20120918

बैनर नहीं कहानी चाहिए



कहानी नहीं. बैनर दिखाइए. किसी दौर में बॉलीवुड के अभिनेता-अभिनेत्री  कहानी को नहीं. बैनर को महत्व देते थे. लेकिन आज वह दौर बदल गया है. अब कलाकार फिल्म की कहानी देखना चाहते हैं,बैनर नहीं. क्योंकि वे जान चुके हैं कि अब कहानियों से ही फिल्में चलती हैं. यही वजह है कि अब कलाकार खुले तौर पर इसकी घोषणा करते हैं कि वे नये निर्देशक और नयी कहानियों के साथ काम करने को तैयार हैं. रणबीर कपूर ने फिल्म बर्फी के दौरान अपनी बातचीत में कहा कि वे पूरे देश से किसी भी निर्देशक के साथ काम करने को तैयार हैं. खुद अमिताभ बच्चन ने अनुराग कश्यप की गैंग्स ऑफ वासेपुर देखने के बाद फिल्म की तारीफ की. उन्होंने सांकेतिक तौर पर ही ईशारा कर दिया है कि वे अनुराग के साथ फिल्में करना चाहते हैं. रानी मुखर्जी ने भी अपनी बातचीत में कहा है कि वह नये निर्देशकों के साथ काम करना चाहती हैं. रानी को जब फिल्म अय्या की थीम के बारे में सचिन ने बताया था तो वो भी सोच में डूब गयी थी कि आखिर एक लड़की को एक लड़के से प्यार हो जाता है. सिर्फ उसकी गंध से.इसपर फिल्म कैसे बन सकती है. लेकिन थीम का अलग होना ही रानी को खास लगा और उन्होंने हां कह दिया.करीना कपूर ने भी कहा है कि वे चाहती हैं कि अब वह फिल्मों में प्रयोग करे.दरअसल, यह बॉलीवुड का बदलता हुआ ट्रेंड है. अब अभिनेता या अभिनेत्री वैसे किरदार नहीं निभाना चाहते. जो केवल शो पीस की तरह हो. वे मुख्य किरदारों में ढलना चाहते हैं और बेहतरीन भूमिकाओं वाली फिल्में करना चाहते हैं.एक दौर था जब अधिकतर बड़े सितारें उन निर्देशकों व बैनरों के साथ फिल्में बनाते थे. दरअसल, लगातार नये प्रयोगों और अलग विषयों पर बनीं फिल्में विकी डोनर, पान सिंह तोमर, बर्फी जैसी फिल्मों की सफलता ही कलाकारों की इस पसंद का मुख्य कारण बना है.

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