दौर में जब मोहनिश के पास कुछ काम नहीं था. तो सलमान ने ही सूरज बड़जात्या से कह कर मोहनिश को मैंने प्यार किया में रोल देने के लिए मनाया था. मोहनिश बताते हैं कि सलमान और उनकी दोस्ती आज भी बरकरार है. हाल ही में प्रीति ने अपने इंटरव्यू में कहा है कि सलमान इस इंडस्ट्री के एक मिरैकल हैं. वे बेहद अच्छे इंसान हैं और एकमात्र ऐसे इंसान हैं जो फायदा या नुकसान सोचे बिना दोस्ती करते हैं और निभाते भी हैं.सलमान ने दोस्ती निभाने के लिए ही कई दोस्तों की फिल्मों में गेस्ट अपियरेंस किया है. और आगे भी करते रहेंगे.उनके करीबी बताते हैं कि भाई का दिल जिस पर आ गया वे उन्हें सफल बना देते हैं. हिमेश रेशमिया, कट्रीना कैफ, जरीन खान, अजरुन कपूर, रितिक रोशन जैसे कई टैलेंट की पहली पहचान उन्होंने ने की थी.
बिइंग rाुन
सलमान पिछले कई सालों से बिइंग rाुन के माध्यम से जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. सलमान अपनी फिल्मों के अलावा जहां भी जाते हैं बिइंग rाुन के टीशर्ट ही पहनते हैं. सलमान के करीबी बताते हैं कि सलमान के न जाने हर दिन कितने लोगों के लिए भोजन बनता हैं. चूंकि हर दिन उनके अपार्टमेंट के बाहर जरूरतमंदों की भीड़ उमड़ी रहती है. सलमान खुद ऐसे लोगों की मदद करते हैं.ब्रांदा के झोपड़पट्टी में आग लगने के दौरान सलमान ने वहां के कई बच्चों को गोद ले लिया था. इंडस्ट्री में भी ऐसे कई उनके स्टाफ्स हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर वे मदद करते रहते थे. सलमान खुद मानते हैं कि वे 20 सालों में लगातार कामयाबी हासिल कर रहे हैं, क्योंकि उनके फैन की दुआएं उनके साथ हैं. करीबी बताते हैं कि न सिर्फ मुंबई में बल्कि देश के अन्य कोनों में भी सलमान बहुत मदद करते रहते हैं. उनके पिता सलीम जावेद इस बारे में कहते हैं कि सलमान को कोई नहीं समझ सकता. उसका परिवार बहुत बड़ा है. यहां मेरा परिवार कहने से तात्पर्य हम उसके परिवार के सदस्य नहीं, बल्कि वे उन लोगों को भी अपने परिवार का हिस्सा मानता है. जो जरूरतमंद हैं. सलीम बताते हैं कि बचपन से ही सलमान को कार का शौक रहा है. लेकिन वह कभी बहुत महंगी कार खरीदने के लिए पैसे नहीं मांगा करता था.क्योंकि उसे लगता है कि महंगी कार खरीदने से बेहतर है किसी जरूरतमंद की मदद कर दे. बचपन में भी वह अपनी किताबें जरूरतमंद बच्चों को दे दिया करता था. सलमान के पिता ही बताते हैं कि सलमान को जब भी वक्त मिलता है वह न्यूज देखता है. क्योंकि उसे संवेदनशील मुद्दों और देश दुनिया में क्या हो रहा है. यह जानने में दिलचस्पी है. वह हर बात की जानकारी रखता है और समय आने पर वे अपनी प्रतिक्रिया भी देता रहता है.
परिवार के लिए कुछ भी
फिल्मों में भले ही वह कहते हों कि आइ मी माइसेल्फ उनके लिए अहम है. लेकिन वास्तविक जिंदगी में उनके लिए उनका परिवार खास महत्व रखता है. सलमान उस वक्त डिप्रेशन में चले गये थे. जब उन्हें पता चला था कि उनके पिता किसी दूसरी महिला से प्यार करते हैं और उनके साथ रहना चाहते हैं. वे कई दिनों तक इस बात को स्वीकार नहीं पाये थे. लेकिन उनकी मां सलमा खान ने बेटे को संभाला और उन्हें समझाया. अपने मां के लाड़ले सलमान पर मां की बातों का कुछ ऐसा असर हुआ कि उन्होंने हेलेन को न केवल तहे दिल से स्वीकारा. बल्कि अब सभी एक साथ मिल कर एक ही छत के नीचे भी रहने लगे. सलमान के परिवार में हर पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. मां सलमा जो कभी हिंदू थीं और गणपति में आस्था रखती हैं. हर वर्ष गणपति के अवसर पर सलमान के घर पर धूम होती है. इन दिनों उनके पनवेल फार्म हाउस पर धूम होती है. पनवेल हाउस के आस पास के सभी गांव के लोग आमंत्रित रहते हैं. भाभी मलैयका के साथ क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है तो ईद के सभी एकत्रित होकर एक साथ सेलिब्रेट करते हैं. अपने भाईयों में सबसे बड़े सलमान अरबाज व सोहेल के लिए हर वक्त खड़े रहते हैं. फिर चाहे वह उनकी फिल्मों का मामला हो या कोई निजी मामला.सलमान अपने पिता के लेखन शैली से भी प्रभावित रहे हैं. यही वजह थी कि सलमान को पेंटिंग के साथ साथ लेखन का भी शौक रहा. फिल्म वीर में सलमान ने अपने इस शौक को पूरा भी किया.
