20130108

2012 के गहने व ग्रहण



आज 2012 का आखिरी दिन है.यह साल विवादों के साथ साथ इस लिहाज से भी काफी चर्चित रहा, चूंकि कई लोगों का मानना था कि 2012 में दुनिया का अंत हो जायेगा. बहरहाल, 2012 हिंदी सिनेमा जगत के लिए बेहद खास रहा. चूंकि इस वर्ष दर्शक और ट्रेड पंडित दोनों चौंके हैं. पिछले कई वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष वैसी कई फिल्में जिनसे ट्रेड पंडितों या समीक्षकों को सफल होने की नामात्र की गुंजाईश थी. वे फिल्म न सिर्फ हिट रहीं, बल्कि सबने 100 करोड़ का आंकड़ा भी पार किया. 2012 में कई बेहतरीन फिल्में भी आयीं. नयी सोच, नये विषयों के साथ. नये निर्देशक इस वर्ष भले अधिक लोकप्रिय नहीं रहे. लेकिन पुराने नामों ने अपना स्थापित नाम बना लिया. तिग्मांशु धूलिया जो पिछले कई सालों से प्रयासरत थे. उन्हें पान सिंह तोमर ने खास पहचान दिला दी. सुजोय घोष ने कहानी से सफलता की कहानी लिखी. शूजीत सरकार ने विकी डोनर जैसी फिल्में दी. तिग्मांशु, शूजीत, सुजोय तीनों ही पुराने नाम हैं. लेकिन इन्हें असली पहचान इसी वर्ष मिली. इंगलिश विंगलिश से श्रीदेवी का लौटना और अलग विषय के चयन  के साथ दर्शकों को लुभाना इस वर्ष की खास उपलब्धि रहेगी.समीक्षकों ने जिन फिल्मों की धज्जियां उड़ायीं. वे सारी फिल्में कामयाब रहीं. फिर चाहे वह राउड़ी राठौड़ हो, सन आॅफ सरदार हो. खिलाड़ी 786 हो. इस साल 2012 का एक खास प्रकोप इंडस्ट्री पर शायद यह हुआ कि कई अच्छे दोस्त दुश्मन बन बैठे. आदित्य चोपड़ा और काजोल की दूरी का कारण बनीं अजय की फिल्म सन आॅफ सरदार. तो दूसरी तरफ फराह और अक्षय के बीच में भी जोकर जैसी फिल्म रही. करीना कपूर और विद्या ने अपनी विवादित जीवन के साथ नयी शुरुआत की. इंडस्ट्री को अर्जुन कपूर, आलिया और आयुष्मान जैसे नये सितारें मिले.

No comments:

Post a Comment