आगामी 8 फरवरी को निर्देशक नीरज पांडे की फिल्म स्पेशल 26 रिलीज हो रही है.यह फिल्म एक ऐसे नकली आइपीएस अधिकारी पर आधारित है, जो वेष बदल कर पॉलिटिशिसन और काला धंधा करनेवाले लोगों को लूटता है. और राजनेता इसके बारे में कभी कोई शिकायत नहीं कर पाते, क्योंकि वह सारा धन काला धन है. नीरज पांडे ने 1986 में मुंबई व भारत के कई हिस्सों में घटित कुछ ऐसी ही वास्तविक घटना को फिल्म का रूप दिया है. नीरज पांडे ने इससे पहले अ वेडनेस डे फिल्म से सबको चौंकाया था. आम आदमी की जिंदगी पर आधारित वह फिल्म काफी लोगों को पसंद आयी थी. वजह थी फिल्म का बिल्कुल अलग हट के सोचना. विशेष कर फिल्म का अंत दर्शकों को भी चौंकाता है. दरअसल, नीरज पांडे जैसे निर्देशक लगातार आम आदमी से जुड़ी ऐसी कहानियां परदे पर उतार रहे हैं, जो आम जन से काफी जुड़ी हैं. लेकिन हमारा कभी उस ओर ध्यान नहीं जा पाता. स्पेशल 26 के रूप में नीरज ने एक बार फिर से सिस्टम की खामियों को सामने लाने की कोशिश की है कि किस तरह भारत में एक नकली आइपीएस अधिकारी का वेष धारण करके लोगों को लूट रहा है. लेकिन कोई उसे पकड़ नहीं पा रहा. चूंकि यहां हर जगह भ्रष्टाचार है. अब जहां भ्रष्टाचार है. वहां डर है. डर है. सो, असली गुनहगार को पकड़े कौन. पकड़नेवाला भी और पकाड़नेवाला दोनों ही तो गुनहगार है. नीरज पांडे ने एक गीत धड़ कपड़ के माध्यम से इस पूरे चक्र को समझाने की नायाब कोशिश की है. कुछ इसी तरह विशाल भारद्वाज ने मटरू...के गीत चोर नेता जनता...के माध्यम से देश में मुखौटे पहन कर बैठे ठगों की व्याख्या की है. दरअसल, वर्तमान में भारत में सिस्टम का हर व्यक्ति किसी न किसी बहाने लोगों को ठेंगा दिखा कर ठग ही रहा है. फिर चाहे वह ठग हमारे सामने आये न आये
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