अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने हाल ही में एक मीडियाकर्मी से बदतमीजी से उसके सारे सवालों का जवाब देते हुए दर्शाने की कोशिश की कि उन्हें अगर अच्छे निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिल रहा है तो इसलिए क्योंकि वे काबिल हैं. साथ ही उन्होंने रुखे स्वर में कहा कि उन्हें किसी अन्य अभिनेत्रियों से जलने या उनका काम छीनने की जरूरत ही नहीं. निस्संदेह अनुष्का इन दिनों इंडस्ट्री के बेहतरीन निर्देशकों की च्वाइस बन गयी हैं. लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं कि वे अपना लहजा ही भूल जायें. अनुष्का शायद वे दिन भूल गयी हैं, जब वे इम्तियाज अली के आॅफिस के चक्कर काट-काट कर थक गयी थीं. लेकिन उन्हें काम नहीं मिला. शायद वह यह भी भूल रही हैं कि इतिहास गवाह है. यह वही इंडस्ट्री है, जहां एक से बढ़ कर प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों को भी टैलेंट के बावजूद अपनी रुखी बोली की वजह से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. अभिनेता विवेक ओबरॉय बेहतरीन अभिनेता होने के बावजूद केवल अपनी बचकानी हरकतों व इसी तरह स्टारी नखरें दिखाने वजह से इंडस्ट्री की नजर में गिरते चले गये. दरअसल, हकीकत यही है कि यहां वे ही टिक सकते हैं. जो संयम रखना जानते हों. जिनमें धैर्य रख कर अपनी बुराईयां सुनने और झेलने की ताकत हो. अभिनेत्री विद्या बालन भी एक बुरे फेज से गुजरीं. लेकिन उन्होंने संयम रखते हुए मृदभाषी होकर अपना रास्ता बनाया और काम से सबको जवाब दिया. शायद यह हकीकत है कि हर कोई इसी वजह से विद्या बालन नहीं बन सकता. सोनाक्षी मानती हैं कि आलोचनाओं का जवाब है काम. वे काम से सबका मुंह बंद करना चाहती हैं. अनुष्का यह बड़बोलापन उनके लिए परेशानी का सबब न बन जाये, क्योंकि कबीर सभी जानते हैं कि अगर आपका मोल लाख टके का है तो खुद से इसका ढिंढोरा पिटने की जरूरत नहीं.
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20130108
लाख टका मेरो मोल
अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने हाल ही में एक मीडियाकर्मी से बदतमीजी से उसके सारे सवालों का जवाब देते हुए दर्शाने की कोशिश की कि उन्हें अगर अच्छे निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिल रहा है तो इसलिए क्योंकि वे काबिल हैं. साथ ही उन्होंने रुखे स्वर में कहा कि उन्हें किसी अन्य अभिनेत्रियों से जलने या उनका काम छीनने की जरूरत ही नहीं. निस्संदेह अनुष्का इन दिनों इंडस्ट्री के बेहतरीन निर्देशकों की च्वाइस बन गयी हैं. लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं कि वे अपना लहजा ही भूल जायें. अनुष्का शायद वे दिन भूल गयी हैं, जब वे इम्तियाज अली के आॅफिस के चक्कर काट-काट कर थक गयी थीं. लेकिन उन्हें काम नहीं मिला. शायद वह यह भी भूल रही हैं कि इतिहास गवाह है. यह वही इंडस्ट्री है, जहां एक से बढ़ कर प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों को भी टैलेंट के बावजूद अपनी रुखी बोली की वजह से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. अभिनेता विवेक ओबरॉय बेहतरीन अभिनेता होने के बावजूद केवल अपनी बचकानी हरकतों व इसी तरह स्टारी नखरें दिखाने वजह से इंडस्ट्री की नजर में गिरते चले गये. दरअसल, हकीकत यही है कि यहां वे ही टिक सकते हैं. जो संयम रखना जानते हों. जिनमें धैर्य रख कर अपनी बुराईयां सुनने और झेलने की ताकत हो. अभिनेत्री विद्या बालन भी एक बुरे फेज से गुजरीं. लेकिन उन्होंने संयम रखते हुए मृदभाषी होकर अपना रास्ता बनाया और काम से सबको जवाब दिया. शायद यह हकीकत है कि हर कोई इसी वजह से विद्या बालन नहीं बन सकता. सोनाक्षी मानती हैं कि आलोचनाओं का जवाब है काम. वे काम से सबका मुंह बंद करना चाहती हैं. अनुष्का यह बड़बोलापन उनके लिए परेशानी का सबब न बन जाये, क्योंकि कबीर सभी जानते हैं कि अगर आपका मोल लाख टके का है तो खुद से इसका ढिंढोरा पिटने की जरूरत नहीं.
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