20130108

कहां है दिल्ली का दिल



उस दिन अभिनेत्री जया बच्चन की फूट फूट कर रो पड़ी थीं. उनकी आवाज में दर्द था. वह दिल्ली में महिला के साथ हुए दुष्कर्म और फिर उसकी मौत पर आहत थीं. बार बार वे यही बात दोहरा रही थीं कि ये किसी के साथ भी हो सकता है. हम सभी तो लड़कियां ही हैं. अभिनेत्री शबाना आजिमी ने अपनी अगुवाई में इस बलात्कार और दुष्कर्मियों के खिलाफ मोर्चा निकाला. एक आवाज उठायी. बॉलीवुड की कई हस्तियां इसमें शामिल हुईं. विशेष कर महिला फिल्मकार, महिला अभिनेत्रियां. चूंकि इस बार कहीं न कहीं हर किसी को इस घटना ने झकझोर कर रख दिया है. हर किसी के मन में यही सवाल है. खासतौर से हर महिला के मन में कि यह हादसा कभी भी किसी के साथ भी हो सकता है. खुद अभिनेत्री चित्रागंदा सिंह जिन्होंने दिल्ली में अपना लंबा समय व्यतीत किया है. वे खुद स्वीकारती हैं कि जब वह कॉलेज के दिनों में बस से जाया करती थीं, किस तरह उन्हें इव टिजिंग का बार बार शिकार होना पड़ता था. किस तरह वे देर रात बाहर जाने से डरती थीं. अभिनेत्री ईशा गुप्ता बताती हैं कि उनके पिता इस कदर दिल्ली के माहौल से भयभीत रहते हैं कि वे चाहते ही नहीं कि ईशा या उनकी बेटियां दिल्ली में रहें और अगर वह दिल्ली में रहती भी हैं तो उन्हें सक्त हिदायत है कि वह गाड़ी लेकर ड्राइवर के साथ जायें और ड्राइवर के साथ ही वापस आयें. स्पष्ट है कि बड़े परिवार की लड़कियां  और उनके परिवार के सदस्य सारी सुख सुविधाओं और सुरक्षा के कड़े इंतजाम के बाद दिल्ली के माहौल को लेकर भयभीत रहते हैं तो आम महिला सुरक्षा को लेकर कैसे इत्तिमिनान हों. मुंबई में देर रात लोकल ट्रेन, आम सड़कों पर पुलिस प्रशासन तैनात रहते हैं. लेकिन बाकी राज्यों में ऐसा क्यों संभव नहीं. शायद यही वजह है कि पूरे भारत में मुंबई में हर महिला खुद को सबसे अधिक महफूज मानती है

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