20120927

दास कैपिटल के कैप्टन का जाना



26 सितंबर को पुणे में एक फिल्म की शूटिंग करने के दौरान ही सिनेमेटोग्राफर व निर्देशक राजन कोठारी की अचानक तबियत खराब हुई और उन्होंने वही दम तोड़ दिया. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में शायद ही इस दुखद खबर की जानकारी लोगों को होगी. चूंकि राजन कोठारी परदे के पीछे कमाल दिखानेवाले हुनर में से एक थे. जुबैदा, वेलडन अब्बा,घायल, वेलकम टू सज्जनपुर,गॉडमदर जैसी फिल्मों में अपने कैमरे का हुनर का जादू दिखाया. लेकिन उनकी महत्वपूर्ण भूमिका प्रकाश झा की फिल्म दामुल को राष्टÑीय फलक पर स्थापित करने में जरूर याद की जायेगी. दामुल पूरी तरह बिहार पर आधारित पहली ठेठ हिंदी फिल्म थी. जिसे बिहार के ही निर्देशक प्रकाश झा ने बनाया और बिहार में ही इसकी शूटिंग की गयी. इस फिल्म में जितना योगदान निर्देशक प्रकाश झा का रहा, उतना ही राजन कोठारी का भी रहा. चूंकि निर्देशक की सोच को वास्तविक रूप देने में सिनेमेटेग्राफर की अहम भूमिका होती है. राजन ने फिल्म में बिहार के मोतिहारी के एक छोटे से स्थान छपवा मोड़ का फिल्मांकन इतनी खूबसूरती से दर्शाया था कि सभी दंग रह गये थे. राजन ने अपनी कुशलता से तालाब को झील का रूप दे दिया था. यह उनकी कल्पनाशीलता ही थी जो दामुल में बिहार का एक अलग ही स्वरूप नजर आया था. राजन बिहार से ताल्लुक नहीं रखते. लेकिन उनका जुड़ाव बिहार से, बिहार की कहानियों से बना रहा. जमीन से जुड़ी कहानियां उन्हें हमेशा आकर्षित करती हैं. यही वजह रही थी कि उन्होंने बतौर निर्देशक जब पहली शुरुआत की तो उन्होंने बिहार पर ही आधारित फिल्म दास कैपिटल बनायी. यह फिल्म जल्द ही रिलीज होनेवाली थी. कई फिल्म फेस्टिवल का हिस्सा भी बन चुकी थी. लेकिन अफसोस वे इस फिल्म की कामयाबी देखने के लिए खुद मौजूद नहीं होंगे. फिल्म के प्रति उनका जूनून हमेशा उल्लेखनीय रहेगा.

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