स्टारडम हावी नहीं
अपने स्टारडम के बारे में स्पष्ट तौर पर सलमान कहते हैं कि लोकप्रियता स्थाई चीज नहीं है. वह कभी भी खत्म हो सकती है तो फिर इस पर इतराऊं क्यों.एक दौर था. जब लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि मेरा करियर खत्म हो चुका है. उस वक्त मेरे बारे में सिर्फ नकारात्मक बातें ही छपती थी. उस वक्त सिर्फ परिवार ने मेरा साथ दिया था. सो, मैं स्टारडम को कभी अपना नहीं मानता. निस्संदेह आज भी सुपरसितारों में सलमान एकमात्र ऐसे स्टार हैं, जो छोटे बड़े मीडिया हाउस में भेद नहीं करते. वे मीडिया ब्रांड देख कर बातें नहीं करते. न ही पब्लिसिटी या पीआर गतिविधियों में रुचि लेते हैं.  एक इंटरव्यू में उन्होंने एक पत्रकार से ही उलट कर सवाल कर दिया था कि किसी खबर को लिखते वक्त वे बिना तफ्तीश किये कैसे लिख देते हैं. उन्हें पीआर पर भरोसा कैसे हो जाता है. यह दर्शाता है कि वे खोखली मीडिया पब्लिसिटी या चकाचौंध की दुनिया से खुद को बाहर ही रखते हैं.
बिग बॉस का नया रंग रूप
हाल ही में एक इंटरव्यू में सलमान ने कहा है कि उन्हें वैसी फिल्में न तो करनी है और न ही पसंद है, जिसमें गालियां दी जाती हों. वे मानते हैं कि उनकी फिल्में बच्चे और बुढ़े व परिवार सभी साथ में देखते हैं. ऐसे में वह हास्य फिल्में करेंगे. लेकिन अपशब्द वाली बातें नहीं करेंगे. यही वजह है कि उन्होंने कलर्स के सुपरहिट शो बिग बॉस की भी रूपरेखा बदल कर रख दी है. पिछले दो सीजन से वे बिग बॉस का हिस्सा रहे हैं और इस सीजन से उन्होंने बिग बॉस का पूरा फॉरमेट ही बदलने की मांग रखी है. उन्होंने शो प्में प्रतिभागियों द्वारा बोले जा रहे अपशब्दों पर आपत्ति जताई है. साथ ही उन्होंने बिग बॉस में आम लोगों को बतौर प्रतिभागी हिस्सा लेने देने की बात कही है. और उनकी ये शर्ते मानी भी जा रही हैं. यह दर्शाता है कि वर्तमान में सलमान की ही तूती बोल रही है.
प्रोफेशनलिज् म अपनी शर्तो पर
सलमान प्रोफेशन को गंभीरता से लेते हैं. लेकिन सिर्फ अपनी शर्तो पर. खुद आमिर मानते हैं कि स्टार तो हम सभी हैं. लेकिन स्टार राजा सलमान ही है. चूंकि सलमान हमेशा से अपने तरीके से फिल्मों की शूटिंग करते हैं. वे मनमौजी हैं. सेट पर निर्धारित समय से लेट पहुंचने में वह माहिर हैं. हालांकि कई निर्माता यह भी बताते हैं कि वे देर से आते हैं लेकिन आने के बाद गंभीरता से अपना पूरा काम कर देते हैं. हाल ही में रिलीज हुई एक था टाइगर की शूटिंग के दौरान भी सलमान ने ही यशराज के कई नियम तोड़े. उन्होंने यशराज में अपना वैनिटी वैन लाया.स्क्रीनिंग के बाद पार्टी की. यह दर्शाता है कि वह हरफनमौला है और सिर्फ अपनी शर्तो पर जीते हैं.


 कबीर खान
लोगों को भले ही लगता हो कि सलमान को कुछ भी जानकारी नहीं लेकिन सलमान बेहद संवेदनशील हैं और जानकारी रखते हैं. यह अलग बात है कि वे कभी खुद को इंटलैुअल साबित करने की कोशिश नहीं करते.
महेश मांजरेकर, निर्देशक
मैं सलमान के साथ कई फिल्मों में काम कर चुका हूं. मैंने उसके साथ रह कर एक बात सीखी है कि वह ऐसा बंदा है जो फिल्म खत्म होने पर रिश्ते खत्म नहीं करता. उसे निभाता है. जो उसे भाते हैं. वे उसे दिल में राज करते हैं. मैं भाग्यशाली हूं कि सलमान जैसा इंसान मेरा दोस्त है. वरना, इंडस्ट्री में लोग तो कई मिल जाते हैं. लेकिन भला इंसान नहीं मिलता. मैंने उससे सीखा है कि भला इसान बनना कितना जरूरी है.
भाग्यश्री
मैंने प्यार किया के दौरान मुङो कुछ सीन करने में परेशानी थी. वह सीन जिसमें मेरे पैर में चोट लगती है और सलमान मुङो दवाई लगाते हैं. मैंने सलमान से कहा कि मुङो परेशानी है. उन्होंने सूरज को मनाया और फिर अलग तरीके से उस सीन की शूटिंग हुई थी. हम जब कभी भी फोटो शूट के लिए जाते थे. वे फोटोग्राफर को समझा दिया करते थे कि मुझसे जबरन कुछ न कराया जाये. जिसमें मैं कंफर्ट हूं. सिर्फ वैसी ही तसवीरें ली जाये.

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