20120910

कब तक रोकेंगी ये सरहदें



राज ठाकरे का कहना है कि आशा भोंसले को कलर्स पर आयोजित सुरक्षेत्र नामक रियलिटी शो जिसमें पाकिस्तानी गायकों व प्रतिभागियों को भी शामिल किया गया  है, नहीं करना चाहिए. चूंकि आशा ताई भारत की हैं और उन्हें यह समझना चाहिए कि हमें पाकिस्तानियों को अपने देश में बढ़ावा नहीं देना चाहिए.इस बात पर बतौर स्वतंत्र कलाकार की तरह स्पष्ट रूप से कहा कि वे यह शो जरूर करेंगी.संगीत की कोई भाषा या मजहब नहीं होता. हम संगीत से जुड़े लोगों को कभी भेद करना सिखाया ही नहीं गया है. आशा ताई का यह करारा जवाब वाकई वैसे लोगों के मुंह पर तमाचा है जो राजनीति की आड़ में खुद को देशभक्त दर्शाते हैं. दरअसल, हकीकत यही है कि संगीत या किसी भी कलाकार को किसी भी सीमा में बांधना उचित नहीं. किसी दौर में एके हंगल पर बाल ठाकरे द्वारा हिंदी फिल्मों में काम करने पर प्रतिबंध सिर्फ इसलिए लगवा दिया था क्योंकि हंगल पाकिस्तान अपने पैतृक स्थान पर गये थे और वहां वे एक दिन एक कार्यक्रम में शरीक हो गये थे. सिर्फ इतनी सी बात पर उन्हें देशद्रोही करार दे दिया गया था. उनकी फिल्मों को थियेटर से हटवा दिया गया था. उस दौर में बाल ठाकरे हंगल के स्वतंत्रता सेनानी के वक्त के योगदान को भूल गये थे. आज भी वह रवैया नहीं बदला है. आशा ताई मानती हैं कि रुना लैला और आबिदा परविन व आतिफ असलम जैसे कलाकार भारत का सम्मान करते हैं और यहां के लोग उनकी आवाज को पसंद करते हैं. यहां उनके प्रशंसक बहुतायत में हैं. ऐसे में किसी को भी हक नहीं कि वे इन कलाकारों को मजहब के नाम पर बांटे. आशा ताई की तरह ही हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के शेष लोगों को भी यही कदम उठाना चाहिए. चूंकि हकीकत यही है कि संगीत या कलाकार नदी की तरह ही होते हैं. वे बिना किसी सरहद के बहने की कुबत रखते हैं, उन्हें किसी की इजाजत की जरूरत नहीं.

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