आज युसूफ खान उर्फ दिलीप कुमार का जन्मदिन है. आज उन्होंने अपने जीवन का 90वां बसंत पार कर लिया. हिंदी सिनेमा जगत उन्हें ट्रेजेडी किंग के रूप में जानती हैं, क्योंकि उनकी फिल्मों में प्राय: वे एक दुखी और असफल प्रेमी रहे. लेकिन वास्तविक जिंदगी में वे उतने ही भाग्यशाली भी रहे, कि उन्हें सायरा बानो जैसी संगिनी का साथ मिला. दोनों की उम्र में भले ही 22 साल का फासला हो. लेकिन दोनों के दिलों में 1 मील की भी दूरी नहीं है. सायरा जिस शिद्दत से आज भी दिलीप कुमार को प्यार करती हैं. ऐसी प्रेम कहानियां बिरले ही देखने को मिलती है. दिलीप साहब खुद मानते हैं कि उनकी अपनी कोई संतान नहीं. लेकिन सायरा और उनमें इतनी अच्छी बांडिंग है और दोनों एक दूसरे का साथ इस कदर एंजॉय करते हैं कि उन्हें किसी और की कमी महूसस ही नहीं होती. सायरा दिलाप साहब की फैन थी. फैन फिर बाद में पत् नी बनी. उम्र और वक्त के ढलान के साथ साथ प्राय: प्रेम भी औपचारिक रूप ले लेता है. लेकिन सायरा की आंखों में आज भी दिलीप साब के लिए प्यार जवां ही नजर आता है. पिछले साल आज के दिन दिलीप साहब के जन्मदिन पर न सिर्फ सायरा ने खास जश्न मनाया. बल्कि वे झूम कर नाचीं. सायरा दिलीप कुमार को सिर्फ साहब कह कर ही बुलाती हैं. आज भी वे दिलीप साहब का इस कदर ख्याल रखती हैं कि उन हर समारोह में वे दिलीप को ले कर आती हैं, जहां आना बेहद अनिवार्य है. यही नहीं दिलीप साहब की जॉगर्स पार्क में मॉर्निंग पिछले कई सालों से नियमत: सायरा की वजह से ही हो पाती है. दिलीप सायरा का हाथ पकड़ कर ही हर जगह जाते हैं. लेकिन यह हाथ यह साथ एक जोरू के गुलाम का नहीं है, या सायरा यह साबित करने की कोशिश नहीं करतीं कि वह साहब की सहारा हैं. इस प्रेम कहानी में प्यार भी है समर्पण भी और सबसे अहम एक दूसरे के लिए आदर भी.
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20130108
साहब का नायाब सहारा सायरा
आज युसूफ खान उर्फ दिलीप कुमार का जन्मदिन है. आज उन्होंने अपने जीवन का 90वां बसंत पार कर लिया. हिंदी सिनेमा जगत उन्हें ट्रेजेडी किंग के रूप में जानती हैं, क्योंकि उनकी फिल्मों में प्राय: वे एक दुखी और असफल प्रेमी रहे. लेकिन वास्तविक जिंदगी में वे उतने ही भाग्यशाली भी रहे, कि उन्हें सायरा बानो जैसी संगिनी का साथ मिला. दोनों की उम्र में भले ही 22 साल का फासला हो. लेकिन दोनों के दिलों में 1 मील की भी दूरी नहीं है. सायरा जिस शिद्दत से आज भी दिलीप कुमार को प्यार करती हैं. ऐसी प्रेम कहानियां बिरले ही देखने को मिलती है. दिलीप साहब खुद मानते हैं कि उनकी अपनी कोई संतान नहीं. लेकिन सायरा और उनमें इतनी अच्छी बांडिंग है और दोनों एक दूसरे का साथ इस कदर एंजॉय करते हैं कि उन्हें किसी और की कमी महूसस ही नहीं होती. सायरा दिलाप साहब की फैन थी. फैन फिर बाद में पत् नी बनी. उम्र और वक्त के ढलान के साथ साथ प्राय: प्रेम भी औपचारिक रूप ले लेता है. लेकिन सायरा की आंखों में आज भी दिलीप साब के लिए प्यार जवां ही नजर आता है. पिछले साल आज के दिन दिलीप साहब के जन्मदिन पर न सिर्फ सायरा ने खास जश्न मनाया. बल्कि वे झूम कर नाचीं. सायरा दिलीप कुमार को सिर्फ साहब कह कर ही बुलाती हैं. आज भी वे दिलीप साहब का इस कदर ख्याल रखती हैं कि उन हर समारोह में वे दिलीप को ले कर आती हैं, जहां आना बेहद अनिवार्य है. यही नहीं दिलीप साहब की जॉगर्स पार्क में मॉर्निंग पिछले कई सालों से नियमत: सायरा की वजह से ही हो पाती है. दिलीप सायरा का हाथ पकड़ कर ही हर जगह जाते हैं. लेकिन यह हाथ यह साथ एक जोरू के गुलाम का नहीं है, या सायरा यह साबित करने की कोशिश नहीं करतीं कि वह साहब की सहारा हैं. इस प्रेम कहानी में प्यार भी है समर्पण भी और सबसे अहम एक दूसरे के लिए आदर भी.
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