20120827

मल्टी स्टारर फिल्म के मायने


हाल ही में अमरीकी निर्देशक सिमोन वेस्ट की फिल्म द एक्सपेनडेबल्स 2 रिलीज हुई है. फिल्म को भारत में भी अच्छी लोकप्रियता मिल रही है. और फिल्म वाकई बेहतरीन है भी. इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस फिल्म में दुनिया के बेहतरीन एक् शन कलाकारों ने एक साथ अभिनय किया है. यह मल्टी स्टारर फिल्म है. लेकिन इस मल्टी स्टारर फिल्म में तमाम कलाकारों को अपने अपने हिस्से का हुनर दिखाने का मौका मिला है. कोई भी कलाकार फिल्म में केवल बतौर अतिथि भूमिका में नजर नहीं आये हैं. सिमोन वेस्ट की परिकल्पना व पटकथा की संरचना कमाल की है कि उन्होंने एक ऐसी फिल्म बनायी. अब तक दुनिया भर में एक् शन के बलबुते कमाल दिखा चुके कलाकारों को एक साथ एकत्रित करना निश्चित तौर पर सिमोन के लिए चुनौती रही होगी. चूंकि प्राय: हर कलाकार को दूसरे कलाकार के साथ काम करने में परेशानी होती है. सभी आत्ममुग्ध होते हैं. लेकिन इसके बावजूद सिमोन की यह सोच और उसे कर दिखाना दर्शाता है कि विदेशी भाषा की फिल्मों में अब भी कलाकार कहानी को सबसे अधिक अहमियत देते हैं.  जबकि इसके विपरीत अगर भारतीय फिल्मों की बात की जाये तो भारत में भी कई मल्टी स्टारर फिल्में बनाई जाती रही हैं. लेकिन उनमें किसी एक को ही प्राथमिकता मिलती है. बाकी शेष कलाकार केवल सहयोगी कलाकार के रूप में ही नजर आते हैं. दरअसल, भारत में मल्टी स्टारर फिल्मों का मतलब कलाकारों की संख्या से है. उनकी गुणवता से नहीं. लेकिन भारत में इस स्तर की फिल्मों की परिकल्पना बेहद कठिन है. लेकिन जरा सोचें,वाकई किसी हिंदी फिल्म में अमिताभ, धर्मेद्र, शाहरुख, सलमान, आमिर, अक्षय जैसे सभी कलाकार रहें तो वह फिल्म किस स्तर की बनेगी. भारत में अब भी स्टारों पर  स्टारडम ही हावी है

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