अर्जुन मानते हैं कि प्रकाश झा ने उनकी फिल्मी करियर को नयी उड़ान दी. उनकी फिल्में राजनीति, चक्रव्यूह के बाद अब वह फिल्म सत्याग्रह में भी नजर आयेंगे. लेकिन फिलवक्त वह सुधीर मिश्रा की फिल्म इनकार को लेकर काफी उत्साहित हैं, क्योंकि ऐसे विषय को लेकर वह पहली बार किसी फिल्म में काम कर रहे हैं.
अ ॉफिस कार्यालय में महिलाओं के साथ होनेवाले सेक्सुअल हैरेशमेंट को लेकर पहली बार इस विषय पर सुधीर मिश्रा फिल्म बना रहे हैं. अर्जुन फिल्म में राहुल वर्मा के किरदार में हैं. बातचीत अर्जुन से
फिल्म इंकार के लिए क्यों इंकार नहीं किया?
मैंने सुधीर मिश्रा की पहले की कई फिल्में देखी थी. सो इस बात से तो वाकिफ था कि सुधीर जो करेंगे अच्छा ही होगा. कम से कम कंटेट तो जरूर होगा. हर कलाकार चाहता है कि वह अच्छी फिल्में करे. पहले जब सुधीर कहानी लेकर आये थे तो मैंने उसी वक्त हां नहीं कही थी. मैं पूरी तरह से संतुष्ट नहीं था. फिर मैंने सुधीर को कहा कि बैठते हैं इस पर बात करते हैं. फिर हम हफ्तों बैठे. मैंने ही सुधीर को सुझाव दिया कि क्यों न फिल्म का क्लाइमेक्स थोड़ा थ्रील कर दें. दर्शकों को अच्छा लगेगा. सुधीर को मेरा सुझाव पसंद भी आया. जब हम लगातार इस फिल्म की कहानी पर काम कर रहे थे तो मेरी पत् नी भी परेशान हो गयी थी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि हम किस तरह के विषय पर काम कर रहे हैं. सुधीर को लेकर भी वह कांफिडेंट नहीं थी. लेकिन अब धीरे धीरे जब कहानी ने शेप लेने लगी तो उसे भी लगा कि कुछ अच्छा अलग हो रहा है और निश्चित तौर पर अब ऐसा लग रहा है कि फिल्म दर्शकों को पसंद आयेगी.दूसरी बात फिल्म का जो विषय है. वाकई रोचक और गंभीर है. संवेदनशील भी है. ऐसी फिल्में इन दिनों कम बन रही हैं. जबकि मुझे लगता है कि ऐसे विषयों पर फिल्में बननी चाहिए. क्योंकि अब हमारे यूथ तैयार हो रहे हैं. दर्शकों में ऐसी कहानियां नॉलेज पहुंचाती है.
इस फिल्म को चुनने से पहले क्या आप इस विषय पर इतनी जानकारी रखते थे या दिलचस्पी लेते थे.
नहीं, मैं ईमानदारी से कहना चाहूंगा कि मुझे बिल्कुल इस बारे में खास जानकारी नहीं थी. मैंने फिल्म के दौरान ही कई केस स्टजी की. कानून पढ़ा. उसके प्रावधान पढ़े कि किस तरह एक कार्यलय में लड़कियां शोषित होती हैं और फिर भी वह आवाज नहीं उठा पातीं, जबकि उनके लिए कानून है. मैं किसी आइटी कंपनी का नाम नहीं लेना चाहूंगा कि लेकिन हकीकत यही है कि लड़कियां आइटी सेक्टर में सबसे अधिक शोषित होती है. ऐसे में लड़कियों को तो यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए, ताकि वह कई चीजों से अवगत हों. उनकी सुरक्षा के लिए यह जरूरी है. इस फिल्म के जरिये ही जान पाया कि आॅफिस परिसर में र्फ्लटिंग करना, वलगर जोक्स भेजना भी सेक्सुअल हैरेशमेंट ही कहलाता है. काफी जानकारी मिली फिल्म से.
तो क्या फिल्म केवल महिला दर्शकों को ध्यान में रख कर बनाई गयी है. कई बार निर्दोष पुरुष भी कानून की वजह से चपेत में आकर फंस जाते हैं.
नहीं इस फिल्म की यही तो खासियत है कि फिल्म में राहुल वर्मा और माया दोनों के पक्ष को दर्शाया गया है. मैं कंपनी का सीइओ हूं और माया वर्कर. फिल्म में दोनों पक्षों को रखा गया है. खासतौर से फिल्म का क्लाइमेक्स लाजवाब है.
ऐसे वक्त में जहां गैंगरेप के मुद्दे से सभी आहत हैं. ऐसे में यह फिल्म आ रही है?
अनफॉरचुनेटिली, हमारी फिल्म की रिलीज का यह वक्त है. जो हुआ गलत हुआ. इंकार शायद थोड़ा एजुकेट कर पाये लोगों को.
इन दिनों आप केंद्रीय भूमिकाओं में नजर आने लगे हैं. पहले की अपेक्षा अब आपके अभिनय भी निखार आया है. आप खुद इस बात से सहमत हैं ?
खुशी इस बात की है कि जरूरत से ज्यादा मिला. इतना सोचा नहीं था. लेकिन प्रकाश झा, सुधीर मिश्रा जैसे निर्देशकों ने वाकई मेरे हुनर को निखारा है. संवारा है. मैं चाहता हूं कि मैं इंडस्ट्री में सभी लोगों के साथ काम करूं. किसी कैंप का हिस्सा न बनूं
लेकिन आप तो शुरू से शाहरुख के कैंप के माने गये हैं. इन दिनों आप दोनों में अनबन है?
थक चुका हूं यह सुन सुन कर. मैं तब भी किसी एक कैंप का नहीं था. अब भी नहीं हूं. इंडस्ट्री छोटी सी है. हम यहां काम करने आये हैं. कैसे किसी एक के साथ ही काम करके हम संतुष्ट रह सकते हैं. मुझे सबके साथ काम करना है. बस यही मोटो है मेरा.
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